क्या बेदखली प्रक्रिया की कोई कानूनी मान्यता है? | बेदखली क्या होता है?
वैसे देखा जाए तो बच्चों और मां-बाप के बिच का संबंध अटूट होता है। लेकिन कई बार ना चाहते हुए भी कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जिन के वजाह से माता-पिता अपने किसी बच्चे को अपने संपत्ति से बेदखल कर देते हैं। ऐसा अक्सर तब होता है जब कोई बच्चा असामाजिक या गैरकानूनी गतिविधियों में पड गया हो अथवा वह अ्पने माता-पिता के कहे-सुनने से बाहर हो गया हो।
आमतौर पर बेदखली के सबसे ज्यादा मामले हमारे देश में दहेज के केस से बचने के लिए देखने को मिलते हैं। जब कोई पत्नी अपने पति के ऊपर दहेज और अन्य मामले दर्ज कराती है तो पति अक्सर अपने माता-पिता को बचाने के लिए खुद को उनरे संपत्ति से बेदखल करवा लेता है। परंतु यह प्रक्रिया असल में कितनी असरदार है आइए इसके बारेमे जानने की कोशिश करते है।
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बेदखली क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति किसी को अपनी जिंदगी के साथ-साथ अपनी संपत्ति से दूर रखना चाहता है तो उस व्यक्ति को अपनी चल-अचल संपत्ति से बाहर करने के लिए तथा अन्य सभी संबंधों को खत्म करने के लिए जो कानूनी प्रक्रिया की जाती है उसे बेदखली कहते हैं। कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को जो उसका वारिस है उसे अपनी संपत्ति से बेदखल करने की प्रक्रिया कर सकता हैं। कई बार तो यह भी देखा जाता है कि जब पति या पत्नी सरकारी नौकरी में होते हैं तो दहेज या तलाक का केस कोर्ट में चलने पर एक दुसरे को अपनी सर्विस बेनिफिट से बेदखल कर देते हैं।
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बेदखली की प्रक्रिया और कानून
- यह बात ठीक से समझ लें कि बेदखली को लेकर भारत में कोई भी विशिष्ट कानून उपलब्द नहीं हैं। किसी भी कानून में बेदखली की कोई भी प्रक्रिया नहीं दी गई हैं।
- आमतौर पर लोग अपने बच्चे या किसी निजी व्यक्ति को अपने वकील साहब के माध्यम से बेदखल करवाते हैं। ऐसे में वकील साहब के द्वारा अखबार में लिखित नोटिस निकलवाया जाता है कि उनका क्लाइंट अमुक किसी व्यक्ति को जो उसका कोई उत्तराधिकारी हो सकता है उसे अपनी चल और अचल संपत्ति से बेदखल कर रहा है तखा उसे कोई सामाजिक रिश्ता नहीं रखेना चाहता है। अगर उस व्यक्ति का भविष में किसी दुसरे अंन्य व्यक्ति के साथ कोई लेन-देन या कोई अनुबंद होता है तो उसके लिए मेरा क्लाइंट जिम्मेदार नहीं होगा। परंतु यह अपने आप में बिल्कुल एक अधूरी प्रक्रिया है क्योंकि इसके लिए कोई खास कानूनी असर नहीं होता।
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पैतृक संपत्ति के संबंध मे बेदखली
- हर पुत्र को अपने जन्म से ही, अपने पिता से स्वतंत्र, पैतृक संपत्ति में अधिकार प्राप्त होता है। अब तो नए कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मद्देनजर एक बेटी को भी पैतृक संपत्ति में पुत्र के बराबर अधिकार प्राप्त होता हैं। कोई भी माता-पिता अपने किसी भी बच्चे को पैतृक संपत्ति से बैदखल नहीं कर सकते। पैतृक संपत्ति के मामले में की गई बेदखली की कोई भी प्रक्रिया बिलकुल अमांन्य है।
- पैतृक संपत्ति के संबंध में कोई भी वसीयत नहीं बनाई जा सकती। अगर कोई माता-पिता अपने किसी बच्चे को वसीयत के माध्यम से पैतृक संपत्ति से बेदखल करना चाहते है तो वह बिलकुल अमान्य है।
स्वय अर्जित संपत्ति के संबंध में बेदखली
- अगर माता-पिता की अपनी स्वय अर्जित संपत्ति है तो उस संपत्ति में किसी भी बच्चे का कोई भी कानूनी अधिकार नही होता। ऐसी संपत्ति को माता-पिता वसीयत या गिफ्त-डीड के माध्यम से किसी को भी दे सकते हैं।
- यदि माता-पिता ने अपनी कोई वसीयत या गिफ्ट डिड नहीं बनाई है और एसी परिस्थिति मे उनका मृत्यु हो जाता है तो उनके मृत्यु के बाद उस संपत्ति में उनके बच्चें उत्तराधिकारी होते हैं बेशक उन्हे अपने माता-पिता के द्वारा बेदखल किया जा चुका हो। इसलिए इस बात को ठीक से समझ लें कि मात्र बेदखली से किसी का उत्तराधिकार खत्म नहीं हो जाता।
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कुछ जरुरी बातें
- मां-बाप अपने किसी नाबालिक बच्चे को बेदखल करके, धारा 125 सीआरपीसी के तहत अपनी भरण-पोषण की जिम्मेदारी से मुक्त नही हो सकते।
- भारत में कोई भी कानून माता-पिता को अपने व्यस्क बेटे द्वारा लिए गए ऋण का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं बनाता है। तो ऐसै मामले में माता-पिता को कोई खास कानूनी कदम उठाने की आवश्यक्ता नहीं होती।
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कानूनी सलाह
- समाचार पत्रों में सिर्फ बेदखली की धोषणा प्रकाशित करवाने से कोई खास कानूनी प्रभाव नहीं होते हैं। यह बस आपके इरादों को सार्वजनि करने का माध्यम होता है। कि बेदखल किए, गए व्यक्ति के किसी भी काम के लिए उसके माता-पिता जिम्मेदार नहीं होंगें।
- अगर कोई व्यक्ति अपनी स्वयं अर्जित संपत्ति से किसी को बेदखल करना चाहता हैं तो आपको समाचार पत्रों में प्रकाशन के अलावा भी कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए।
- एक मात्र उध्दोषण का सभी कानूनी रुप से प्रासंगिक पारिवारिक संबंधों को तोडने के लिए कोई सकारात्मक कानूनी प्रभाव नहीं होता हैं। ध्यान रखें कि दहेज घरेलू-हिंसा या खर्चों के मामलों में मात्र बेदखली के आधार पर पत्नी को उसके वैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। इन मुकदमों को बाकी अन्य ठोस आधारों पर लडा जाना चाहिएं।
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इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठको को क्या बेदखली प्रक्रिया की कोई कानूनी मान्यता है? | बेदखल क्या होता है? इसके बारेमे जानकारी देने की कोशिश कि है। आशा है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह के कानूनी जानकारी के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com को आवश्य भेट दें।
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