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विवाह पंजीकरण कैसे बनाएं | विवाह को कैसे पंजीकृत करें? | Marriage Registration

विवाह पंजीकरण कैसे बनाएं | विवाह को कैसे पंजीकृत करें? | Marriage Registration

Photo by Krishna Videotech from Pexels



परिचय

आमतौर पर विवाह के पंजीकरण का अवसर हर आदमी के जीवन में कम से कम एक बार तो होता है और वह सोचता है कि विवाह को पंजीकृत करने का मतलब कुछ बहुत बड़ा काम करना है और फिर वह इसके लिए जो भी पैसा चाहे खर्च करता है। एसे मजबूर लोगोके पाससे दलाल हमेशा पैसा पाने के लिए तैयार रहते हैं। ईन सभी चिजो से बचने के लिए और कोई भी यह काम कर सके इसके लिए आइए ईस लेख के माध्यम से हम जानकारी हासिल करते है। वह निम्नलिखीत है।


विवाह पंजीकरण के बारेमे जानकारी हासिल करने से पेहले उसकी मूल अवधारणा जिसे हम अंग्रेजी में "बेसिक कन्सेप्ट" कहते हैं। इसे पहले से समझाने की कोशीश करते है। प्रत्येक धर्म के व्यक्ती को अपने-अपने धर्म के रिवाजो के अनुसार विवाह करने का पुरा अधिकार होता है। हालांकि, ऐसे विवाह को "विवाह पंजीकरण अधिकारी" के समक्ष पंजीकरण करने की आवश्यकता होती है। हालांकि, पंजीकृत विवाह और विवाह पंजीकरण से अनजान होने के वजाह से कई लोगो की  गफलत होती हैं। तो आइए इसमें क्या अंतर है यह पहले देखते है ताकि हम उन दो के बारे में भ्रमित नही होंगे।

1) विवाह पंजीकरण:-

विवाह पंजीकरण का अर्थ है कि, जो विवाह हो चुके हैं, वे संबंधित विवाह पंजीकरण रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत किया जाता हैं। उसे विवाह पंजीकरण कहा जाता है। ईसका मतलब, इस प्रकार के में, पती-पत्नी मे विवाह हो चुका होता है। हर व्यक्ति के धर्म के अनुसार, जो भी प्रचलित रीति-रिवाज होते हैं उसके अनुसार पहले शादी हो जाती है। इस तरह के विवाह एक पंजीकृत विवाह नहीं होता है। इस प्रकार के विवाह को अंग्रेजी में 'मॅरेज रजिस्ट्रेशन'' कहा जाता है। इस मामले में, पंजीकृत विवाह नहीं होते हैं। इस प्रकार के विवाह में धार्मिक संस्कार किए जाते हैं, उन जातियों और जनजातियों के रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। ऐसी शादी के बाद उन्हें पंजिक्रूत किया जाता है, और उसके बाद, विवाह पंजीयक द्वारा जारी किये गये प्रमाणपत्र को विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र कहा जाता है। इस प्रमाणपत्र को अंग्रेजी में "मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट" कहा जाता है।


2) पंजीकृत विवाह:-

पंजीकृत विवाह कानून द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार किए जाते हैं। इसे अंग्रेजी में "रजिस्टर मैरिज" कहा जाता है। एसे पंजीकृत विवाह करने से पहले, विवाह रजिस्टर को पहले सूचित करना होता है। इसके लिए एक महीने का नोटिस दिया जाता है। ऐसे विवाह आमतौर पर विवाह पंजीयक के कार्यालय में होते हैं। इसमें धार्मिक संस्कारों के बजाय कानून के प्रावधानों को पूरा करने की आवश्यकता होती है। और इसके लिए शर्तों को पूरा करना जरूरी होता है। इस तरह की विवाह विभिंन्न जातीयोके लोगोके बिच ज्यादा होती हैं, खासकर जो अंतरजातीय प्रेम करते हैं, या विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच होते है। इसका मतलब यह नहीं है कि इस तरह के विवाह एक जाति या धर्म के लोगों के बीच नहीं होते हैं। संक्षेप में, जो लोग धार्मिक या सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं या जो जानबूझकर ऐसा करने का निर्णय लेते हैं, वे आमतौर पर विवाह करने के लिए इस पद्धति का सहारा लेते हैं।

अब इस संबंध में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना जरूरी है:-

  1. विवाह का पंजीकरण अनिवार्य है, यह कानून द्वारा आवश्यक है।
  2. विवाह को जल्द से जल्द पंजीकृत किया जाना चाहिए। लेकिन देर से विवाह भी पंजीकृत किया जा सकता हैं।
  3. यदि विवाह को पंजीकृत करना आवश्यक है, तो भी वे विवाह जो धार्मिक तरीके से हुए हैं; लेकिन उन्हे पंजीकृत नहीं गया हैं, इसलिए उन विवाहो को अवैध नहीं माना जा सकता। कहने का तात्पर्य यह है कि, वे विवाह भी वैद्य ही होते हैं।


अब इस महत्वपूर्ण बुनियादी जानकारी के बाद, अपने दैनिक व्यवसाय मे जिन विवाह को पंजिकृत किया जाना है, वह किस प्रकार किया जाना है, आइए हम वह जानने की कोशिश करते है। मैरिज रजिस्ट्रेशन का मतलब है कि जिस मैरिज रजिस्ट्रेशन के कार्यालय के अधिकार क्षेत्र मे विवाह किया जाता है उस मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑफिस में आवेदन करना होता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति ठाणे जिले में विवाह करता है, तो उसे उसी कार्यालय में विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा या यदि कोई व्यक्ति मुंबई के उपनगर में विवाह करता है, तो उसे उपनगरीय जिला विवाह पंजीयक कार्यालय मे विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा। इसका मतलब यह है कि यदि एक उपनगर में शादी होती है, तो उसे वहीपर विवाह पंजिकरण करवाना होगा।



विवाह पंजीकरण कार्यालय मे विवाह पंजिकरण करने के लिए एक निर्धारित प्रारूप मे आवेदन पत्र निःशुल्क उपलब्ध होता हैं। उसे आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़ें और उसपर के सभी कॉलम ठीक से भरें। उसमें आमतौर पर वर और वधू का नाम, उम्र, पता, जन्म तिथि, विवाह का स्थान आदि शामिल होते हैं। वधू का नाम लिखते समय, उसका शादी से पहले का नाम लिखा जाना चाहिए और अगर शादी के बाद नाम बदल दिया जाता है, तो इसे उसी कॉलम के तहत ब्रेकेट में लिखा जाना चाहिए। इसका मतलब है कि भविष्य में कोई परेशानी नहीं होगी। व्यक्ति को फॉर्म पर हस्ताक्षर करने और उस पर तारीख डालने की आवश्यकता होती है। इसके बाद इस पर कोर्ट फि स्टेम्प लगानी होगी। जब ऐसा होता है, तो विवाह पंजीयक को एक आवेदन करना पड़ता है। इस मामले में, आवेदन का उद्देश्य विवाह को पंजीकृत करना होता है। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि आपको इस विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र की कितनी प्रतियां चाहिए। जितनी प्रतियां चाहिए। उतने आवेदन के लिए एक ही संख्या में झेरॉक्स प्रतियां संलग्न किये होनी चाहिए। बाद में, उस आवेदन को विवाह पंजीकरण कार्यालय में जमा करना होगा। आवेदन के लिए पंजीकरण शुल्क कितना है, यह बताने के बाद संबंधित काउंटर पर राशि का भुगतान किया जाना जरूरी है। फिर जिस दिन विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त होगा उसी दिनकी तारीख दी जाएगी। उस दिन आपको विवाह रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर वाली मुहर के साथ आपके द्वारा अनुरोधित प्रति मिल जाती है। इसे आज विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र कहा जाता है।  जहां इसे सबूत के रूप में देना जरूरी होता है, वहा इस की एक सच्ची प्रति देना वांछनीय है।

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विवाह पंजीकरण की प्रणाली में कुछ अन्य सुधार किए गए हैं, जैसे: -

  1. विवाह पंजीकरण के समय, वर और वधू के राशन कार्ड की एक सच्ची प्रति जमा करनी होगी।
  2. वर और वधू को विवाह पंजीयक को स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होता है।
  3. विवाह पंजीकरण 90 दिनों के भीतर किया जाना है।
  4. यदि विवाह पंजीकरण 90 दिनों से अधिक देर से होता है तो जुर्माना लागू होता है। विवाह में देरी होने पर यह जुर्माना बढ़ता है।
  5. हालांकि, जुर्माना देकर विवाह को पंजीकृत किया जा सकता है।
  6. विवाह पंजीकरण के लिए तीन गवाहों की आवश्यकता होती है।
  7. उनके पहचान पत्र को साबित करने के लिए उनके राशन कार्ड का झेरॉक्स, आईकार्ड, पैन कार्ड का झेरोक्स आवश्यक होता है।

इन सभी विचारों से, आप जानपाएंगे कि विवाह पंजीकरण प्रक्रिया सरल है और इसके लिए किसी मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है।


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