बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 | Child Labour (prohibition & Regulation) Act 1947:-
इस कानून के अनूसार ऐसा कोई बालक अथवा बालिका जो की 14 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं की हों, उसके द्वारा पैसा अथवा वस्तु के बदले किसी नियोजक अथवा मालिक को अपना श्रम दे रहा है वह बाल श्रमिक कहलाता है। इस अधिनियम के अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को श्रम अथवा मजदूरी करने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। इस अधिनियम के अतंर्गत भारत शासन द्वारा 65 प्रक्रियाओं एवं 18 उपजीविकाओं में बाल श्रमिकों का नियोजन वर्जित किया गया है। इसी प्रकार बाल श्रमिकों का नियोजन पूर्णतः निषेध किया गया है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 | Child Labour (prohibition & Regulation) Act 1947 इसके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश करेंगे।
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बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 | Child Labour (prohibition & Regulation) Act 1947:-
भारत वर्ष में गरीबी के कारण बच्चों को भी अपने माता-पिता की सहायता के लिए मजबूरी में मजदूरी करनी पडती है क्योंकि मनोरंजन के अन्य साधन उपलब्ध न होने के कारण तथा अज्ञानतावश माता-पिता इतनी अधिक संख्या में बच्चे पैदा कर देते हैं, कि उनका पालन-पोषण करने में पर्याप्त साधन नहीं जुटा पाते है। अतः बच्चों को मजदूरी करके धन अर्जित करने हेतु विवश होना पडता है। भारत वर्ष में बाल मजदूरी का उन्मूलन निकट भविष्य में सम्भव तो है लेकिन बहुत कठिन है। परन्तु बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम बनाकर कुछ हद तक इस समस्या को सुलझाने का प्रयास किया है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य यह है कि अधकच्ची आयु के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में मजदूरी पर नहीं लगाया जाय। अतः 14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को खतरनाक एवं जोखिम भरे उद्योगों पर लगाना पूर्ण रुप से प्रतिबंधित किया गया है। खतरनाक एवं जोखिम भरे उद्योगों का विवरण इसी अधिनियम के प्रावधानों में दिया गया है तथा प्रावधान का उल्लंघन करने पर उसे दण्डनीय अपराध बनाया गया है तथा इस अधिनियम के अनुपालन को सुनिश्चित करने हेतु श्रम निरीक्षकों द्वारा फैक्ट्री कारखानों एवं संस्थाओं के नियमित तथा आकस्मिक निरीक्षण का भी प्रावधान बनाया गया है। जहां एक तरफ किसी भी फैक्ट्री में 14 वर्ष से कम आयु के बालक से कोई मजदूरी नही कराई जा सकती है वही दूसरी ओर जब 14 वर्ष से अधिक आयु के बालक से कोई मजदूरी कराता है तो वह मजदूरी जोखिम भरे काम के लिए नही होनी चाहिए, अन्यथा वह इस अधिनियम में अपराध होने के कारण दण्डनीय है। इस अधिनियम के अन्तर्गत पत्थर तोडना, सडक निर्माण, कालीन बनाना इत्यादी जोखिम भरे काम बताये गये है जिनमें 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लेना अपराध है।
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आज हमने हमारे पाठकों को बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 | Child Labour (prohibition & Regulation) Act 1947 इसके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशीश की है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसीतरह कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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