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जमानत क्या होता है? | What Is Bail? | जमानत कि शर्ते क्या होती है

जमानत क्या होता है? | What Is Bail? | जमानत कि शर्ते क्या होती है


परिचय

क्रिमिनल प्रोसिजर कोड 1973 के चाप्टर 33 मे जमानत के बारेमे प्रावधान बताये गये है। इसमे कौन से अपराध के नुसार कौनसे कोर्ट मे जमानत के लिये आवेदन किया जा सकता है, इसके बारेमे पुरी जानकारी बताई गई है। इस लेख मे हम जमानत क्या होता है ओर जमानत के कितने प्रकार होते है इसकते बारेमे जानकारी हासिल करने वाले है।



जमानत क्या होता है? | What Is Bail? :-

जब भी कभी कोई अपराध होता है तब पुलिस को उसकी सुचना देने के बाद पुलिस द्वारा एफ.आय.आर. दर्ज कर लिया जाता है। जैसे की इंसान से जानें या अनजानें में कोई अपराध होता है, अथवा किसी कारणवश बदले की भावना से कोई व्यक्ती किसी दुसरे व्यक्ति को झूठे केस में फंसा देता है। ऐसी परिस्थिति में उस व्यक्ति को पुलिस द्वारा एफ.आय.आर. दर्ज करने के बाद गिरफ्तार कर लिया जाता है अथवा गिरफ्तार करने का डर होता है। ऐसे परिस्थिती में उस व्यक्ति के सामनें जमानत लेने के अलावा कोई दुसरा विकल्प नही होता है अर्थात उस व्यक्ति को कानूनन जमानत लेने का अधिकार होता है। इसके बारे मे क्रिमिनल प्रोसिजर कोड 1973 के चाप्टर 33 मे धारा 436 से 439 तक बाताया गया है।



यहाँ पर एक बात ध्यान मे रखने लायक यह है के कई ऐसे प्रकरण होते है जिनमे आसानी से जमानत नहीं मिलती। हालाँकि, आम आदमी को जमानत से सम्बन्धित जानकारी बहुत कम होती है। तो ऐसे परिस्थिती मे आम आदमी को जमानत के बारेमे जानकारी होना बहोत जरूरी होता है। तो आईये जानते है जमानत कितने प्रकार के होते है और जमानत कैसे मिलती है ?



जमानत किसे कहते है? :-

जब भी किसी आरोपी व्यक्ति को जमानत पर जेल से छुड़ाने के लिए न्यायालय के समक्ष आवेदन करने के बाद न्यायालय द्वारा उस आवेदन पर आदेश किया जाता है। और एक जामिनदार द्वारा उसकी संपत्ति को न्यायालय मे जमानत के तौर पर दि जाती है और उसके शपथपत्र के साथ जो बॉन्ड भरा जाता है, उसे जमानत कहा जाता है।


जमानत का पुरा प्रोसिजर होने के बाद न्यायालय निश्चिंत हो जाता है कि आरोपी व्यक्ति उसके केस की हर सुनवाई को अवश्य उपस्थित रहेगा| यदि वह केस के सुनवाई के दौरान न्यायालय में उपस्थित नही रेहता है तो उसके जमानत के बॉन्ड पर जितनी रकम है जमानत देने वाले व्यक्ती से वसूल कर लि जाएगी। और उसकी जमानत जब्त कर ली जाएगी।



जमानत कि शर्ते क्या होती है | What is Conditional bail in Hindi

किसी अपराधि द्वारा आवेदन किए जाने पर न्यायालय अपराधि को अपनी हिरासत से मुक्त करने का आदेश देता है। लेकिन, कुछ शर्तों के साथ – जैसे

(i) एक अथवा दो व्यक्ति द्वारा जमानत के रुप मे तय राशि का बंधपत्र याने बॉन्ड जमा करने पर न्यायालय उस बॉन्ड की जांच करता है और संतुष्ट होने पर ही अपराधि को रिहा किया जाता है।

(ii) अपराधि को किसी भी प्रकार से वैयक्तीक अथवा किसी दुसरे व्यक्ती के माध्यम से सरकारी गवाह से मिलने अथवा उन्हे कॉम्प्रोमाईज करने के लिऐ, डराने धमकाने के लिऐ, फुसलाने के लिऐ, अदालत मे पेश होने के लिऐ रोकने के लिए, पाबंधी लगा सकते है।

(iii) हप्ते मे एक बार अथवा दो बार नजदिकी पुलीस थाने मे हाजीर होने का हुकूम दे सकते है।

(iv) आरोपी को केस के हर सुनवाई के तारिख को हाजीर होने के लिऐ कहती है।

(v) और बिना कोर्ट के इजाजत से परदेश जाने से रोक लगा दिया जाता है।


यदी आरोपी उपर के कोई भी शर्तो का पलन नही करता है तो कोर्ट आरोपी की जमानत रद्द कर सकती है और आरोपी को जेल के हिरासत मे लेती है।


जमानत के प्रकार कितने है | Types Of Bail:-

जमानत के दो प्रकार होते है, व इस प्रकार है-

 

1.अग्रिम जमानत | Anticipatory bail:-

यदि किसी आरोपी को अंदेशा हो कि किसी मामले में उसे गिरफ्तार किया जा सकता है, तो वह आरोपी गिरफ्तारी से बचने के लिए क्रिमिनल प्रोसिजर कोड 1973 की धारा-438 के तहत अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय से मांग कर सकता है। 


जब किसी आरोपी को न्यायालय द्वारा जमानत दी जाती है, ओर उसे पर्सनल बॉन्ड के अलावा जमानती पेश करने के लिए कहा जा सकता है। तब उसे जितनी राशि का जमानती पेश करने के लिए कहा जाए तो आरोपी को उतनी राशि की जमानती पेश करने पर उसे जमानत पर रिहा किया जाता है।


2.रेग्युलर बेल | Regular Bail:-

जब भी किसी आरोपी के खिलाफ नॉन-बेलेबल और कॉग्निजेबल केस दायर होती है। और वह आरोपी पुलिस के हिरासत जांच पुरी होने के बाद न्यायालय के हिरासत मे भेज दिया जाता है। तब उसके आरोपी सीआर.पी.सी की धारा- 439 के तहत अदालत मे जमानत के लिऐ मांग कर सकता है। उस समय ट्रायल कोर्ट याने सेशन कोर्ट अथवा या हाई कोर्ट मेरिट के आधार पर जमानत के आवेदन पर निर्णय लेता है।और आरोपी को रेगुलर बेल दी जाती है। इसके लिए आरोपी को जमानत देकर दिए गए निर्देशों का पालन करना होता है।


जमानत मिलने के लिऐ मापदंड | Bail Criteria:-

अदालतों में जमानत देने के मापदंड काफी अलग-अलग होते हैं। कुछ अपराध की गंभीरता पर, तो कई क़ानूनी कार्रवाई पर निर्भर करते है। मान लीजिए के किसी गंभीर अपराध में 10 साल के सजा का प्रावधान दिया गाया है और पुलिस को उसमे 90 दिन के अंदर न्यायालय मे आरोप पत्र दाखिल करना होता है। यदि 90 दिनो के भीतर पुलिस द्वारा न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया जाता है तो आरोपी को जमानत लेने का अधिकारी होता है।


जमानत कैसे मिलती है? | Process of Bail:-

उपर दिए गए जानकारी यह जमानत क्या है और उसके प्रकार के बारे मे है। लेकीन जमानत कैसे मिलती है यह जान ने के लिए हमने इस्से पहले एक लेख लिखा है जिसमे बेल एप्लिकेशन की सुनवाई कैसे होती है? इसके बारेमे बताया गया है। जिसमे यह जानकारी मिलेगी के जमानत कैसे होती है।


इन सभी जानकारी से हमे यह अंदाजा लगा सकते है के हमारे पाठको को जमानत के बारेमे पुरी जानकारी हासिल हो गई है। यदि आपको यह जानकारी पसंद आए तो आप हमारे इस जानकारी को अपने दोस्तोमे शेयर करे। 





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