Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

मोटर दुर्घटना क्लेम के संबंध में संपूर्ण जानकारी | Complete information regarding motor accident claim

मोटर दुर्घटना क्लेम के संबंध में संपूर्ण जानकारी | Complete information regarding motor accident claim



भारत में अन्य देशों की अपेक्षा सडक दुर्घटनाओँ में मरने वालों की संख्या कहिं अधिक है। शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जब समाचार पत्रों में देश के किसी न किसी भाग में भीषण दुर्घटना के परिणामस्वरूप कई व्यक्तियों के मरने एवं गम्भीर रुप से घायल होने के समाचार न प्रकाशित होते हों। स्थिति यह है इस देश में प्रत्येक 10 मिनट में मोटर दुर्घटना के कारण किसी एक व्यक्ति की मृत्यु होती है। मोटर दुर्गटना में केवल दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति ही प्रभावित नही होता बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए अपूर्णनीय क्षति होती है। वास्तव में पूरे समाज के हित में पीडित परिवारों को हुई क्षति के लिए शीघ्र और उपयुक्त प्रतिकर उपलब्ध कराने की आवश्यक्ता है। तो आईये इस लेख के माध्यमस आज हम मोटर दुर्घटना क्लेम के संबंध में संपूर्ण जानकारी | Complete information regarding motor accident claim हासिल करने की पुरी कोशिश करते है।


यह भी पढे- चैकों का अनादरण क्या है


मोटर दुर्घटनाओं के कारण :-

मोटर दुर्घटनाओं का मुख्य कारण संम्बन्धित व्यक्तिओं और विशेषकर वाहन चालक की गलती तथा असावधानी होती है। वाहन चालक के पास अपेक्षित अनुभव व योक्यता का न होना, उसका सतर्क और सावधान न होना, नशे या नींद में होना या बिना विश्राम किये लगातार लम्बी अवधितक वाहन चलाना आदि मोटर दुर्घटना के महत्वपूर्ण कारण है। निर्णारित गति से कही अधिक तेजीसे तथा लापरवाही से वाहन चलाना तथा निर्धारित संख्या से अधिक सवारिया बैठाना या भर ले जाना  भी दुर्घटना के कारण हो सकते है। कभी-कभ पीडित व्यक्ति की स्वयं की लापरवाही, वाहनों में तकनीकी खारबी, सडकों की खराब दशा, यातायात संकेतों का अभाव आदि भी दुर्घटना के कारण बन जाते है।


मोटर वाहन अधिनियम 1988 में मोटर दुर्घटना की रोखथाम के उद्देश्य से कई उपयोगी प्राविधान किये गये है। और यदि इन प्राविधानों का अनुपालन ठिक ढंग से किया जाय तो अवश्य ही काफी हद तक मोटर दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लायी जा सकती है।



मोटर दुर्घटना क्या है?

कोई भी वाहन जो किसी मशीनी शक्ति से चलाया जाय और उसे सडक पर चलाये जाने के योग्य बना लिया जाय, चाहे वह शक्ति किसी बाहरी स्त्रोत से ले जाय या वह शक्ति वाहन के अन्तर्गत ही किसी स्त्रोत से ली जाय मोटर वाहन कहलाता है। इस प्रकार बस, ट्रक, सडक कूटने वाला रोलड, कार, ट्रैक्टर, मोटर साइकिल, मोपेड आदि मोटर वाहन की श्रेणी में आते है और इन वाहनों द्वारा सडक पर चलते हुए अथवा खडे किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा अन्य किसी वाहन से सीधे या अन्य किसी प्रकार से टक्कर हो जाती है तो उसे मोटर दुर्घटना कहा जाता है।



प्रतिकर प्राप्ति का अधिकार :-

प्रत्येक दुर्घटना से जब किसी व्यक्ति को क्षति पहुंचती है तो विधि के अनुसार उसे क्षति पहुचाने वाले व्यक्ति से क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार होता है। इस प्रकार मोटर दुर्घटना संम्बन्धी समभी मामलों में पीडित व्यक्ति अथवा पीडित परिवार मोटर वाहन अधिनियम के प्रविधानों के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है। 



प्रतिकर भुगतान का उत्तरदायित्व :-

दुर्घटना में हुई क्षति के लिए प्रतिकर के भुगतान का प्राथमिक दायित्व दुर्घटना करने वाले वाहन के स्वामी अथवा चालक का होता है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 146 के अन्तर्गत परपक्ष (Third Party) बीमा पालिसी प्राप्त करना अनिवार्य है और यदि किसी वाहन स्वामी द्वरा परपक्ष बीमा पालिसी प्राप्त किये बिना मोटर वाहन सार्वजनिक सडक पर चलाया जाता है तो वह अधिनियम की धारा 196 के अन्तर्गत दण्डनीय है। वाहन का परपक्ष बीमा होने की दाशा में प्रतिकर के भुगतान का दायित्व बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार वाहन स्वामी के बजाय सम्बन्धित बीमा कम्पनी का हो जाता है। शासकीय वाहनों तथा राज्य सडक परिवहन निगम के वाहनों तथा अन्य स्थानीय प्राधिकरणो के वाहनों के सम्बन्ध में कुछ शर्तों के अधीन अनिवार्य परपक्ष बीमा पालिसी की शर्तो से छूट मिल सकती है और इसी प्राविधान के अन्तर्गत शासकीय वाहनों और राज्य सडक परिवहन निगम की गाडियों से हुई दुर्घटनाओं से सम्बन्धित देय प्रतिकर के भुगतान का दायित्व शासन और इसी प्रकार राज्य सडक परिवहन निगम का ही होता हौ।



यदि दुर्घटना करने वाले वाहन का विवरण मालूम न हो तो क्या करें :-

कुछ ऐसे मोटर वाहन भी होते है जिनके चालक दुर्घटना के पश्चात वाहन को तुरन्त भगा ले जाते है और यह पता नही चल पाता है कि दुर्घटना किस वाहन से हुई और पिणामस्वरूप वाहन स्वामी और बीमा पॉलिसी के विषय में जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती। ऐसी दुर्घटना के लिए भारत सरकार द्वारा तोषण निधि योजना 1989 (Solatium Scheme 1989) बनायी गयी है। इस योजना के अन्तर्गत दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु होने की दशा में मृतक के आश्रितों को रु 25,000/- और गम्भीर रुप से घायल व्यक्ति को रु. 12,500/- प्रतिकर के रुप में दियाये जाने की व्यवस्था है। इस योजना के अन्तर्गत सम्बन्धित पीडित व्यक्ति / मृतक के आश्रित द्वारा दुर्घटना के छः माह के भीतर निर्घारित प्रारुप पर प्रार्थना-पत्र अधिकृत जांच अधिकारी (उप-जिल्हाधिकारी) के समक्ष प्रस्तुत किये अपनी संस्तुति जिल्हाधिकारी को प्रस्तुत की जाती है। जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार करके क्लेम सेटलमेंन्ट कमिशन (जिल्हाधिकारी) द्वारा नियमानुसार प्रतिकर धनराशि दिलाये जाने के लिये आवश्यक आदेश दिये जाते है। और इस धनराशि के भुगतान का दायित्व उस बीमा कम्पनी का होता है जो इस दायित्व के निर्वहन के लिए भारत सरकार द्वारा नामित की गयी।



यदि दुर्घटना करने वाले व्यक्ति का विवरण ज्ञात हो :-

यदि दुर्घटना करने वाले व्यक्ति का विवरण ज्ञात हो या हो सके तो ऐसी स्थिति में मोटर वाहन अधिनियम के अन्तर्गत गठित सम्बन्धित मोटर दुर्घटना क्लेम्स ट्रिब्युनल के समक्ष मोट वाहन स्वामी, वाहन चालक और सम्बन्धित बीमा कम्पनी के विरुध्द प्रतिकर वाद प्रस्तुत किया जा सकता है। ऐसा वाद केवल रु. 10/- कोर्ट फीस टिकट लगाकर निर्धारित प्रारुप पर प्रस्तुत किया जा सकता है। वह वाद जिस जनपद में दुर्घटना हुई हो उस जनपद में गठित अधिकरण या उस जनपद में जहाँ वाद प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति रहता है अथवा व्यवसाय करता हो, प्रस्तुत किया जा सकता है। प्रतिकर वाद ऐसे जनपदों में भी किया जा सकता है जिसकी सीमा में दूसरा पक्ष (वाहन स्वामी) निवास करता हो। मोटर यान अधिनियम में वर्ष 1994 में हुये संशोधन के अनुसार प्रतिकर वाद को सम्बन्धित प्रतिकर अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किये जाने के लिए कोई सीमा निर्धारित नही की गयी है। परन्तु स्वयं पीडित व्यक्ति और परिवार के हित में है कि दुर्घटना के शीघ्र बाद ही प्रतिकर वाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाय।



प्रतिकर वाद में प्रस्तुत किये जाने वाले अभिलेख एवं विवारण :-

प्रतिकर वाद को सफलतापूर्वक सिध्द करने के लिये यह आवश्यक है कि निम्नलिखित अभिलेखों एंव विवरण को प्राप्त कर प्रस्तुत किया जाये :-

    1. प्रार्थीगण का नाम, पिता का नाम, पूरा पता, उम्र और व्यावसाय।
    2. दुर्घटना कारित करने वाले वाहन स्वामी व चालक का नाम व पता।
    3. दुर्घटना कारित करने वाले वाहन जिस बीमा कम्पनी से बीमाकृत हो उसका नाम पता तथा बीमा पॉलिसी की प्रतिलिपि।
    4. दुर्घटना कारित करने वाले वाहन चालक के ड्राइविंग लाइसेन्स की फोटो प्रतिलिपि।
    5. दुर्घटना कारित करने वाले वाहन के रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र की फोटो अथवा प्रतिलिपि।
    6. दुर्घटना की तारीख, समय और स्थान।
    7. प्रत्येक प्रार्थीगण का मृतक से संम्बन्ध (यदि दुर्घटना में मृत्यु हुई हो)
    8. मृतक की आयु, आय तथा आश्रितों के नाम, पते एव मृतक से सम्बन्ध।
    9. दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की चोटों की प्रकृति एवं इंजरी रिपोर्ट 
    10. मांगी गयी प्रतिकर की धनराशि और उसके लिए उपयुक्त आधार।



अभिलेखों की प्राप्ति में कठिनाई :-

सामान्य तौर पर पीडित व्यक्ति परिवारों को आवश्यक अभिलेख और विवरण प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है और इस कठिनाई के कारण ही प्रतिकर वाद प्रस्तुत करने और सफलतापूर्वक सिध्द करने में विलम्ब होता है। यह कठिनाई विशेष तौर पर ईस कारण होती है कि वाहन स्वामी इस सम्बन्ध में अपेक्षित सहयोग नहीं देता और वादी द्वारा इन अभिलेखों को प्राप्त करने के लिए काफी भटकना पडता है।


मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 158 (6) के अन्तर्गत जिस पुलिस थाना क्षेत्र के अंन्तर्गत दुर्घटना हउई हो उस थाने की पुलिस को यह कानूनी अधिकार दिया गया है कि इस संदर्भ में दुर्घटना करने वाले वाहन से सम्बन्धित अपेक्षित अभिलेख और विवरण वाहन के चालक और स्वामी से प्राप्त करें। इस प्राविधान के अन्तर्गत पुलिस का यह दायित्व है कि दुर्घटना से सम्बन्धित आवश्यक रिपोर्ट सम्बन्धित प्रतिकर अधिकरण को प्रस्तुत करें और सम्बन्धित वादी अथवा बीमा कम्पनी को अनुरोध और निर्धारित फीस के जमा करने पर वाहन से सम्बन्धित अपेक्षित अभिलेख एवं विवरण उन्हे उपलब्ध करायें।


यह भी उल्लेखनीय है कि वादकारियों के हित में उच्च न्यायालय द्वारा सभी मजिस्ट्रेट न्यायालयों को यह कडे निर्देश दिये गये है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन को उन्मोचित करने से पूर्व वाहन से सम्बन्धित रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र, बीमा पॉलिली, चालक का ड्राइविंग लाइसेन्स आदि आवश्यक कागजात की प्रतियां प्राप्त करे। ताकि सम्बन्धित व्यक्तियों को इन अभिलेखों की सत्यापित प्रतियां उपलब्ध करायी जा सके। इस सम्बनध में यह भी उल्लेखनीय है कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय से भी इस विषय में आवश्यक सहायता प्राप्त की जा सकती है।


यह भी पढे- वसीयत संबंधी कानूनी प्रावधान


गलती न होने की दशा में प्रतिकर ;-

मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 140 के अनुसार यदि दुर्घटना करने वाले मोटर वाहन द्वारा कोई गलती न भी की गयी हो फिर भी मृत्यु कारित किये जाने की दशा में मृतक के आश्रितों को रुपये 50,000/- प्रतिकर के रुप में संम्बन्धित न्यायालय द्वारा प्रदान करने हेतु आदेश किये जा सकते है।


प्रतिकर धनराशि ;-

मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 163—क में यह विशेष प्राविधान किया गया है कि दावाकर्ता को अपनी याचिका में यह प्रमाणित करने की कोई आवश्यक्ता नही है कि मोटर दुर्घटना करने वाले वाहन के चालक की कोई गलती थी अथवा नहीं और इस प्राविधान में यह मानकर प्रतिकर की राशि निश्चित की गयी है कि दुर्घटना में दूसरे पक्ष की ही गलती थी। इस तालिका में प्रतिकर की राशि मृत व्यक्ति की आयु तथा आय को ध्यान में रखते हुए निश्चित की गयी है और इसके लिये सुविधा की दृष्टि से एक तालिका में विभिन्न आयु के व्यक्तियों की मोटर दुर्घटना में मृत्यु होने पर देय प्रतिकर की धनराशि दर्शायी गयी है जिसके अनुसार प्रतिकर निर्घारण किया जाता है। प्रतिकर से सम्बन्धित सामन्य प्रावधान उक्त अधिनिमय की धारा 168 में किया गाया है।



गुणांक पध्दति के आधार पर प्रतिकर का निर्धारण :-

विभिन्न परिस्थितियों में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा गुणांक पध्दति (5 से 18 तक) निर्धारित की गयी है जिसमें मृतक की आयु उस पर आश्रित व्यक्तियों की संख्या तथा मृतक के भविष्य की प्रगति के अवसर को भी ध्यान में रखकर प्रतिकर निर्धारित किया जाता है प्रतिकर प्राप्त करने वाले को यह विकल्प प्राप्त होता है कि वह धारा 163—ए के अन्तर्गत तालिका में अंकित प्रतिकर की धनराशि हेतु अनुरोध करें विबिन्न परिस्थिति में दुर्घटना करने वाले की गलती को प्रमाणित करते हुए प्रतिकर की धनराशि प्राप्त करने हेतु अनुरोध करें।


यह भी पढे- जनहित याचिका क्या है? 


प्रतिकर वाद में निर्णय के विरुध्द अपील करने के लिये समय सीमा :-

दावा अधिकरण के विरुध्द उच्च न्यायायल में अपील प्रस्तुत रने की 90 दिन की अवधि निर्धारित है और प्रमाणित व कारण दिखाने पर निर्धारित समय के बाद भी उच्च न्यायालय की अनुमति से अपील प्रस्तुत की जा सकती है।



क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा आदेशित प्रतिकर कैसे प्राप्त करें :-

क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा आदेशित प्रतिकर की धनराशि यदि सम्बन्धित पक्षकार द्वारा निर्धारित अवधि में प्रदान नहीं की जाती है तो परिवादी द्वारा सम्बन्धित ट्रिब्यूनल में प्रतिकर की धनराशि भू-राजस्व के बकाया की भाति वसूली करने हेतु कलेक्टर को आदेश जारी करता है।



इस लेख के माध्यमसे आज हमने हमारे पाठको को मोटर दुर्घटना क्लेम के संबंध में संपूर्ण जानकारी | Complete information regarding motor accident claim देने का पुरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी हासिल करने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्या भेट दे।



यह भी पढे


थोडा मनोरंजन के लिए


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ