मजदूरों के कानूनी अधिकार | Legal Rights of Workers
परिचय
हमारे भारत देश के संविधान में मजदूर को सम्मानजनक काम और मजदूरी देने के साथ-साथ कानूनी संरक्षण दिया है। मजदूरों को काम का अधिकार और काम के बदले पूरी मजदूरी देने का प्रावधान और साथ ही शोषण से बचाने के लिए अलग से ही श्रम विधि का गठन कर शोषणकर्ता को दंड का प्रावधान भी दिया गया है। अब कोई भी नियोक्ता या ठेकेदार, फैक्टरी, कारखाना मालिक मजदूरों का शेाषण नहीं कर सकता। कानून में असंगठित क्षेत्र में इनको शोषण से बचाने के लिए इसका उपाय किए गए हैं। आइये इस लेख के माध्यम से आज हम मजदूरों के कानूनी अधिकार | Legal Rights of Workers क्या है इसके बारेमें जानाकारी हासिल करने वाले है।
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मजदूरों के कानूनी अधिकार क्या है | What is Legal Rights of Workers
जब भी कोई व्यक्ति अपना व अपने परिवार का जीवन यापन करने के लिए किसी फैक्ट्री या ठेकेदार के यहाँ कार्य करता है और उस कार्य के उपलक्ष्य में उसे जो धन मिलता है वह मजदूरी कहलाती है। मजदूरी के भिन्न रूप हो सकते है चाहे वह मजदूरी किसी फैक्ट्री में करें, किसी उद्योग में करें किसी दुकान में करें या अन्य किसी ऐसे किसी संगठन में करें, उस मजदूरी से उसे जो वेतन मिलता है निश्चय ही ऐसे मजदूर को इस मजदूरी से अपने व अपने परिवार का जीवन यापन करना होता है और भविष्य मे कोई दुर्घटना या अन्य परेशानी यदि उत्पन्न हो जाती है तो उसका सामना करने के लिए मजदूरी में मिला धन उसके लिए पर्याप्त नही होता।
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इन्ही अपरिहार्य परिस्थितियों का सामना करने के लिए संस्थान के मालिक जिसमे वह कार्य करता है उसका नैतिक दायित्व है कि मजदूर की सेवा काल को दृस्टिगत रखते हुए उस मजदूर को कुछ अतिरिक्त लाभ निभिन्न सुविधाओँ के रुप में उपलब्ध कराये। संस्थान के मालिकों द्वारा इन नैतिक अधिकारों को अनुदेखा करने के कारण तथा मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा भिन्न-भिन्न् कानून बनाये गये है ताकि विभिन्न फैक्ट्री एवं अन्य संस्थाओं में कार्य करने वाले मजदूरों की मजदूरों को विनियमित किया जा सके और उन्हे सभी कानूनी के लाभ मिलना सुनिश्चित किया जा सके। इसी उद्देश्य से जो कानून बनाये गये है उनका संक्षेप वर्णन इस प्रकार है।–
4) कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1984
5) न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948
6) समान परिश्रमिक अधिनियम 1976
7) कर्मकार प्रतिकर अधिनियम 1923
8) कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबन्ध अधिनियम 1952
9) ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) अधिनियम 1970
10) प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम 1961
11) औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947
12) बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम 1986
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आज हमने हमारे पाठकों को मजदूरों के कानूनी अधिकार | Legal Rights of Workers इसके बारेमें जानकारी देने का पुरा प्रयास किया है आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। ऐसे ही कानूनी जानकारी को पढने के लिए आप हमारें इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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