कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबन्ध अधिनियम 1952 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Employees Provident Fund & Miscellaneous Provisions Act 1952
यह अधिनियम इस उद्देश्य के साथ बानाया गया था की यह श्रमिको को उनकी निरंतर सेवा के बाद सेवा निवृत्ति के समय उनके बुढापे को सुखमय बनाने हेतु उन्हे आर्थिक रुप से सहायता प्रदान करना है। देखा गया है कि श्रमिक जीवन भर मेहनत मजदूरी करने के उपरांत ऐसा कोई कार्य करने में असमर्थ हो जाता है जिससे वह भविष्य में अपना एवं अपने परिवार का जीवन यापन कर सके। श्रमिक की इन्ही कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा यह अधिनियम बनाकर उस परिस्थिति में उन्हे आर्थिक सहायता प्रदान करवाई है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबन्ध अधिनियम 1952 | Employees Provident Fund & Miscellaneous Provisions Act 1952 इसके बारेमें जानकारी हासिल करते है।
कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबन्ध अधिनियम 1952 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Employees Provident Fund & Miscellaneous Provisions Act 1952
श्रमिक को अथवा मजदूर जो अपनी सारी जिन्दगी काम में लगाकर, जहां भी वह काम करता है, जब बूढा हो जाता है तो निश्चय ही उसकी शक्ति इतनी नहीं रहती कि वह आगे इसी रुप में धन अर्जित करता रहे। इसलिए हर माह जो वेतन उसे मिलता है उसमें से कुछ राशि उसके बुढापे की सुरक्षा हेतु जमा की जाती है। उसी राशि में कुछ प्रतिशत फैक्ट्री मालिक द्वारा भी जोडी जाती है ताकि वह अपने कार्य से सेवानिवृत्त हो जाय तो उसे यह फंड की राशि इकट्ठा मिल सके, जो उसके बुढापे के लिए एक सहारा बन सके। इसकी व्यवस्था इसका पालन नहीं करता है तो इस अधिनियम में दिये गये प्रावधानों के अनुसार उसे दंडित किया जा सकता है। निश्चय ही इस अधिनियम के अन्तर्गत फैक्ट्री में मजदूर के योगदान के साथ-साथ फैक्ट्री मालिक को भी कुछ अश प्रत्येक मजदूर के योगदान के साथ-साथ फैक्ट्री मालिक को भी कुछ भी अंश प्रत्येक मजदूर के लिए जमा करना होता है तथा इसके साथ-साथ केन्द्र सरकार द्वारा भी वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाती है और इस प्रकार जो प्रत्येक मजदूर का जी.पी.एफ. होता है, वह उसको अपने जीवन काल में अपने बच्चों की सहायता, शिक्षा, बिमारी, मकान बनाने इत्यादि के उपयोग हेतु भी अपने फंड से प्राप्त कर सकता है।
इस अधिनियम के अन्तर्गत प्रत्येक माह एक निश्तित धनराशइ जो श्रमिक के मूल वेतन के 10 प्रतिशत भाग से अधिक नहीं होती, श्रमिक के वेतन से काट ली जाती है। पैक्ट्री/संस्थान के मालिकों द्वारा उतनी ही धनराशि अपनी तरफ से मिलाकर उपरोक्त अधिनियम के अन्तर्गत सृजित फण्ड में जमा क रा दी जाती है। कुछ परिस्थितियों में केन्द्र सरकार द्वारा भी इस उपलक्ष्य में वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इस प्रकार कुल जमा धनराशि ब्याज के साथ श्रमिक के सेवानिवृत्त होने पर उसे अदा करा दी जाती है। इस अधिनियम के अन्तर्गत शिथिलता बरतने पर या उल्लंघन करने पर इस दण्डनीय अपराध भी बनाया गया है।
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इस लेख के माध्यम से आज हमने हमारे पाठकों को कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबन्ध अधिनियम 1952 | Employees Provident Fund & Miscellaneous Provisions Act 1952 इसके बारेमें पुरी जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। एसे ही कानूनी जानकारी पाने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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