पॉक्सो एक्ट क्या है? | What is POCSO Act in Hindi | पॉक्सो एक्ट में सजा
परिचय
आये दिन समाज मे नाबालीक बच्चो पर यौन शोषण जैसे घिनोने अपराध बढते जा रहे है हम ईसके बारेमे रोजाना अखबार मे और न्यूज चॅनल मे देखते और सुनते आ रहे है। लेकिन, हमारे देश में इसको रोकने के लिए कानूनी प्रावधान मौजूद होते हुवे भी इस्तरह के अपराध कम होने के बजाय बढते जा रहे है| आज के समाज मे बच्चों पर होने वाले यौन शोषण जैसे अपराध एक चिंता का विषय बन गया है।
इसी तरह कई सालो से बच्चो के खिलाफ हो रहे यौन शोषण पर ध्यान आकर्षित करने के लिये और चुप्पी को तोड़ने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए गए हैं। इसी का एक परिणाम यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012, यह अधिनियम सामने आया है ओर एक ऐतिहासिक कानून बनाया गया है। इस कानून को The Protection Of Children From Sexual Offences Act 2012 कहते हैं इस में कुल 46 धाराएं हैं। यह कानून 14 नवंम्बर 2012 से लागू किया गया है।
- यह भी पढे- आईपीसी धारा 279 क्या है
इस लेख मे पॉक्सो एक्ट क्या है | POCSO Act in Hindi इसके के बारे में जानकारी हासिल करने वाले है। साथ ही इसमे क्या प्रावधान बताये गए हैं, इनके बारे में चर्चा करेगे
पॉक्सो एक्ट क्या हैः-
यह पोक्सो एक्ट जिसको The Protection Of Children From Sexual Offences Act 2012 इस नाम से जाना जाता है इसे बच्चों का यौन शोषण जैसे अपराधों से संरक्षण करने के लिए बनाया गया है। इस कानून को महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा साल 2012 मे बनाया गया है। इस कानून के माध्यम से नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे अंन्य यौन संबंधित अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कडी कार्रवाई की जाती है। इस कानून मे अलग-अलग अपराधो के खिलाफ अलग-अलग सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है।
पॉक्सो कानून कहाँ लागू होता हैः-
यह कानून पूरे भारत देश मे लागू होता है, इस कनून के अनूसार जो भी अपराध है उन की सुनवाई, विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता अथवा उन लोगों को जिन पर वह बच्चा भरोसा रखता है उनकी उपस्थिति में अपराध कि सुनवाई की जाती है।
पॉक्सो एक्ट में सजा | पॉक्सो कानून में फांसी देने का प्रावधानः-
सरकार द्वारा कैबिनेट की बैठक मे प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट में बदलाव की बात कही गई और यह फैसला लिया गया कि, इस कानून के अंतर्गत 12 साल से कम उम्र वाली लड़कियों पर बलात्कार करनेवाले देषियों को मौत की सजा दी जाएगी। और इस पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी। केंद्रीय कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में सरकार द्वारा बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम 2012 में बदलाव लाया गया और दोषियों को फांसी की सजा देने के लिये अध्यादेश जारी किया गया है।
कानून मे हुवे बदलाव के कारण इसके बाद कोई भी अपराधि वह 12 वर्ष अथवा उससे कम उम्र वाली बच्चीयों के साथ दुष्कर्म जैसे अपराध करने के आरोप मे अपराधि को मौत की सजा देने का प्रावधान दिया गया है। इस कानून के पेहले वाले प्रावधानों की बात की जाये तो उसके मुताबिक दोषियों के लिए जादा से जादा उम्रकैद और कम से कम 7 साल के जेल की सजा सुनाई जाती थी। इस कानून में 18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिक बच्चों से चाहे वह नाबालिक बच्चा लडका हो अथवा लडकी किसी भी तरह का यौन यौन शोषण इसमे शामिल है। इसमे खास बात यह है के इस कानून मे अपराधि चाहे पुरूष हो सकता है अथवा महिला दोषी हो सकते है।
- यह भी पढे-इन्डेम्निटी बांड | Indemnity Bond
लड़की अथवा लड़का दोनों भी इस कानून के दायरे में शामिलः-
इस कानून के दायरे मे लड़की हो अथवा लड़का दोनों बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाव करने के लिये बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन को मंजूरी दी है | इस संशोधित कानून में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा का प्रावधान दिया गया है | इसके अलावा बाल यौन उत्पीड़न के अन्य अपराधों की भी सजा कड़ी करने के लिये भी प्रस्ताव रखा गया है|
- यह भी पढे- जमानत क्या होता है? | What Is Bail?
पोक्सो कानून के अन्तर्गत मीडिया के लिए विशेष दिशा निर्देशः-
- इस कानून के धारा 20 के अनुसार मीडिया के लिए यह विशेष दिशा निर्देश है कि, किसी भी बालक के लैंगिक शोषण संबंधी किसी भी प्रकार की सामग्री जो उसके पास उपलब्ध हो सकती है, वह स्थानीय पुलिस द्वारा मांग करने पर उपलब्ध करवाएगा। यदि ऐसा ना करे तो यह कृत्य अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा।
- कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार के मीडिया अथवा स्टूडियों अथवा फोटोग्राफी सुविधाओं से पूर्ण और अधिप्रमाणित किए गए सूचना के बिना किसी भी बालक के सम्बन्ध में कोई रिपोर्ट अथवा कोई टिप्पणी नहीं करेगा, जिससे उस बालक की प्रतिष्ठा का हनन हो अथवा उसकी गोपनीयता का उल्लंघन होता हों।
- किसी भी मीडिया से कोई भी रिपोर्ट जिसमे बालक की पहचान जिसके अन्तर्गत उसका नाम, पता, फोटोचित्र, उसके परिवार का विवरण अथवा विध्यालय, पङौसी यो का नाम अथवा किन्हीं जैसे अन्य विवरण को प्रकाशित नहीं किया जायेगा।
- परन्तु कोई ऐसा कारण जो के अभिलिखित किये जाने के पश्चात सक्षम विशेष न्यायालय की अनुमति प्राप्त कर के किया जा सकेगा यदि उनके राय में ऐसे प्रकरण बालक के हित में हो।
- मीडिया अथवा स्टूडियों का प्रकाशक अथवा मालिक संयुक्त और व्यक्तिगत रूप से अपने कर्मचारीयों के किसी भी कार्य के लिए उत्तरदायी होगा। इन प्रावधानों का उल्लंघन किए जाने पर अपराधिको 6 माह से 1 वर्ष के कारावास अथवा जुर्माने अथवा दोनों से दण्डित किया जायेगा।
- यह भी पढे- आई.पी.सी. धारा 304 B क्या है?
पॉक्सो कानून के अनूसार मेडिकल जाँच कैसे किया जायेगाः-
इस कानून के अनूसार रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस द्वारा पीड़ित को 24 घंटो के अन्दर बाल कल्याण समिति के सामने लाया जाए, जिससे पीड़ित की सुरक्षा के लिए जरुरी कदम उठाये जा सके, इसके साथ ही पीडिता की मेडिकल जाँच करवाना भी अनिवार्य हैं | यह मेडिकल जाँच पीडिता के माता-पिता अथवा किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में किया जायेगा जिस पर बच्चे का विश्वास हो, और अगर पीड़िता लड़की है, तो उसकी मेडिकल जाँच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जानी चाहिए |
पास्को कानून से कैसे बचेंः-
इस कानून से बचने का कोई भी मार्ग नहीं है। हालाँकि, अगर ये साबित होता है कि पीडिता की उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है ऐसे साबित करने के बाद ही केवल इस धारा को हटाया जायेगा अन्यथा किसी भी सूरत में पास्को कानून से नहीं बचा जा सकता |
पोक्सो कानून मे प्रमुख विशेषताएं:-
- इस अधिनियम के अनूसार पीडित को 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है।
- यह अधिनियम लिंग तटस्थ है, इसका अर्थ यह है कि अपराध और अपराधियों के शिकार चाहे वह पुरुष, महिला अथवा तीसरे लिंग के हो सकते हैं।
- यह एक नाबालिग बच्चे के साथ किये गए सभी यौन गतिविधियों को अपराध माना गया है। और उनकी यौन सहमति की उम्र को 16 साल से बढा कर 18 साल तक कर देता है।
- इस अधिनियम में यह भी बताया गया है कि, यौन शोषण में शारीरिक संपर्क शामिल हो सकता है या शामिल नहीं भी हो सकता है|
- यह अधिनियम बच्चों के बयान को दर्ज कराते समय और विशेष अदालत द्वारा बच्चे के बयान के दौरान, जांच एजेंसी द्वारा विशेष प्रक्रियाओं का पालन कराता है।
- अधिनियम के तहत यौन अपराध के बारे में पुलिस को रिपोर्ट करना सभी के लिए अनिवार्य है, और इस कानून में गैर-रिपोर्टिंग याने झुटी खबर देने के लिए दंड का प्रावधान भी शामिल किया गया है।
- इस अधिनियम में मीडिया को यह सुचना देता है के किसी भी बच्चे की पहचान जिसके खिलाफ यौन शोषण जैसा अपराध किया गया है, उसका किसीभी तरह खुलासा नहीं किया जायेगा ।
- बच्चों को पूर्व-परीक्षण चरण और परीक्षण चरण के दौरान अनुवादकों, दुभाषियों, विशेष शिक्षकों, विशेषज्ञों, समर्थन व्यक्तियों और गैर-सरकारी संगठनों के रूप में अन्य विशेष सहायता प्रदान की जानी है।
- बच्चे अपनी पसंद अथवा मुफ्त कानूनी सहायता के वकील द्वारा कानूनी प्रतिनिधित्व के लिए हकदार हैं।
- इस अधिनियम में पीडिता के लिए पुनर्वास का उपाय भी शामिल किया गया हैं, जैसे कि पीडित बच्चे के लिए मुआवजे और बाल कल्याण समिति की भागीदारी भी शामिल किया गया है ।
यह भी पढे
- सभि दस्तावेजोका संपूर्ण मार्गदर्शन | Deeds And Documents
- दस्तावेजो के नमुने | प्रारूप | Format of Deeds ans Documents
- चेक बाऊन्स केसेस संबंधीत संपूर्ण मार्गदर्शन | Cheque Bounce Case Procedure
- पारिवारिक कानून को सिखे और समझे | Family Law in Hindi
- फौजदारी कानून का संपूर्ण मार्गदर्शन | Criminal Law In Hindi
- भारतीय दंड संहिता (I.P.C.) को सिखे और समझे
- सिविल कानून का मार्गदर्शन | Civil Law
- सामाजिक और कानूनी लेख तथा मार्गदर्शन | Social And Legal Articals
थोडा मनोरंजन के लिए
0 टिप्पणियाँ