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रैगिंग एक अपराध है | रैगिंग क्या है | Ragging is a crime | What is Ragging | छत्तीसगढ शैक्षणिक संस्थाओं में प्रताडना (रैगिंग) का प्रतिषेध अधिनियम 2001 | The Chhattisgarh Shaikshanik Sansthan Me Pratarna Ka Pratishedh Act, 2001

रैगिंग एक अपराध है | रैगिंग क्या है | Ragging is a crime | What is Ragging | छत्तीसगढ शैक्षणिक संस्थाओं में प्रताडना (रैगिंग) का प्रतिषेध अधिनियम 2001 | The Chhattisgarh Shaikshanik Sansthan Me Pratarna Ka Pratishedh Act, 2001


छत्तीसगढ में शैक्षणिक संस्थाओं में दिन ब दिन सिनियर छात्राओं द्वारा ज्यूनियर छात्रांओं का प्रताडना किया जाता है। जिसक कारण बहोतसे छत्र अपने जान गवा चुके है। इसी मुद्देपर विचार करके छत्तीसगढ सरकारने सन 2001 में छत्तीसगढ शैक्षणिक संस्थाओं में प्रताडना (रैगिंग) का प्रतिषेध अधिनियम 2001 यह कानून बनाया है। यह अधिनियम छत्तीसगढ राज्य शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग द्वारा छात्राओं के मानवीय एवं संवैधानिक मूल्यों का हन होने से रोकने तथा संसक्षण प्रदान करने के उद्देश्यसे निर्मित किया गया है। तो आईये इस लेख के माध्यम से आज हम रैगिंग एक अपराध है | रैगिंग क्या है | Ragging is a crime | What is Ragging | छत्तीसगढ शैक्षणिक संस्थाओं में प्रताडना (रैगिंग) का प्रतिषेध अधिनियम 2001 | The Chhattisgarh Shaikshanik Sansthan Me Pratarna Ka Pratishedh Act, 2001 इसके बारेमें संपुर्ण जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है।


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रैगिंग क्या है ? :-

इस अधिनियम के अनुसार रैगिंग से अभिप्राय है कि किसी छात्र—छात्रा को मजाक पूर्ण व्यव्हार से या अन्य प्रकार से ऐसा कार्य करने के लिए उत्प्रेरित बाधअय या मजबूर करना जिससे उसके मानवीय मूल्यों का हनन या उसके व्यक्तित्व का अपमान या उपहास होना दर्शित हो या उसे अभित्रास सदोष—परिरोध क्षति या आपराधिक बल का प्रयोग कर अभित्रास देते हुए किसी विधिपूर्ण कार्य करने से रोकता है। 


शैक्षणिक संस्थाओं से अभिप्राय :-

इस अधिनियम के अनुसार राज्य की कोई भी शासकीय स्वशासी एवं अशासकीय शैक्षणिक संस्थाएं शामिल है।


अधिनियम के विस्तार एवं प्रारम्भ:-

इस अधिनियम के प्रावधान संम्पूर्ण छत्तीसगढ में लागू किए गए है तथा राज्य में साज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 17/01/2012 से वृत्त है।



रैगिंग का प्रतिषेध:-

किसी भी शैक्षणिक संस्था का छात्र प्रत्यक्षतः अथवा अप्त्यक्षतः न तो रैगिंग करेगा और नही उसमें भाग लेगा।


अपराध की प्रकृति :-

इस अधिनियम के तहत संज्ञान किए जाने योग्य प्रत्येक अपराध संज्ञेय व गैर जमानतीय है।


दंण्ड:-

यदि किसी व्यक्ति के द्वारा अधिनियम की धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन किया जाता है वह साधारण या सश्रम कारावास (दोनो में से किसी भी भांति के कारावास) से जिसकी अवधि पॉच वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माना से जो कि पॉच हजार रुपये तक हो सकेगा, या दोनो से हि दण्डित किया जा सकेगा।



अपराध का बिचारण:-

    1. अधिनियम के तहत दण्डनीय प्रत्येक अपराध का विचारण प्रथम वर्ग न्यायिक दण्डाधिकारी द्वारा किया जावेगा।
    2. अधिनियम के उपबंधो के अधीन अपराधों के अन्वेषण, जॉच तथा विचारण के अपराध प्रक्रिया संहिता 1973 (क्रमांक 2 सन 1974) कि उपबंध लागू होंगे।


छात्र के निष्कासन के लिए निर्योग्यता :-

    1. यदि किसी छात्र के विरुध्द इसअधिनियम के तहत कोई अन्वेषण लंम्बित है तो उस शिक्षण संस्था का प्रमुख/अभियुक्त छात्र को शैक्षणिक संस्था से निलंबित तथा शैक्षणिक स्था परिसर व छात्रावासों में प्रवेश वर्जित कर सकेगा।
    2. किसी शैक्षणिक संस्था के किसी छात्र का जो इस अधिनयम के तहत सिध्ददोष पाया गया हो वह शैक्षणिक संस्था के निष्कासन का भागी होगा।
    3. ऐसे निष्कासित छात्र—छात्रा को या अन्य कोई व्यक्ति जो इस अधिनियम के अधीन सिध्ददोष पाया गया हो।



आज हमने हमारे पाठकों को इस लेख के माध्यमसे रैगिंग एक अपराध है | रैगिंग क्या है | Ragging is a crime | What is Ragging | छत्तीसगढ शैक्षणिक संस्थाओं में प्रताडना (रैगिंग) का प्रतिषेध अधिनियम 2001 | The Chhattisgarh Shaikshanik Sansthan Me Pratarna Ka Pratishedh Act, 2001 इसके बारेमें संपूर्ण जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी सिखने के लिए और हासिल करने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।




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