कारखाना अधिनियम 1948 मे मजदूरों के अधिकार क्या है | कारखाना अधिनियम 1948 क्या है | What is Factories Act 1948
भारत में कारखानों के व्यावसायिक सुरक्षा सम्बन्धी नीतियाँ बनाने में और कार्यस्थल पर मजदूरों की संरक्षा, स्वास्थ्य की दक्षता आदि पर नीति निर्धारित करने के लिए सहयोग करता है। यह अधिनियम बिजली का उपयोग करने वाले और 10 या उससे अधिक श्रमिकों को काम पर रखने वाले कारखानों पर लागू होता है और यदि बिजली का उपयोग नहीं है, तो पूर्ववर्ती बारह महीनों के किसी भी दिन 20 या उससे अधिक श्रमिकों को नियोजित करता है। उनपर लागू होता है। आइये इस लेख के माध्यम से आज हम कारखाना अधिनियम 1948 क्या है | What is Factories Act 1948 क्या है और साथही कारखाना अधिनियम 1948 मे मजदूरों के अधिकार क्या है इसके बारेमें जानकारी हासिल करनेकी कोशिश करते है।
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कारखाना अधिनियम 1948 मे मजदूरों के अधिकार क्या है
कोई ऐसा व्यक्ति अथवा मजदूर जो फैक्ट्री में नौकरी करता है वह बाबू एवं अधिकारी वर्ग का नही है और जिनके कार्य की प्रकृती मजदूरी के रुप में होती है, उस व्यक्ति को इस अधिनियम के अन्तर्गत लाभ प्राप्त करने का अधिकार है। जिसके अनुसार सभी कर्मकार के लिए कैन्टन, बैठने की जगह, आराम करने के लिए स्थान, जहाँ महिलाएं काम करती है और उनके छः साल के कम उम्र के बच्चे साथ में रहते हो तो उनके लंच की व्यवस्था करना, दवाई का फस्टएडकिट इत्यादि सुविधाऐं प्राप्त करने का अधिकार होता है। इसके अतिरिक्त कर्मकार से एक सप्ताह में 48 घंण्टे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। किसी कर्मकार से लगातार 10 दिन काम नहीं करवाया जा सकता जब तक कि उसको एक दिन का अवकाश नही दिया जाये। एक दिन में नौ घण्टे से ज्यादा काम नही लिया जा सकता और सप्ताह में एक छुट्टी देनी जरूरी होगी। यदि कर्मकार एक दिन में 9 घण्टे से अधिक काम करता है या एक सप्ताह में 48 घण्टे से अधिक काम करता है तो वह उतने अधिक घण्टो का ओवर टाइम प्राप्त करने का अधिकारी होता है जो कि उसकी मजदूरी की दोगुनी होगी।
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फैक्ट्री के मालिक को मजदूरी करने वाले कर्मकारों का एक रजिस्टर अथवा एक मस्ट्रोल रखना जरूरी है। जिसमें कर्मकार का काम करने संबंधी पूर्ण ब्यौरा दिया जायेगा। फैक्ट्री में बाल श्रम को काम करने को रोक लगाने के लिए यह प्रावधान किया गाया है। इस कानून के अनूसार कर्मकार की आयु 14 वर्ष से अधिक होनी जरुरी है। यदि किसी कर्मकार ने फैक्ट्री में 240 दिन या इससे अधिक काम कर लिया है तो हर 20 दिन पर एक दिन वह वार्षिक छुट्टी के रुप में प्राप्त करने का अधिकारी रखता है।
यदि कर्मकार महिला है तो गर्भवती होने पर वह तीन माह के लगभग अर्थात 12 सप्ताह की छुट्टी प्राप्त करने की अधिकारिणी होती है। इस प्रकार इस अधिनियम द्वारा कर्मकारों को कई कानूनी अधिकार दिये गये है, जिनकी पूर्ति न करने पर संबंधित इंस्पेक्टर को शिकायत की जा सकती है जो फैक्ट्री मालिक के विरुध्द मजिस्ट्रेट के समक्ष मुकदमा चलाने के लिए परिवाद भी दायर कर सकता है।
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आज हमने इस लेख के माध्यम से कारखाना अधिनियम 1948 क्या है | What is Factories Act 1948 क्या है और साथही कारखाना अधिनियम 1948 मे मजदूरों के अधिकार क्या है इसके बारेमें जानकारी हासिल करनेकी कोशिश किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी पाने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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