Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

संपत्ति के बटवारे में पारिवारिक समझौते की मान्यता

संपत्ति के बटवारे में पारिवारिक समझौते की मान्यता


समाज में प्रॉपर्टी को लेकर विवाद होना बहुत आम बात हो गई है। भारतीयत अदालतों में इस तरह के प्रॉपर्टी से जुडे मामले भारी तादाद में देखे जाते हैं, जो कि सालों साल चलते रहते हैं। अनेकों बार तो यह देखा जाता है कि जब तक अंतिम फैसला आता है तब तक अगली पीडी केस में पार्टी बन चुकी होती है। आइए इस लेख के माध्यम से आज हम संपत्ति के बटवारे में पारिवारिक समझौते की मान्यता जाने और पारिवारिक संपत्ति के इस तरह के समस्याओं उत्पन्न होने वाले मामलों से कैसे बचा जा सकता है। आइये जानकारी हासिल करते है।


फैमिली सेटलमेंट क्या है?

फैमिली सेटलमेंट यह एक प्रकार का अग्रीमेंट है, जिसमें परिवार के सभी सदश्य और संबंधित पक्ष मिलकर यह तय करतें है कि प्रॉपर्टी का बंटवारा किस तरह से किया जाना चाहिए। आम तौर पर इस प्रकार के समझोते का इस्तेमाल कॉमन प्रॉपर्टी या जॉइंट प्रॉपर्टी सेटलमेंट करने के लिए होता है। ध्यान दें कि जमीन या मकान के साथ-साथ ज्वैलरी, कैश इत्यादि को भी ऐसे समझौते के अंतर्गत लिया जा सकता है।


कानूनी मान्यता किस प्रकार है

  1. भारत में फैमिली सेटलमेंट की कानूनी मान्यता काफी पुरानी है। सुप्रीम कोर्ट ने 1976 में काले और अन्य बनाम डिप्टी डायरेक्टर ऑफ कंसोलिडेशन मामले में विस्तार से विवरण दिया था कि एक फैमिली सेटलमेंट का प्रभाव ठोस रूप से बाध्यकारी हो।
  2. हाल ही में 31 जुलाई 2020 को सर्वोच्च न्यायालय ने रविंद्र कौर बनाम मंजीत कौर मामले में भी महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा था कि अगर कोई फैमिली सेटलमेंट ईमानदारी से किया गया है तो वह कानूनी रूप से पूरी तरह से मान्य होगा। एक बार ऐसे सेटलमेंट के अमलो में आने के बाद इसके हिस्सेदार उस पर सवाल उठा नहीं सकते। इस समझौते का मकसद यह है के इससे बेवजह के मुकदमेबाजी से बचाया जाता है जिससे अक्सर परिवार की एकता टूटती है और सदस्यों में आपसी नफरत फैलती है।


क्या फैमिली सेटलमेंट का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

यह थोडा सा गंभीर और टेक्निकल विषय है। लेकिन सर्वोच्च न्यायलय ने अपने हाल ही के एक फैसले से इसे बिल्कुल साफ कर दिया है।

  1. जो फैमिली सेटलमेंट मौखिक है उन्हे रजिस्टर कराने की आवश्यकत्ता नहीं होती।
  2. इंडियन रजिस्ट्रेशन ऐक्ट के सेक्शन 17 के मुताबिक, अगर समझौता लिखित है, जिससे बंटवारे के नियम और विवरण तय हो रहे है, तो कोर्ट में मान्य होने के लिए उसका रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है।
  3. अगर मौखिक समझौते के तहत परिवार के सदस्यों द्वारा बटवारे को अमल में लाया जा चुका है और बाद में मात्र रिकॉर्ड के लिए कोई समझौता ज्ञापन बनाया जाता है तो उसके रजिस्ट्रेशन की आवश्यक्ता नहीं होती है।


कानूनी सलाह

  1. ऐतिहासिक रूप से, पारिवारिक विवादों और  संपत्ति नियोजन को निपटाने के लिए फैमिली सेटलमेंट उपयोगी उपकरण साबित हुए है। इसलिए इनका उपयोग ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए।
  2. फैमिली सेटलमेंट की वैधता से जुडी मुकदमेबाजी से बचने के लिए आप एस्टेट प्लानिंग का ज्ञान रखने वाले कानूनी सलाहकार से उचित कानूनी परामर्श के बाद ही सावधानीपूर्वक संबंधित दस्तावेज तैयार करवाएं।

इस लेख के माध्यम से हमने हमने हमारे पाठकों को संपत्ति के बटवारे में पारिवारिक समझौते की मान्यता के बारेमें जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपका कोई सवाल हो तो आप निचे दिये गेये कमेंट बॉक्स में आपका सवाल पुछ सकते है। इसी प्रकार कानूनी जानकारी पाने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।




यह भी पढे


थोडा मनोरंजन के लिए


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ