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एक्जीक्यूटिव मॅजिस्ट्रैट द्वारा तलाशी का वारंट कैसे जारी करतें हैं? | Section 97 of CRPC in Hindi

एक्जीक्यूटिव मॅजिस्ट्रैट द्वारा तलाशी का वारंट कैसे जारी करतें हैं? | Section 97 of CRPC in Hindi



कानून मे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआऱपीसी) के तहत एक्जीक्यूटिव मॅजिस्ट्रैटस को काफी शक्तियां प्राप्त होते हैं। उन शक्तियों के माध्यमसे वे कानून व्यवस्था के रखरखाव में, आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए तथा नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए वे अहम भूमिका निभाते हैं। सी.आर.पी.सी. के तहत काफी सारी ऐसी याचिकाएं होती हैं जो एक्जीक्यूटिव मेजिस्ट्रेट के समक्ष लगाई जा सकती हैं। लेकिन आम लोगों में इस कानून के लेकर जानकारी के बारेमे का काफी अभाव है। काफी लोगों कों तो इन याचिकाओं का इस्तेमाल कैसे करते है इसके बारे मे वे नहीं जानते या फिर वे इसतरह के याचिकाएं कोर्ट के समक्ष लगा देते है। आइए आज हम इस लेख के माध्यम से  बंधक व्यक्ति की खोज के लिए तलाशी का वारंट कैसे जारी करतें हैं? इसके बारेमें जानेने की कोशिश करते हैं।

सीआरपीसी की धारा 97 क्या है?

  1. इस धारा 97 में यह प्रावधान दिया गया है कि यदि किसी डि.एम., एस.डि.एम. या किसी भी प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के पास यह विश्वास करने का कारण है कि कोई व्यक्ति ऐसी परिस्थितियों में बंधक बनाया गया है. जिन में हिरासत एक अपराध के बराबर है, तो वह एक तलाशी-वारंट जारी कर सकता है।
  2. जिस किसी भी व्यक्ति को इसतरह का तलाशी-वारंट निर्देशित किया गया है, वह इस प्रकार बंधक व्यक्ति की आदेशानुसार तलाश करता है और यदि व्यक्ति पाया जाता है, तो उसे तुरंत मजिस्ट्रेट के समक्ष ले जाया जाता है। फिर मामले की परिस्थितियों के हिसाब से मजिस्ट्रेट आवेदन पर उचित आदेश देता है।
  3. यहां ध्यान दे कि यदि किसी महिला का अथवा नाबालिग लडकी का किसी गैर कानूनी काम के लिए अपहरण किया गया हो या उसे कैद किया गाया हो तो उसके लिए सीआरपीसी की धारा 98 में अलग से प्रावधान दिए गए है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के मां. न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने एक केस में यह टिप्पणी की थी कि सी.आर.पी.सी. की धारा 97 केवल एक मृत-पत्र बन कर रह गई है। इस केस में याचिका कर्ता ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी को उसके ससुर ने गैर कानूनी तरीके से बंदी बना लिया है ताकि याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी को एक साथ वैवैहिक जीवन जीने से रोका जा सके। सुनवाई के दौरान मां. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी क्योकि इस तरह के मामले में सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों लगाई गई। इस पर याचिका कर्ता के वकील ने दलील दी थी कि याचिकाकर्ता को पुलिस से कोई मदद नहीं मिली और ज्यादातर निचली अदालतें या तो लॉकडाउन की वजह से बंद हैं या वहां पर काफी लंबी तारीक मिल रही हैं। इस तरह के दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने सलाह दी कि सीआरपीसी की धारा 97 का सहारा क्यों नहीं लिया गया जिसका अदालतों से कोई लेना देना नहीं है। इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने धारा 97 का सहारा लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका अनुमति सहित वापस ले ली।



इस लेख के माध्यम से आज हमने बंधक व्यक्ति की खोज के लिए तलाशी का वारंट कैसे जारी करतें हैं? इसके बारेमे जानने की कोशिश की है। आशा है के आपको यह लेख पसंद आया होगा, ऐसे ही कानूनी जानकारी को सिखने के लिए हमारे ब्लॉग apanahindi.com को व्हिजीट करते रहे।




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