समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Workers rights as per Equal Remuneration Act 1976
समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 यह 8 मार्च 1976 को भारत के सांसद में पास हुआ। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य महिला और पुरुष कर्मचारियों को समान काम करने के लिए समान वेतन देना है। साथ ही कार्यक्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ होनेवाले भेदभाव को खत्म करना इस कानून का उद्देश है। इस अधिनियम के अनुसार राज्य सरकार का यह कर्तव्य बनता है कि वह प्रत्येक महिला और पुरुष मजदूरों को एक जैसे काम करने के लिए एक जैसा मेहनताना याने मजदूरी दे। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Workers rights as per Equal Remuneration Act 1976 इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है।
समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Workers rights as per Equal Remuneration Act 1976
प्रत्येक श्रमिक चाहे वह पुरुष हो या चाहे महिला हो। दोनों को हमारे संविधान में अनुच्छेद 14 के अन्तर्गत बराबरी का अधिकार दिया गया है निश्चय ही बराबरी से केवल सामाजिक सामान्य व्यवहार ही नही है, बल्कि मजदूरी देने में भी बराबरी रखना जरुरी है। इसके लिए यह कानून बनाया गया कि जह भी कोई व्यक्ति किसी भी महिला या पुरुष से एक जैसा काम लेता है तो निश्चय ही उसको दोनों में कोई भेद नहीं करना होगा और जो भी वेतन देना होगा वह भी दोनों को बराबर देना होगा। इसलिए यदि इसमें कोई भेदभाव किया जाता है तो यह इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध होगा और ऐसे व्यक्ति को दंण्डित किया जा सकता है।
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आज हमने हमारे पाठकों को इस लेख के माध्यम से समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Workers rights as per Equal Remuneration Act 1976 इसके बारेमें जानकारी देनेका पूरा प्रयास किया है। आशा है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इसीतरह कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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