सहमति से तलाक कैसे मिलता है | how to get divorce by mutual consent | हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13- बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए प्रावधान
भारत में विवाह एक पवित्र बंधन माना जाता है। कई बार ना चाहते हुए भी आपसी या पारिवारिक कारणों की वजह से ऐसी परिस्थितियां उत्पंन्न हो जाती है कि पति-पत्नी का एक दुसरे के साथ में रहना संभव नहीं रह जाता। कोर्ट में केस लडकर तलाक का फैसला पाना एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें कई साल लग जाते है। सहमति से तलाक की प्रक्रिया काफी छोटी होती है परंतु ज्यादातर लोगों में इस प्रक्रिया को लेकर जानकारी का अभाव है। आइए इस लेख के माध्यम से आज हम सहमति से तलाक कैसे मिलता है | how to get divorce by mutual consent | हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13- बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए प्रावधान क्या है, इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है।
क्या है कानून
भारत में जिसतरह विभिंन्न धर्मो के लिए विवाह कानूनों को बनाया गाया है। उसी तरह विभिंन्न धर्मों के लिए तलाक लेने का भी कानून बनाया गया है। हिंदुओं के लिए तलाक हिंदू विवाह अधिनियम 1955 द्वारा शासित है। इसमें सिख जैन और बौध्द भी शामिल हैं। इस लेख में आज हम केवल इस अधिनियम के तहत आने वाले लोगों के संदर्भ में ही चर्चा कर रहे हैं।
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हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13- बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए प्रावधान
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13- बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए प्रावधान वह कुछ इस प्रकार है। वे निम्नलिखीत है।
आपसी सहमती से तलाक के लिए जरूरी आवश्यक्ताएं
- दोनों पक्ष तलाक की याचिका से पहले एक साल या उससे अधिक की अवधि के लिए अलग-अलग रह रहें है।
- दोनों पक्षों के लिए किसी भी कारण से साथ में रहना संभव नहीं है।
- दोनों पक्ष शादी को खत्म करने के लिए स्वतंत्र रूप से सहमत हुए है।
- शादी को कम से कम एक वर्ष हो चुका है।
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आपसी सहमती से तलाक की प्रक्रिया
आपसी सहमति से तलाक की प्रक्रिया में दो अदालती उपस्थिति दर्ज होती है।
- पहला प्रस्ताव दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरितत एक संयुक्त याचिका संबंधित परिवार अदालत में दायर की जाती है। तलाक याचिका में दोनों भागीदारों द्वारा संयुक्त बयान शामिल होता है कि उनके किन मतभेदों के कारण वे अब एक साथ नहीं रह सकते है और उन्हे तलाक दिया जाना चाहिए। इस बयान में संपत्तियों, बच्चों की हिरासत आदि को विभाजित करने का भी समझौता होता है।
- पहले प्रस्ताव में, दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए जाते है और फिर माननीय न्यायालय के समक्ष दाखिल करना होता है। दोनों पक्षों को कोर्ट के समक्ष दोबारा अपने बयान दर्ज कराकर हस्ताक्षर करने होते है, जिसके बाद न्यायालय द्वारा तलाक की डिक्री पारित कर दी जाती है।
- दूसरा प्रस्ताव पहले प्रस्ताव से 6 महीने के बाद लेकिन 18 महीने के भीतर दाखिल करना होता है। कोई भी पक्ष न्यायालय का अंतिम आदेश आने से पहले किसी भी समय अपनी सहमति वापस ले सकता है।
- हाल ही के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि दूसरे प्रस्ताव के लिए 6 महीने रूकने की अनिवार्यता नहीं हैं। न्यायालय केस की परिस्थितियों को देखते हुए अपने विवेकानुसार 6 महीने की अवधि में छूट दे सकता है। यह छूट मिलने के बाद पहले प्रस्ताव के तुरंत बाद ही दूसरा प्रस्ताव दाखिल किया जा सता है और कोर्ट द्वारा तलाक की डिक्री पारित कर दी जाती है।
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क्या सहमति से तलाक नोटरी के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
यह भ्रम आम लोगों में सबसे ज्यादा है। भारत में नोटरी के माध्यम से कोई पारस्परिक तलाक नहीं दिया जा सकता है। तलाक का वैध आदेश केवल उचित अधिकार क्षेत्र की पारिवारिक अदालत द्वारा ही दिया जा सकता है।
कानूनी सलाह
- किसी भी वैवाहिक विवाद में दोनों पक्षों को हमेशा बातचीत के माध्यम से विवादों को सुलझाने का प्रयत्न करना चाहिए। दोनों पक्ष के परिवार वालों को और वकीलों को भी यह पूरी कोशिश करनी चाहिए की शादी का पवित्र बंधन बना रहे। जरूरत पडने पर विवाद को सुलझाने के लिए पेशेवर काउंसलर की मदद भी ली जा सकती है।
- सब कोशिश करने के बाद भी अगर परिस्थितियां ऐसी बन जाती है कि पति-पत्नी का साख में रहना असंभव है तो सालों साल तलाक का मुकदमा लडने की बजाय कोशिश करें की सहमति से तलाक लें। सहमति से तलाक की अर्जी लगाने से पहले उचित कानूनी परामर्श लेकर एक सहमति पत्र बनाएं जिसमें संपत्ति, आभूषणों के आदान-प्रदान, बच्चों की कस्टडी आदि का विवरण ध्यान से लिखें। सहमति पत्र पर दो स्वतंत्र गवाहों के हस्ताक्षर अवश्य लें।
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इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को सहमति से तलाक कैसे मिलता है | how to get divorce by mutual consent | हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13- बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए प्रावधान क्या है इसके हारेमें जानकारी देने की कोशिश की है। आशा है हमारे पाठकों को यह लेख पसंद आया होगा। यदी आपकी कोई राय है तो आप निचे कमेंट बॉक्स में पछ सकतै है। इसी तरह कानूनी लेख को पढने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।
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