पीडित क्षतिपूर्ति योजना 2011 | पीडित किसे केहते है | Victim Compensation Scheme 2011 | Who is victim?
समाजमे दिन ब दिन अपराध बढते जा रहे है। और इस अपराध के वजाह से बहोतसे लोगोंपर अत्याचार हो रहे हैं। इसी अपराध के वजह से जिन पीडित व्यक्तियोंका नुकसान हुवा है उनके लिए सरकार द्वारार नुकसान भरपाई किया जाता है। और उन्हे मनोधैर्य दिया जाता है। तो आईये इस लेख के माध्यम से आज हम हमारे पाठकों को पीडित क्षतिपूर्ति योजना 2011 | पीडित किसे केहते है | Victim Compensation Scheme 2011 | Who is victim? इसेक बारेमें पुरी जानकार देनेका प्रयास करते है।
- यह भी पढे- दहेज और कानून | दहेज क्या है?
पीडित किसे केहते है।
वह व्यक्ति जो किसी अपराध के कारण उसे नुकसान या क्षति हुई हो तथा इसके अंतर्गत उसके आश्रित परिवारजन भी शामिल है। अथवा वह व्यक्ति जो स्वयं कोई नुकसान या क्षति सहा हो अथवा किसी अपराध के फलस्वरूप जिसे चोट आई हो एवं जिसे पुनर्वासकी आवश्यक्ता हो, इसके अंतर्गत पीडित के आश्रित परिवारजन भी शामिल है।
क्षतिपूर्ति के लिए अर्हताएं:-
निम्नलिखित अर्हताएं पुर्ण करने वाला पीडित व्यकित या उसका आश्रित इस योजना के अंतर्गत श्रतिपूर्ति के पात्र होंगे।
पीडित को चोट अथवा क्षति के कारण उसके परिवार की आय में पर्याप्त कमी हो गयी हो, जिसके कारण आर्थिक सहायता के बिना परिवार का जीवन यापन कठिन हो गया हो अथवा मानसिक / शारीरिक चोट के उपचार में उसे उसके सामर्थ्य से ज्यादा व्यय करना पडता हो।
पीडित अथवा उसके परिजन द्वारा अपराध की रिपोर्ट संबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी / कार्यपालिका दण्डधिकारी / न्यायिक दण्डाधिकारी को बिना अनुचित विलम्ब के किया गाया हो।
पीडित / आश्रित व्यक्ति अपराध की विवेचना एवं अभियोजन कार्यवाही में क्रमशः पुलिस एवं अभियोजन पक्ष का सहयोग करता हो।
- यह भी पढे- क्या सीआरपीसी 125 एक आपराधिक मामला है?
क्षतिपूर्ति की स्वीकृती की प्रक्रिया:-
अधिनियम की धारा 357 के अंतर्गत जब किसी सक्षम न्यायालय के द्वारा क्षतिपूर्ति की अनुशंसा की जाती है अथवा धारा 357 ए की उपधारा 4 के अंतर्गत किसी पीडित व्यक्ति अथवा उसके आश्रित के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जाता है तब उक्त प्राधिकरण संबंधित पुलिस अधीक्षक से परामर्श तथा समुचित जांच पश्चात तथ्य एवं दावे की पुष्टि करेगा तथा 02 माह के अंदर जंच पूर्ण कर योजना के प्रावधानों के अनुरूप पर्याप्त क्षतिपूर्ति की घोषणा करेगा।
इस योजना के अंतर्गत क्षतिपूर्ति का भुगतान इस शर्त पर किया जायेगा कि यदि बाद में निर्णय पारित करते हुए विचारण न्यायालय आरोपित व्यक्तियों द्वारा अधिनियम की धारा 357 के उप नियम 3 के अंतर्गत क्षतिपूर्ति दिये जाने हेतु आदेशित करता है तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पूर्व में घोषित क्षतिपूर्ति को उसमें समायोजित किया जावेगा। इस आशय का एक वचन पत्र पीडित / दावेदार द्वारा क्षतिपूर्ति के भुगतान के पूर्व दिया जायेगा।
- यह भी पढे- निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 क्या है
जिला विधिक सेवा प्राधिकारण द्वारा पीडित या उसके आश्रित के लिए क्षतिपूर्ति की राशि निर्धारित करने में पीडित को हुए नुकसान, उपचार खर्च, पुनर्वास हेतु आवश्यक न्यूनतम निर्वाह राशि तत्समय लागू न्यूनतम मजदूरी एवं अन्य प्रासंगित व्यय जैसे अंत्येष्टि व्यय इत्यादि को ध्यान में रखा जायेगा। तथ्यों के आधार पर क्षतिपूर्ति की राशि में प्रकरण दर प्रकरण भिन्नता हो सकती है।
पीडित व्यक्ति द्वारा प्रश्नाधीन अपराध के संबंध में किसी अन्य स्त्रोत जैसे बीमा राशि, अनुग्रह राशि अथवा केंन्द्र/राज्य सरकार के किसी अधिनियम / योजनान्तर्गत भुगतान से प्राप्त क्षतिपूर्ति को इस योजना अंतर्गत क्षतिपूर्ति के अंश के रुप में माना जायेगा तथा इस योजनान्तर्गत घोषित क्षतिपूर्ति के विरुध्द समायोजित किया जायेगा।
पीडित अथवा उसके आश्रितों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की अधिकतम सीमा अनुसूची में दि गयी राशि से अधिक नहीं होगी।
मोटर यान अधिनियम 1988 के अंतर्गत शामिल प्रकरणों को जिनमें मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा क्षतिपूर्ति का आदेश दिया जाना है, इस योजना में शामिल नहीं किया जायेगा।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पीडित व्यक्ति के कष्ट को कम करने के लिए, संबंधित थाना प्रभारी अथवा क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट के प्रमाण पत्र के आधार पर पीडित व्यक्ति को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा सुविधा अथवा निःशुल्क चिकित्सा लाभ अथवा अन्य अंतरिम सहायता जैसा भी उचित हो, उपलब्ध कराने हेतु आदेशित कर सकता है।
- यह भी पढे- कोर्ट में प्राइवेट कंप्लेंट कैसे फाइल करे?
परिसीमन:-
अधिनियम की धारा 357 ए की उपधारा 4 के अंतर्गत पीडित अथवा उसके आश्रितों के द्वारा प्रस्तुत कोई आवेदन चोट/क्षति कारित किये जाने की एक एक वर्ष की समयावधि के पश्चात ग्राह्य नहीं होगा।
अपील:-
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा किसी पीडित अथवा उसके परिवारजन को क्षतिपूर्ति देने से इंकार करने की दश में वह व्यक्ति 90 दिनों के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में अपील प्रस्तुत कर सकता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को यदि संतुष्टि हो तो तत्संबंधी कारणों का उल्लेख करते हुए अपील प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब की अवधि को माफ कर सकता है।
- यह भी पढे-झूठा शपथ पत्र देने पर सजा
अनुसूती
क्षतिपूर्ति की अधिकतम सीमा
1. जीवन की क्षति – रुपये 1,00,000/-
2. एसीड अटैक के कारण शरीर के अंग या भाग के 80 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांगता या गंभीर क्षति – रुपये 50,000/-
3. शरीर के अंग या भाग की क्षति परिणामस्वरुप 40 प्रतिशत से अधिक एवं 80 प्रतिशत से कम विकलांगता – रुपये 25,000/-
4. अवयस्क का बलात्कार – 50,000/-
5. बलात्कार – रुपये 25,000/-
6. पुनर्वास – रुपये 20,000/-
7. शरीर के अंग या भाग की क्षति परिणामस्वरुप 40 प्रतिशत से कम विकलांगता – रुपये 10,000/-
8. महिलाओं एवं बच्चों के मानव तस्करी जैसे मामलों में गंभीर मानसिक पीडा के कारण क्षति – रुपये 20,000/-
9. साधारण क्षति या चोट से पीडित बच्चे – रुपये 10,000/-
- यह भी पढे- बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत कैसे करें?
इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को पीडित क्षतिपूर्ति योजना 2011 | पीडित किसे केहते है | Victim Compensation Scheme 2011 | Who is victim? इसके बारेमें संपुर्ण जनाकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी सिखने के लिए हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।
यह भी पढे
- सभि दस्तावेजोका संपूर्ण मार्गदर्शन | Deeds And Documents
- दस्तावेजो के नमुने | प्रारूप | Format of Deeds ans Documents
- चेक बाऊन्स केसेस संबंधीत संपूर्ण मार्गदर्शन | Cheque Bounce Case Procedure
- पारिवारिक कानून को सिखे और समझे | Family Law in Hindi
- फौजदारी कानून का संपूर्ण मार्गदर्शन | Criminal Law In Hindi
- भारतीय दंड संहिता (I.P.C.) को सिखे और समझे
- सिविल कानून का मार्गदर्शन | Civil Law
- सामाजिक और कानूनी लेख तथा मार्गदर्शन | Social And Legal Articals
थोडा मनोरंजन के लिए
0 टिप्पणियाँ