जमानती और गैर जमानती अपराध क्या है? | What is Bailable and Non-Bailable Offence?
समाज मे दिन ब दिन अपराध बढते जा रहे है। यदि हम अपराध अपराध क्यो होते है इस की बारेमे सोचने लगे तो इसकी काफी लम्बी लिश्ट तैयार होगी| हालाँकि, देखाजाए तो कुछ लोग अपराध भावनाओ में, आवेग में, क्रोध में अथवा बचाव में कर बैठते है | जबकि कुछ लोग अपनी अपराधी प्रवृत्ति मे अथवा स्वभाव और संस्कारों के कारण करते है। वे लोग अपने कृत्यों को जायज मानते है और अपने अपराध करने के तरीके को योजनाबद्ध तरीके से करते है। वे लोग अपराध करने के आदी हो जाते है और डरने के बजाए वे साम दाम दंड का इस्तेमाल कर डराने में यकीन रखते है। इस तरह के अपराध को क्रिमिनल प्रोसिजर कोड मे दो श्रेणी मे विभाजन किया गया है। एक जमानती अपराध जिसे अंग्रेजी मे Bailable Offence कहते है। और दुसरा गैर-जमानती अपराध जिसे अंग्रेजीमे Non-Bailable Offence कहते है। इस लेख मे हम यही अपराधो के श्रेणी बारेमे जानकारी हासील करने वाले है।
जमानती अपराध (Bailable)
क्रिमिनल प्रोसिजर कोड की प्रथम अनुसूची में जमानतीय अपराधों के बारेमे उल्लेख किया गया है। जमानती अपराधों में मारपीट, धमकी, लापरवाही से मौत, लापरवाही से गाड़ी चलाना, जैसे अनेर मामले शामील हैं। ऐसे अपराधों को जमानती बताया गया है। यह अपराध वक्त के हिसाब से जो अपराध कम गंभीर है उन्हे इसमे शामील किया गया है। इस तहर के अपराध के मामलो मे अपराधि को जमानत पर रिह करना पुलिस अधिकारी एवं न्यायालय का कर्त्तव्य है। सीआरपीसी की धारा 436 के अनूसार जमानती अपराध में कोर्ट द्वारा अपराधी की जमानत का आवेदन स्विकार किया जाता है।
गैर जमानती अपराध (Non-Bailable)
जो अपराध जमानती अपराध मे नही आते है उन अपराध को गैर-जमानती अपराध कहते है। सामान्य रुप से गंभीर प्रकृति के अपराधों को ग़ैर-ज़मानती अपराध बनाया गया है। इस तरह के अपराधों में आरोपी को ज़मानत पर रिहा करना चाहीए अथवा रिहा नहीं करना चाहिए यह कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है। उदहारण के लिये, गृह-भेदन, मर्डर, अपराधिक न्यास भंग आदि ग़ैर-ज़मानती अपराध हैं। इन अपराधो मे जमानत क्रिमिनल प्रोसिजर कोड की धारा 437 के अनुसार प्रथम वर्ग न्यायदंडाधिकारी इनके पास आवेदन करके किया जा सकते है। और धारा 438, 439 के अंतर्गत सेशन कोर्ट मे जमानत मिलने के लिए आवेदन कर सकते है।
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गैर-जमानती अपराधों में डकैती, लूट, रेप, हत्या की कोशिश, फिरौती के लिए अपहरण और गैर इरादतन हत्या जैसे अपराध शामिल किए गये है| इस तरह के जमानती मामलों में अदालत के समक्ष तथ्य पेश किए जाते हैं और कोर्ट जमानत पर निर्णय लिया जाता है। यदी आरोपी कस्टडी मे है तब गैर-जमानती अपराध के मामलो को आरोपी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होना पड़ता है। इस तरह के मामले में आरोपी व्यक्ति को फांसी अथवा उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। इसकी वजाह से आरोपी कही भाग के न जाए, इसलिये आरोपी व्यक्ति को बेल नहीं दिया जाता।
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