धन वसूली के मुकदमें | Recovery Suit in Hindi
जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को कुछ समय के लिए कोई धन या पैसा देता है तो उसे वह वसूल करते समय काफी कठिनाईयोंका सामना करना पडता है। जैसे के कोर्ट में धन वसूल करने के लिए लगाया जाने वाला मुकदमा काफी दिनो तक चलता है। तो आइए इस लेख के माध्यम से हम धन वसूली के मुकदमें और उससे जुडे कानूनी बातों को समझने कोशिश करते है।
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आमतौर पर रिकवरी सूट अर्थात धन वसूली के मामलों को लंबी सिविल मुकदमेबाजी के तौर पर समझा जाता है तथा माना जाता है कि ये केस सालों चलते है। लेकिन अगर आपको रिकवरी से संबंधित सटीक कानूनी प्रावधानों का ज्ञान है तो आप अपने मुकदमों को बडी तेजी से लड सकते है। आइए जानें ऐसे ही एक प्रावधान के बारे में।
समरी सूट (Summary Suit)
- सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश 37 के अंतर्गत समरी सूट दाखिल किए जाते है। आम सिविल केस के विपरीत इस प्रक्रिया में सामने वाली पार्टी को बचाव का मौका दिए बगैर ही कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया जा सकता है।
- समरी सूट उच्च न्यायालयों, शहर के न्यायालयों, छोटे कारणों के न्यायालयों और उच्च न्यायालय द्वारा अधिसूचित किसी अन्य अदालत में दाखिल किए जा सकते हैं।
- प्रोमिसरी नोट्स और चेक जैसे कुछ निर्दिष्ट दस्तावेजों के मामले में समरी सूट दाखिल किए जा सकते हैं।
- जहां वादी किसी लिखित अनुबंध, अधिनियम या गारंटी पर उत्पन्न होने वाले ऋण या धन के रुप में परिनिर्धारित मांग को प्रतिवादी से ब्याज सहित या ब्याज के बिना वसूल करना चाहता है वहां भी समरी सूट दाखिल किया जा सकता हैं।
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वस्तृत प्रक्रिया
- सम्पन मिलने के 10 दिनो के भीतर, प्रतिवादी को कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती हैं तथा तामील के लिए अपना पता फाइल करना होता है।
- यदि प्रतिवादी अपनी उपस्थिति दर्ज करता है, तो वादी प्रतिवादी को सीधा फैसले के लिए सम्मन की तामील करवाता है।
- इस तरह के सम्मन की तामील के 10 दिनों के भीतर, प्रतिवादी को केस के बचाव के लिए कोर्ट मे आवेदन करना होता है।
- इसके बाद कोर्ट उस आवेदन के मंजूर या नामंजूर कर सकता है। कोर्ट मंजूरी कुछ शर्तों के आधार पर भी दे सकता है।
समरी सूट के लाभ
- यदि प्रतिवादी समन मिलने के 10 दिन के भीतर कोर्ट में हाजिर नहीं होता है तो वादी आसानी से तत्काल डिक्री का हकदार हो जाता है जबकि आम सिविल सूट मे ऐसा होने में लंबा वक्त लगता है।
- आदेश 37 सूट का वास्तविक लाभ यह है कि जब तक प्रतिवादी यह प्रदर्शित करने में सक्षम नहीं होता है कि उसके मामले में उसके पास पर्याप्त बचाव हैं, वादी तत्काल निर्णय का हकदार है।
- यदि प्रतिवादी ने बचाव के लिए आवेदन नहीं किया है, या यदि ऐसा कोई आवेदन किया गया है और कोर्ट के द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है, तो वादी तत्काल निर्णय का हकदार बन जाता है।
- यदि जिन शर्तों पर छुट्टी दी गई थी, वे प्रतिवादी द्वारा अनुपालन नहीं की जाती है, तो भी वादी तत्काल निर्णय का हकदार बन जाता है।
समय सीमा
यदि सीपीसी की धारा 37 के अंतर्गत समरी सूट वादी दाखिल करना कै तो जिस समय से धन बकाया हो गया है उस समय से 3 वर्षो के भीतर तक धन की वसूली के लिए वाद न्यायालय में लाया जा सकता है। इस अवधि के बाद कोई युक्तियुक्त कारण नहीं मिलने के कारण वाद को लिमिटेशन एक्ट के अनुसार बाधित माना जाएगा।
कानूनी सलाह
- कोई भी पैसा का लेन देन लिखित अनुबंध के आधार पर ही करें।
- व्यापार या कामकाज से जुडे सभी लेन देन पक्के बिलों के आधार पर ही करें।
- जो सिविल समरी सूट की तरह लडे जा सकते हैं उन्हे आम सिविल केस की तरह कतई न लडें।
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इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को धन वसूली के मुकदमें और उससे जुडे कानूनी बातों को बहोत ही आसान और सरल भाषामें बताने की कोशिश कि है। आशा है के आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahinhi.com पर आवश्य भेट दे।
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