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कोर्ट में प्राइवेट कंप्लेंट कैसे फाइल करे? | How to file a criminal case in court in Hindi | Cr.P.C. section 156(3) | कोर्ट में परिवाद

कोर्ट में प्राइवेट कंप्लेंट कैसे फाइल करे? | How to file a criminal case in court in Hindi | Cr.P.C. section 156(3) | कोर्ट में परिवाद


Photo by EKATERINA BOLOVTSOVA from Pexels


परिचय,

    जब कही गंभीर अपराध को अंजाम दिया जाता है। तब उसकी खबर नजदिकी पुलिस स्टेशन मे दी जाती है। तभी पुलिस स्टेशन का प्रभारी अधिकारी जिसे अंग्रेजीमे ऑफिसर ईंचार्ज ऑफ पुलिस स्टेशन भी कहते है। उनके द्वारा उस अपराध को लिखीत स्वरूपमे लेकर फरियाद बनाई जाती है। जिसे अंग्रेजीमे फस्ट ईन्फोरमेशन रिपोर्ट याने एफ.आय.आर. कहते है। एफ.आय.आर. यह क्रिमीनल प्रोसिजर कोड 1973 के सेक्शन 154 के तहद दर्ज कि जाती है। मगर कभी-कभी हालात एसे आते है के मानो कंप्लेंट देनके बावजूद एफ.आय.आर. दर्ज करानेसे मना किया जाता है। एस परिस्थिती मे एक आम ईनसान को क्या करना चाहीए। और वह कोर्ट में प्राइवेट कंप्लेंट कैसे फाइल करे? साथही वह कौन-कौन से कानुनी दावपेच का ईसतेमाल करके एफ.आय.आर. दायर कार सकता है। यही बात को हम आज ईस लेख मे समझनेवाले है।


    

पुलिस स्टेशन मे ईन्फोरमेशन देनेके बावजूद पुलिस द्वारा एफ.आय.आर. दर्ज करानेसे ईनकार किया जाता है। तो एसेमे एक आम ईनसान को सबसे पहले यह देखना चाहिए के अपराध कॉग्नीझेबल याने संगीन अपराध है या नही। अगर अपराध संगीन है तो पहले वह पुलिस से रिक्वेस्ट करे के अपराध संगीन किस्माका है ईसे दर्ज करे। अगर एसेमेभी अगर अपराध दर्ज नही किया जाता है। तब एक आम ईनसान अपने कंप्लेंट को एक कागजपर पर लिखकर अथवा कॉम्प्यूटर द्वारा टाईप करके एक अप्लिकेशन याने की अवेदन बना सकते है। और उस आवेदन को पुलिस वरिष्ठ अधिकारी अथवा पुलिस कमिश्नर को रजिस्टर पोस्ट द्वारा भेज सकते है अथवा प्रत्यक्ष वरिष्ट अधिकारी से मिलकर उन्हे दे सकते है और महत्व मद्दा यह है के यादसे उस कंपलेंट को उस कार्यालय के ईनवर्ड विभाग मे एंटरी करवाना है और उस कार्यालय से ईनवर्ड नंबर लेना है जिसे एक्नोलेजमेंट भी कहते है। ईस के बारेमे कानून मे प्रावधान है जोके क्रिमीनल प्रोसिजर कोड सेक्शन 154 के सब सेक्शन (3) मे बताया गया है।

    क्रिमीनल प्रोसिजर कोड सेक्शन 154 के सब सेक्शन (3) के नूसान आवेदन करनेके बाद वरिष्ट अधिकारी द्वारा पुलिस स्टेशन को पत्र भेजा जाता है जिसके साथ आवेदन को जोड दिया जाता है। और कहा जाता है के ईस आवेदन मे जो कंप्लेंट है उसपर संग्यान लिया जाए और कंपलेनंट को बूलवाकर एफ.आय.आर. दर्ज किया जाए। साथ ही आगेकी कार्यवाही करनेकी भी आज्ञा दी जाती है। फिर उसके कुछ दिनो के बाद पुलिस स्टेशन से कॉल आएगा और आपको पुलिस स्टेशन बुलवाया जाएगा जिसके तहद एफ.आय.आर दर्ज की जाएगी।


    यदी उपर कहनेके मुताबिक पुलिस स्टेशन से कोई कॉल ना आए अथवा कोई बुलावा ना आए। और आपको लगे के यहे जो अपराध हुवा है वह गंभीर अपराध मे आता है। तब आप एक क्रिमीनल प्रेक्टिशनर ॲडव्होकेट के पास जाकर उनके द्वारा सलाह ले और यह जंच ले के जो अपराध हुवा है वह कॉग्नीझेबल अपराध मे आता है के नही याने गंभीर अपराध मे आता है या नही। अगर यह गंभीर अपराध मे आता है तो आप संबंधित ज्यूडिशियल मॅजिस्ट्रेट कोर्ट मे जिनके अधिकार क्षेत्र मे अपराध हुवा है और जिनके अधिकार क्षेत्र मे वह पुलिस स्टेशन है। उस कोर्टमे आप प्रायव्हेट कंपलेंट दायर कर सकते है। जिस के बारेमे कानुन मे प्रावधान है। वह क्रिमीनल प्रोसिजर कोड 1973 के सेक्शन 200 और सेक्शन 190 के नूसार कर सकते है।


जब आपको शक हो के आपके द्वारा दि गई आवेदन के बादमेभी पुलिस द्वारा कोई संग्यान नही ली जा रही है और ना ही कोई कार्यवाही की जा रही है। तब आप उस आवेदन की कॉपी और रजिस्टर पोस्ट का एकनोलेजमेंट अथवा उपर बताए गए वरिष्ट अधिकारी के कार्यालमे आवदन का ईनवर्ड नंबर लेकर अपने नजदिकी वकिल से मिलकर और उनसे न्यायलय मे प्रायवेट कंपलेंट दायर किजीए।

    जब कोर्ट मे प्रायवेट कंपलेंट दायर किया जाता है तो उसमे कौनसी बातो को कवर किया जाता है यह जानना जरूरी है। प्रायवेट कंपलेंटमे निम्नलिखीत मुद्दोको कवर किया जाता है। वे ईस प्रकार है:-

  1. जिस कोर्टमे प्रायवेट कंपलेंट दायर करना है उस कोर्ट का पुरा नाम लिखा होना चाहिए।
  2. जिसने कंप्लेंट फाईस कि है उस कंप्लेनंन्ट का पुरा नाम, उमर, क्या काम करता है, और पुरा पता लिखा होना चाहिए।
  3. जिसके विरूध्द कंप्लेंट फाईल की गई है उस आरोपी का पुरा नाम यदी पता हो तो उसकी अंदाजे उमर यदी पता हो तो, अथवा सज्ञान भी लिख सकते है। और वह क्या काम करता है यह पता हो तो  लिखे वरना खाली जगाह छोड सकते है। आरोपी का पुरा पता यदा पता हो तो नही तो कहा रहता है वह ईलाका लिखे।
  4. क्रिमीनल प्रोसिजर कोड 1973 धारा 200 रिड विथ 190 के तहद प्रायवेट कंपलेंट और इंडियन पिनल कोड 1860 के कौन कौन से धाराओका उलंघन करके अपराध किया है वह लिखे।
  5. अंन्य और कोई कानुन के धाराओका उलंधन करके अपराध किया है वह लिखे।
  6. कौन से पुलिस स्टेशन के क्षेत्र मे अपराध हुवा है उसका उल्लेख किया जाना चाहिए।
  7. कौनसे दिन अपराध कीया गया है उस दिन की तारिख का उल्लेख किया होना चाहिए।
  8. उसके बादमे पॅराग्राफ से कंपलेंट स्टार्ट करना चाहीए।
  9. पुरी धटना-ए-वारदात तारीख, दिन और समय के साथ बताना चाहिए। और कौन-कौन से आरोपीयोने क्या क्या किया यह सब लिखा होना चाहिए।
  10. आपके दावारा पुलिस स्टेशनमे कंप्लेंट दर्ज कराने कि कोशिश करनेके बावजूद पुलिस द्वारा कंप्लेंट लेनेसे और एफ.आय.आर. दर्ज करानेसे पुलिस द्वारा मना किए जाने के बारेमेभी बताना चाहीए
  11. उसके बाद पुलिस वरिष्ट अधिकारी को लिखीत आवेदन करने के बादमेभी आपके कंप्लेंट का कोई संग्यान नही लिया गया ईसके बारेमे भी बताना चाहिए। और उसकी एक कॉपी न्यायालय मे लिस्ट ऑफ डॉक्यूमेंट के साथ जोड देना चाहिए।
  12. प्रायवेट कंपलेंट मे लास्ट क्लोज करते समय कॉज ऑफ ॲक्शन को भी लिखो होना चाहीए। और कोर्ट से रिक्वेस्ट करते हूवे अपराधि उनपर संग्यान लेनेकी मांग करना चाहिए।
  13. अंतमे कंप्लेंट और ॲडव्होकेट द्वारा हस्ताक्षर करना चाहीए।
  14. पुरे कंपलेंट का कंप्लेनंन्ट द्वारा व्हेरिफीकेशन दिया होना चाहिये।

    प्रायवेट कंप्लेंट के साथ वकालतनामा, लिस्ट ऑफ डोक्यूमेंट और जरूरी कागजाद लगाकर कोर्ट मे दर्ज कराना चाहिये।


    बादमे कोर्ट मे सुनवाई के समय कोर्ट को यकिन दिलाना चाहिए के आपके द्वारा पुलिस स्टेशन मे कंपलेंट दायर पुरी कोशिश कि गई मगर पुलिस द्वारा आपके कंप्लेंट की कोई संग्यान नही लिया गया। जबके वह अपराध एक गंभीर अपराध हुवा है। तब कोर्ट यह तय करेगी के जो अपराध हुवा है वह संगीन अपराध है या नही। यदी कोर्ट को लगे के वह अपराध गंभीर अपराघ है। और आरोपीयोपर कंप्लेंट दायर होनी चाहिए तब कोर्ट क्रमिनल प्रोसिजर कोड 1972 के नूसार धारा 156 उप-धारा (3) तहद धारा 190 के नूसार मॅजिस्ट्रेट को जो अधिकार मिले है उसका ईस्तेमाल करते हुवे इनव्हेश्टीगेशन का आदेश संबंधीत पुलिस स्टेशन को देगी। और एफ.आय.आर. दायर करनेका रिपोर्ट पुलिस को मांगेगी। जिस्से पुलिस आपको बुलाकर आपका कंप्लेंट दर्ज करके एफ.आय.आर. दायर करेगी और आगेकी कार्यवाही करेगी।


    तो ईस्तरह कोर्ट में प्राइवेट कंप्लेंट दायर करके पुलिस द्वारा एफ.आय.आर. दायर किया जा सकता है। यह हमने ईस लेख मे समझनेकी कोशिश की है।


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