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उपदान संदाय अधिनियम 1972 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Rights of workers as per Payment of Gratuity Act 1972

उपदान संदाय अधिनियम 1972 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Rights of workers as per Payment of Gratuity Act 1972



ग्रेच्युटी यह वह रकम होती है जो की किसी कर्मचारी अथवा मजदूर को उस संस्था की ओर से दीया जाता है, जहां वो कई वर्षों से काम कर रहा था। लेकिन इसके लिए उसे वहां पर कम से कम पांच साल तक नौकरी करना जरूरी है। आमतौर पर यह रकम कर्मचारी को तब दी जाती है, जब वह नौकरी छोड़ना चाहता है, अथवा उसे नौकरी से निकाला जाता है या फिर वह कर्मचारी रिटायर हो जाता है। इसके अलावा अगर किसी वजह से कर्मचारी की मौत हो जाती है, या फिर बीमारी या दुर्घटना की वजह से उस कर्मचारी को नौकरी छोड़ने की स्थिति हो जाती है तो उसे या उसके द्वारा नामित व्यक्ति को ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। इसतरह का लाभ इस कानून में दिया गया है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम उपदान संदाय अधिनियम 1972 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Rights of workers as per Payment of Gratuity Act 1972 इसके बारेंमें जानने की कोशिश करते है।


यह कानून कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के मकसद से साल 1972 में निर्माण  किया गया। इस कानून के तहत खनन क्षेत्रों में, फैक्ट्रियों में, ऑइल फील्ड्स में, वन क्षेत्रों में, कंपनियों और बंदरगाहों जैसे अन्य सभी क्षेत्रों में काम करने वाले उन संस्थाओं के कर्मचारियों को शामिल किया गया, जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। ग्रेच्युटी और भविष्यनिधि यह बिल्कुल अलग-अलग योजनाएं हैं। ग्रेच्युटी में पूरा पैसा नियोक्ता की ओर से दिया जाता है, जबकि भविष्यनिधि में कुछ अंश रकम कर्मचारी से भी लिया जाता है।

उपदान संदाय अधिनियम 1972 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Rights of workers as per Payment of Gratuity Act 1972


जहाँ एक तरफ फैक्ट्री को वार्षीक लाभ होने में उसके श्रमिक को उस वर्ष में होने वाले लाभ के कुछ भाग को बोनस के रुप में देने के बारेमें प्रावधान बोनस अधिनियम में दिया गया है। वहीं दूसरी ओर फैक्ट्री में श्रमिक कर्मचारी कई वर्षोंसे लगातार काम करने के फलस्वरुप जो फैक्ट्री को एक नाम मिलता है और एक शक्ति मिलती है बाद में जब श्रमिक नौकरी छोडता है तो जितने वर्ष उसने अपने जिवनकालमें फैक्ट्री की सेवा की और उससे फैक्ट्री को सहायता मिली है। उसकी एवज में फैक्ट्री द्वारा कुछ धनराशि देने की व्यवस्था की गयी है जिसके अन्तर्गत यह प्राविधान किया गाया है कि जितने वर्ष श्रमिक वहाँ कार्य करता है उतनी ही अवधि तथा उसकी तनख्वाह के अनुसान कुछ धनराशि उसे ग्रेच्यूटी के रुप में दी जाती है इसलिए यह देखा गया है कि जब कोई वेतनभोगी व्यक्ति रिटायर होता है तो पेशेन के अतिरिक्त उसे ग्रेच्यूटी के रुप में भी कुछ धनराशि उपलब्ध करायी जाती है। इस प्रकार यदि व्यक्ति स्वेच्छा से नौकरी छोडता है तो वह भी न्यूनतम सेवा अवधि पूर्ण होने पर यह पेमेंट ऑफ ग्रेच्यूटी एक्ट 1972 के अन्तर्गत ग्रेच्यूटी का कुछ भाग प्राप्त करने का अधिकार है। यह लाभ केवल मजूदारो को ही नही मिलता बल्कि सभी प्रकार के वेतन भोगी इस अधिनियम के अन्तर्गत इसका लाभ प्राप्त करने के अधिकारी है।


आज हमनें इस लेख के माध्यम से हमारे पाठकों को उपदान संदाय अधिनियम 1972 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Rights of workers as per Payment of Gratuity Act 1972 इसके बारेमें पुरी जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। ऐसे हि कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।


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