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न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के अनुसार मजदूरों का अधिकार | Right of workers as per Minimum Wages Act 1948

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के अनुसार मजदूरों का अधिकार | Right of workers as per Minimum Wages Act 1948



यह अधिनियम जो कुशल तथा अकुशल श्रमिकों को दी जाने वाली मजदूरी का निर्धारण करता है। यह अधिनियम सरकार को विनिर्दिष्ट रोजगारों में कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के लिए बनाया गया है। इसमें उपयुक्त अन्तरालों और अधिकतम पाँच वर्षो के अन्तराल पर पहले से निर्धारित न्यूनतम मजदूरों की समीक्षा करने तथा उनमें संशोधन करने का प्रावधान दिया गाया है। यह अधिनियम असंगठित क्षेत्र के  मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने के  उद्देश्य से और मजदूरों के हितों की रक्षा करने के लिए बनाया गया है। जिसमें मजदूरी का न्यूनतम दरों का निर्धारण किया गया है। इस कानून का उद्देश समय पर मजदूरी का भुगतान करना तथा समयोपरि भत्ता इत्यादि की उचित दरें तय कर उनका भुगतान कराना यह है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के अनुसार मजदूरों का अधिकार | Right of workers as per Minimum Wages Act 1948 क्या क्या है इसके बारेमें जानकारी हासिल कर ने की कोशिश करते है।

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के अनुसार मजदूरों का अधिकार | Right of workers as per Minimum Wages Act 1948

सुरूवाती काल में यह अनुभव में आया है कि हमारे देश में व्यापक बेरोजगारी को दृष्टिगत रखते हुए मिल का मालिक अथवा फैक्ट्री का मालिक या अन्य संस्थान एव नयोजक ऐसे श्रमिक या वेतनभोगी जो अपने परिवार के जीवन यापन करने के लिए नौकरी की तलाश में होता हैं। उनकी दुर्बल आर्थिक परिस्थिति का फायदा उठाकर मनमाने ढंग से कम से कम मजदूरी देकर उनसे काम करा लेता है, जिससे उस मजदूरों के लिए अपना व अपने परिवार का जीवन यापन करना काफी कठिन हो जाता है। इसी दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 का सृजन किया गाया है। जिसके अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति किसी भी मजदूर से काम लेते हुए कम से कम निर्धारित धनराशि, जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है, उससे कम मजदूरी नहीं दे सकता। चूंकि मजदूरी मानसिक रुपसे हो सकती है अथवा शारीरिक रुपसे हो सकती है। जहाँ शारीरिक मजदूरी श्रमिक द्वारा की जाती है उसके लिए अलग से न्यूनतम मजदूरी निर्धारित की गयी है और जहाँ ऐसे मजदूर के लिए मानसिक श्रम की जरुरत होती है जैसे कि शिल्पकार, मिस्त्री इत्यादी वहाँ भी उसकी इसी अधिनियम के अन्तर्गत न्यूनतम मजदूरी निर्धारित की गयी है। इसलिए प्रत्येक राज्य में हर शहर या स्थान को देखते हुए उन्ही की परिस्थितियों के अनुसार न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर अध्यादेश जारी किये जाते हैं जिसके अन्तर्गत कम से कम मजदूर, चाहे वह खेती में काम करता हो या दुकान में काम करता है या फैक्ट्री में कार्य करता है उसके लिए उपरोक्त कानून के अन्तर्गत जो न्यनतम मजदूरी तय की गयी है उसे काम लेने वाले व्यक्ति द्वारा देना बाध्यकारी है। इसी अधिनियम के अन्तर्गत मजदूर से काम लेले की अवधि, प्रत्येक दिन उसके विश्राम की अवधि तथा साप्ताहिक एवं अन्य छुट्टियाँ पाने के अधिकार को भी यदि निर्थारित अवकाश नहीं दिया जाता है तो वह श्रम विभाग में शिकायत दर्ज करा सकता है ताकि मजदूरी करने वाले श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए मालिकों को बाध्य किया जा सके।


आज हमने इस लेख के माध्यम से हमारे पाठकों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के अनुसार मजदूरों का अधिकार | Right of workers as per Minimum Wages Act 1948 क्या है इसके बारेमें जानकारी देनेका पूरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जनकारी पाने के लिए और सिखने के लिए  आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।


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