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समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 | Equal Remuneration Act, 1976

समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 | Equal Remuneration Act, 1976 


इस कानून के मुताबिक हर महिला को पुरूष के समान काम करने के लिए समान वेतन का अधिकार प्राप्त होता है। समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, किसी व्यक्ति के वेतन या मजदूरी की बात हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता। तो आइये इस लेख के माध्यम से आज हम समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 | Equal Remuneration Act, 1976 इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशीश करते है।



समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 क्या है?

भारत सरकार द्वारा 8 मार्च 1976 में यह अधिनियम पास हुआ। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य महिला और पुरुष श्रमिकों के समान काम के लिए समान वेतन देना यह है। और कार्यक्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ होनेवाले सभिप्रकार के भेदभाव को खत्म करना है। यह कानून लागू होने के बाद सभी राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है कि वह प्रत्येक महिला और पुरुष को एक जैसे काम के लिए एक जैसा मेहनताना मिलना चाहिए।



अधिनियम के अंतर्गत परिभाषाएं—

1. पारिश्रमिक—

परिश्रमिक से अर्थ है की किसी व्यक्ति को उसके काम के बदले में दी जाने वाली मजदूरी या वेतन और अतिरिक्त उपलब्धियां चाहे वे नगद या वस्तु के रुप में जी गयी हो।


2. एक  ही काम या समान प्रकृति का काम—

एक ही काम या समान प्रकृति के काम से तात्पर्य ऐसे कार्य से है जिसके करने में समान मेहनत, कुशलता या जिम्मेदारी की जरुरत हो, जब वह समान परिस्थिति में किसी महिला या पुरूष द्वारा किया जाता है।



पुरूष और महिला काम करने वालों को एक ही काम या समान प्रकृति के काम के लिए मजदूरी देने के लिए मालिक के कर्तव्य –

कोई भी मालिक किसी भी मजदूर को लिंग के आधार पर एक ही काम या समान प्रकृति के काम के लिए एक समान मजदूरी या वेतन भुगतान करेगा। मजदूरी दर में अंतर नहीं करेगा।


भर्ती में लिंग के आधार पर भेदभाव—

किसी भी व्यक्ति समान प्रकृति के कार्य की भर्ती के दौरान पुरूष व महिला में लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा।पदोन्नति (प्रमोशन) अभ्यास (प्रशिक्षण) या स्थानांतरण में भी भेदभाव नहीं किया जा सकता है। परंतु अगर कोई कानून किसी कार्य में महिला की भर्ती पर रोक लगाता है, तो यह अधिनियम उस पर लागू नहीं होगा।



सलाहकार समितियां—

महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए सरकार एक या एक से ज्यादा सलाहकार समितियों का गठन करेगी, जो ऐसे प्रतिष्ठानों या केंन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित रोजगार में महिलाओं का नियोजित करने की सीमा के संबंध में सलाह देगी। सलाहकार समिति अपनी सलाह सरकार को सौंपते समय प्रतिष्ठानों में काम करने वाली महिलाओं की संख्या, काम की प्रकृति काम के घंटे और वह सभी आवश्यक बातें महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के अवसरों को बढावा देती हो उनका ध्यान रखेगी।


शिकायतें एवं दावे—

सरकार अधिसूचना द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति करेगी, जो इस अधिनियम के उल्लंघन की शिकायतें और समान मजदूरी न प्राप्त होने से संबंधित दावों की सुनवाई और उस पर फैसला देंगे। यह अधिकारी श्रम अधिकारी के पद से नीचे का काम नहीं होगा। यह अधिकारी पूरी जांच के बाद शिकायत करने वाले को समान मजदूरी के संबंध में वह रकम जिसका वह हकदार है, देने का आदेश देगा तथा यह अधिकारी मालिक को आदेस दे सकता है कि वह ऐसे कदम उठायें जिससे इस अधिनियम का पालन हो सके। अगर शिकायतकर्ता या मालिक आदेश से खुश नहीं है तो वह 30 दिन के भीतर सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी के सामने अपील कर सकते है।



रेजिस्टर—

प्रत्येक मालिक उसके द्वारा कार्य करने वालों की सूची का रजिस्टर बनायेगा।


निरीक्षक (इंस्पेक्टर)—

सरकार इस अधिनियम के अंतर्गत एक निरीक्षक करेगी, जो यह देखेगा कि इस अधिनियम के अंतर्गत दिये गये नियमों का सही ढंग से पालन हो रहा है या नहीं।


निरीक्षक किसी कार्य स्थान में जा सकता है। किसी भी व्यक्ति से पूछताछ कर सकता है और कोई भी कागजी रिकार्ड देख या मंगवा सकता है या उसकी फोटोकापी करवा सकता है। निरीक्षक जब किसी व्यक्ति को पूछताछ या कागजी रिकार्ड के संबंध में बुलाता है तो ऐसे व्यक्ति का आना जरुरी है।



दंण्ड एवं सजा—

इस अधिनियम के अंतर्गत अगर कोई भी मालिक—

    1. अपने मजदूरी का रजिस्टर सुरक्षित नहीं रखता है
    2. किसी भी तरह का कागजी रिकार्ड जो मजदूरों से संबंध रखता है, पेश नहीं करता।
    3. किसी मजदूर को पेश होने से रोकता है।
    4. कोई सूचना देने से इंकार करता है, तो उसे एक महीने की जेल एवं 10 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।



इस तरह अगर कोई मालिक किसी मजदूर को—

    1. समान मजदूरी नियम का उल्लंघन करके भर्ती करता है।
    2. वेतन में लिंग के आधार पर भेदभाव करता है।
    3. किसी भी प्रकार का लिंग भेदभाव करता है।
    4. सरकार के आदेशों का पालन नहीं करता है।



तो उसे कम से कम 10 हजार रुपये और अधिक से अधिक 20 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है या कम से कम तीन महीने और अधिक से अधिक एक साल तक की जेल या दोनों भी हो सकती है। अगर वह व्यक्ति दुबारा ऐसे अपराध का दोषी पाया जाता है तो उसे दो साल तक की जेल हो सकती है।


अगर कोई भी व्यक्ति मालिक के कहने पर कोई भी कागजी रिकार्ड छिपाता है या उपलब्ध कराने से इंकार करता है तो उसे पांच सौ रुपये का जुर्मानाहो सकता है।



कंपनी द्वारा अपराध—

अगर यह अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया हो तो वह व्यक्ति जो उस समय कंपनी के कार्य को देख रहा हो और जिसका कंपनी के कार्य पर पूर्ण रुप से नियंत्रण हो, वह व्यक्ति और कंपनी जिम्मेदार माने जाएंगे।



आज हमने इस लेख के माध्यम से हमारे पाठकों को समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 | Equal Remuneration Act, 1976 इसके बारेमें जानकारी देनेका प्रयास कीया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी सिखने के लिये आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।



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