संम्पत्ति से जबरन निकालें जाने पर कौन सा सिविल कानून इस्तेमाल करें | sampatti se jabaran nikale jane par kounsa civil case kare
आज कल बदलती जिवनशैली के वजह से समाज में संपत्ति याने प्रॉपर्टी से जुडे अपराधों के संख्या में लगातार बढत हो रही है। जैसे की फर्जी और जाली कागजात बनाके लोगों को लूट लिया जाता है। इसके साथ ही ऐसे भी अनेकों मामले अदालतों में आतें हैं जिनमें बाहुबली याने समाज के बडे गुंडों से या आसामाजिक तत्वों द्वारा बंदूक और हथियारों के ताकत पर आम आदमी डरा धमका कर उसे उसके संपत्ति से निकाल दिया जाता है। तो आइसे इस तरह जबरन बेदखली के मामलों में कौन सा सिविल कानून इस्तेमाल किया जाना चाहिए यह सभी को जानना चाहिए और संम्पत्ति से जबरन निकालें जाने पर कौन सा सिविल कानून इस्तेमाल करें इसके बारे में इस लेख के माध्यम से आज हम चर्चा करेंगे।
विशिष्ट राहत अधिनियम (Specific Relief Act)
- यह अधिनियम शीघ्र न्याय हेतु भारत की संसद द्वारा बनाया गया था जो काफी कामयाब भी रहा है। इस कानून को खासकर तभी इस्तमाल किया जाता है जब मात्र मुआवजे से नुकसान की भरपाई न हो सके। इसकी मदद से संबंधित पक्ष कोर्ट से याचना कर सकता है कि सामने वाली पार्टी को कॉन्ट्रैक्ट का पालन करवाने को बाध्य किया जाए। बस यहांपर समस्या यह है कि इस कानून को लेकर न केवल आम लोगों में बल्कि वकीलों में भी जागरूकता बेहद कम है।
- यह एक्ट उन लोगो को उपलब्ध उपायों को निर्धारित करता है जिनके कॉन्ट्रैक्ट संबंधी या नागरिक अधिकारों का उल्लंघन किया गाया हो। यह अधिनियम संपत्ति के कब्जे की रिकवरी के लिए भी व्यवस्था करता है। इस अधिनियम की धारा 5,6 अचल संम्पत्ति की रिकवरी के बारे में प्रावधान देती है तथा धारा 7,8 चल संम्पत्ति के रिकवरी के बारे में प्रावधान देती है।
- यह भी पढे- क्या दाखिल खारिज का मतलब मालिकाना हक्क नहीं
धारा 6 : कब्जे की बहाली
जब किसी व्यक्ति को संपत्ति से जबरन गैरकानूनी तरीके से निकाल दिया जाता है तब इस अधिनियम की धारा 6 उस व्यक्ति को कब्जे बहाली का समाधान देती है।
- ऐसा कोई भी मुकदमा किसी संपत्ति से निकाले जाने पर 6 महीने के अंदर फाइल करना होता है वरना फिर केस को सिविल प्रक्रिया के माध्यम से फाइल करना पडता है जिसकी प्रक्रिया लंबी होती है।
- इस धारा के अंतर्गत सरकार के विरूध्द कोई दावा नहीं लाया जा सकता है। यह धारा केवल आम नागरिकों को एक दूसरे से संरक्षण प्रदान करती है और पीडितों को शीघ्र न्याय देने के उद्देश्य से बनाई गई है।
- यह भी पढे- बेनामी संपत्ति क्या है?
धारा से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें
- इस धारा 6 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति केस कर सकता है भले ही वह संपत्ति का मालिक हो या उस संपत्ति का किराएदार हो या उस संपत्ति का पट्टेदार हो।
- इस धारा के तहत यदि कोर्ट द्वारा किसी भी प्रकार का आदेश पारित कर दिया जाता है या कोई डिक्री पारित कर दी जाती है तो ऐसी डिक्री के विरूध्द किसी भी प्रकार की कोई अपील नहीं की जा सकती।
- यह भी पढे- वसीयत को चुनौती देने के सात तरीके
कानूनी सलाह
- यह सब चर्चा हमने बस सिविल कानून के बारे में की है। ध्यान रखें कि जबरन प्रॉपर्टी से निकाले जाने पर पुलिस को लिखित शिकायत भी अवश्य दें और क्रिमिनल कारवाई की मांग भी करें।
- अवैध कब्जे के ज्यादातर मामले तब देखने को मिलते है जब मालिक थोडा लापरवाह होता है और अपनी प्रॉपर्टी को छोड देता है या ध्यान नहीं देता। इसलिए आपकी जमीन का, चाहे वह रिहायसी हो या खेती की, बडी सावधानी से ध्यान रखें और समय समय पर विजिट करतें रहें।
- यह भी पढे सिविल मौत (Civil Death) क्या होती है?
इस लेख के माध्यम से आज हमने हमारे पाठकों को संम्पत्ति से जबरन निकालें जाने पर कौन सा सिविल कानून इस्तेमाल करें इसके बरें में चर्चा की है। आशा है हमारें पाठकों को यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो आप अपनी राय नीचे कमेंट में पुछ सकते है। इसी तरह कानूनी जानकारी पाने के लिए और सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
यह भी पढे
- सभि दस्तावेजोका संपूर्ण मार्गदर्शन | Deeds And Documents
- दस्तावेजो के नमुने | प्रारूप | Format of Deeds ans Documents
- चेक बाऊन्स केसेस संबंधीत संपूर्ण मार्गदर्शन | Cheque Bounce Case Procedure
- पारिवारिक कानून को सिखे और समझे | Family Law in Hindi
- फौजदारी कानून का संपूर्ण मार्गदर्शन | Criminal Law In Hindi
- भारतीय दंड संहिता (I.P.C.) को सिखे और समझे
- सिविल कानून का मार्गदर्शन | Civil Law
- सामाजिक और कानूनी लेख तथा मार्गदर्शन | Social And Legal Articals
थोडा मनोरंजन के लिए
0 टिप्पणियाँ