चेक बाउंस केस से जुडे कुछ महत्वपूर्ण सवाल | Some important questions related to check bounce case
अक्सर हमें कई लोग चेक बाऊन्स के संबंधीत कई सवाल पुछते है। जिनका जवाब हम उन्हे देते है। लेकिन चेक बाउंस से जुडे जरूरी कानूनी प्रावधान इससे पहले इस पोर्टल पर लेख के माध्यम से आप लोगों के साथ उन महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किए है। उन जानकारी को आप जरूर पढियेगा। लेकिन चेक बाउंस से जुडे काफी सवाल हमारे पास आते रहते हैं। आइए इस लेख के माध्यम से आज चेक बाउंस केस से जुडे कुछ महत्वपूर्ण सवाल | Some important questions related to check bounce case और उनके जवाब क्या है इनके बारमें जानेंगे।
क्या ब्लैंक चेक के लिए चेक बाउंस का केस बनता है?
माननिय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अनेको फैसलों सें यह साफ किया है कि अगर किसी व्यक्ति नें किसी देनदारी के तहत चेक पर बस साइन करके किसी को दिया है तो सामने वाला व्यक्ति देनदारी के हिसाब से उस चेक को भर सकता है और उस चेक को बैंक मे जमा कर सकता है। और उसके साथ अगर चेक बाऊन्स हो जाता है तो वह आप के उपर चेक बाउंस का केस कर सकता है। हाल ही में भी Kalemani Te & vs P.Balasubramanian मे माननिय सर्वोच्च न्यायालय ने 10 फरवारी 2021 को इस मुद्दे को साफ किया था।
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क्या Sidnature Mismatch के लिए चेक बाउंस का केस बनता है?
जी हां। Laxmi Dyechem vs State of Gujrat मे 27 नवंबर 2012 को माननिय सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा था की अगर चेक पर कि गई सिगनेचर मिसमैच की स्थिति में भी यदि चेक वापीस आता है तो भी चेक बाउंस का केस बनता सकता है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि बस अकाउंट में पैसे ना होने की स्थिति में चेक बाउंस का केस बनता हैं। ध्यान दें कि यदी अकाउंट क्लोज होने की स्थिति में भी चेक बाउंस का केस बनता है।
यदि आपने किसी का गारंटर बनकर अपना चेक दिया है तो क्या आपके खिलाफ चेक बाउंस का केस बनता है?
जी हां, अगर किसी ओर व्यक्ति की देनदारी की जिम्मेदारी किसी व्यक्ति ने ले ली है और जिम्मेदारी के तहत आपने बैंक खाते का अपना चेक सामने वाली पार्टी को दे देता है तो एसे स्थिती में भी उस व्यक्ति के खिलाफ चेक बाऊ बाऊन्स का केस बन सकता है। माननिय सर्वोच्च न्यायालय ने I.C.D.S. Ltd 1. Beena Shabeer मामले में सन 2002 में ये बात साफ की थी। के यदी गारंटर बनकर अपना चेक दिया है तो भी चेक बाउंस का केस बनता है।
क्या चेक बाउंस के केस में Accused को Complainant का cross-examination करने का अधिकार हैं?
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 145(2) के तहत accused कोर्ट में एप्लीकेशन फाइल करके complainant का cross-examination करने के लिए अनुमति ले सकता है। कई बार कोर्ट मात्र oral arguments के आधार पर भी ऐसी इजाजत दे देते हैं।
क्या एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के खिलाफ अलग-अलग कोर्ट में चेक बाउंस के केस कर सकता हैं?
नेगोशिएबल इस्ट्रोमेंट्स एक्ट की धारा 142 के अनुसार अगर शिकायतकर्ता ने किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी कोर्ट में कोई चेक बाउंस का केस दाखिल किया है और शिकायतकर्ता उस व्यक्ति के खिलाफ कुछ और चेक बाउंस के केस भी दाखिल करना चाहता है तो उसे आगे के सारे केस पहली अदालत के समक्ष ही दाखिल करने होंगे। इस प्रावधान के बारे में लोगों में काफी कम जागरूकता हैं।
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क्या 30 दिन के भीतर लीगल नोटिस भेजने में देरी को कोर्ट के द्वारा माफ किया जा सकता हैं?
बिल्कुल नहीं। बैंक से चेक रिटर्न मेमो मिलने के 30 दिन के भीतर अगर आप सामने वाली पार्टी को लीगल नोटिस नहीं भेजते हैं तो ऐसी स्थिति में या तो आपको चेक को दोबारा बाउंस करना पडेगा अगर चेक पर की तारीख वैलिडिटी समय मे मौजूद है या फिर आप चेक बाउंस केस दाखिल करने का अधिकार खो देते हैं। हालांकि सिविल केस फाइल करने का विक्लप आपके पास मौजूद रहता है।
इस लेख के माध्यम से आज हमने चेक बाउंस केस से जुडे कुछ महत्वपूर्ण सवाल | Some important questions related to check bounce case और उनके जवाब क्या है उनके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश कि है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकरी के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य व्हिजीट करें। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया है और आप अपना सवाल पुछना चाहते है, तो आप निचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय और अपना सवाल पुछ सकते है।
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