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कर्मकार प्रतिकर अधिनियम 1923 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Workers' rights as per Workmen's Compensation Act 1923

कर्मकार प्रतिकर अधिनियम 1923 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Workers' rights as per Workmen's Compensation Act 1923 



यह अधिनियम भारत के सभी क्षेत्रों में लागु होगा। इस कानून के तहत वे सभी श्रमिक जिनकी मासिक मज़दूरी 500 रु से अधिक नहीं है। इस अधिनियम के तहत वे सभी श्रमिक सम्मिलित होंगे जो कारखानों, खानो, बागानी, निर्माण कार्य, यांत्रिक परिवहन और अन्य कठिन कार्यो में कार्य कर रहे होते है। यह अधिनियम कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। 1923 से पहले भारत में औद्योगिक संस्थाओ में कार्य कर रहे लाखो मज़दूर प्रतिकर के अधिकार से पूरी तरह वंचित थे। यदि कोई कार्य करते समय किसी मज़दूर की मृत्यु हो जाती है अथवा कार्य के दौरान हुई दुर्घटनासे विकलांग हो जाता है तो इसका दायित्व नियोजको के ऊपर नहीं होता था। तो ऐसे में यदि इन मज़दूरो को कार्य करते समय दुर्घटना से क्षति होती है तो उसके लिए क्या किया जाये और  इन कमर्चारियों की दशा को सुधारने के लिए भारतीय सरकार ने कमर्चारी प्रतिकर अधिनयम को पारित किया जो की मजदूरों के लिए महत्वपूर्ण अधिनियम साबित हुआ है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम कर्मकार प्रतिकर अधिनियम 1923 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Workers' rights as per Workmen's Compensation Act 1923 इसके बारेमें जानकारी हासिल करते है।

कर्मकार प्रतिकर अधिनियम 1923 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Workers' rights as per Workmen's Compensation Act 1923 

मजदूर द्वारा काम करने में कभी-कभी काम की अधिकता को देखते हुए उससे दुर्घटना होना स्वाभाविक बात है और निश्चय ही जब काम करते हुए कोई चोट पहुँचती है तो उसको उससे क्षतिपूर्ति करने का दायित्व भी उसी व्यक्ति का है जो उस व्यक्ति से अपने फैक्ट्री में काम ले रहा है। क्योंकि जो दुर्घटना हुई है, वह काम के दौरान ही हुई है और इस काम का लाभ उसी फैक्ट्री या संस्था के मालिक को पहुँचता है और उसी काम के दौरान कोई चोट पहुँचती है तो उसके नुकसान की भरपाई का दायित्व भी उसी संस्था या फैक्ट्री के मालिक का होना चाहिए। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वर्कमैन कम्पन्सेसन एक्ट 1923 का सृजन किया गया ताकि कोई भी काम लेले वाला व्यक्ति अपने कर्मचारी या श्रमिक जिससे वह काम ले रहा है उसके दुर्घटना कोने पर जो क्षति होती है उसकी भरपाई वह कानूनी रूप से कर सके। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो उससे इस अधिनियम के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति की प्राप्ति की जा सकती है। यदि काम करते हुए किसी मजदूर का हाथ कट जाये तो उसकी क्षतिपूर्ति किस प्रकार होगी इसकी व्यापक व्यवस्था इस अधिनियम के की गयी है जिसके लिऐ ऐसे मजदूर को सक्षम अधिकारी के सम्मुख प्रारथना-पत्र देकर क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार होगा।

इस लेख के माध्यमसे आज हमने हमारे पाठकों को कर्मकार प्रतिकर अधिनियम 1923 के अनुसार मजदूरों के अधिकार | Workers' rights as per Workmen's Compensation Act 1923 इसके बारेमें जानकारी देनेका पूरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख बहोत पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी हासिल करने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।



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