क्या गारंटर के खिलाफ चेक बाउंस का केस चल सकता है? | kya guarantor ke Khilaf cheque bounce ka case chal sakta hai?
सामाज में आमतौर पर, व्यापारिक लेनदेन या लोन के लेनदेन में, एक गारंटर आवश्य होता है जो गारंटी देता है कि यदि उधार लेने वाला व्यक्ति ऋण का भुगतान करने में विफल रहता है। तो गारंटर उस ऋण के राशि का भुगतान करेगा। यह स्थापित कानून है, कि यदि किसी उधार लेने वाले व्यक्ति द्वारा जारी किया गया चेक बाउंस हो जाता है, तो वह धारा 138 एनआई एक्ट के तहत उत्तरदायी होता है। हालांकि, अगर गारंटर द्वारा जारी किया गया चेक बाउंस हो जाता है तो क्या होगा? क्या ऐसा गारंटर धारा 138 एनआई अधिनियम के तहत उत्तरदायी होगा या नहीं? आइए इस लेख के माध्यम से हम यह जानने की कोशीश करते है की, क्या गारंटर के खिलाफ चेक बाउंस का केस चल सकता है? | kya guarantor ke Khilaf cheque bounce ka case chal sakta hai? आइए जानते है, इस सवाल से जुडा कुछ कानूनी जवाब।
सुप्रीम कोर्ट के सामने कब आया था यह सवाल?
आई.सी.डी.एस. लिमिटेड बनाम बीमा शबीर (2002) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह प्रश्न था कि क्या गारंटर द्वारा जारी किए गए सिक्योरिटी चेक के संबंध में धारा 138 एन आई एक्ट के तहत गारंटर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही चलने योग्य होगी या नहीं। क्यों की इस केस में गारंटर द्वारा जारी किया गया चेक बाउंस हो गया था।
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उपरोक्त मामले में, केरला हाईकोर्ट ने धारा 138 के तहत प्रावधान पर चर्चा करने के बाद कहा था कि जब गारंटर द्वारा सिक्योरिटी के रुप में एक चेक दिया जाता है, तो एनआई अधिनियम की धारा 138 के तहत कोई भी शिकायत नहीं चल सकती है क्योंकी यदि कोई चेक सिक्योरिटी के रुप में जारी किया जाता है, तो इसे तुरंत पैसे के भुगतान के लिए नहीं कहा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने इस केस में केरल हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह कहा है कि जहां चेक बाउंस होता है, उन सभी मामलों में धारा 138 एनआई अधिनियम के तहत प्रावधान लागू होगा और उक्त प्रावधान के तहत उक्त चेक का ड्रॉअर उत्तरदायी होगा। किसी भी ऋण या दायित्व के निर्वहन के लिए जारी किया गया चेक यदि बाउंस हो जाता हैं तो चेक बाउंस का केस चलेगा।
इस फैसले से यह साफ होता है कि चेक बाउंस के मामलों में कोई भी व्यक्ति अपने बचाव में यह नहीं कह सकता कि वह मात्र गारंटर था और उस पर चेक बाउंस का केस नहीं चलना चाहिए।
कानूनी सलाह
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सन अगस्त 2002 में आया था लेकिन फिर भी इस मुद्दे को लेकर लोगों में आज भी उतनी जागरूकता नहीं है। हमारे पास कई बार एसे क्लाइंट आते हैं जो कहते हैं कि वे तो लेन-देन में बस गारंटर थे तो फिर क्यों सामने वाली पार्टी के द्वारा उनके खिलाफ चेक बाउंस का केस कर दिया गया है। कुछ लोग तो बिना उचित कानूनी परामर्श के कोर्ट में जाकर गारंटर के रुप में सबकुछ कुबूल कर लेते है बिना यह जाने कि उन्हें इस बात के लिए सजा भी हो सकती है।
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किसी भी व्यवसाय के लेनदेन या लोन लेनदेन के मामलों में गारंटर बनने से पहले और सिक्योरिटी के रुप में अपना चेक देने से पहले आपको यह हजार बार सोच लेना चाहिए। जिस व्यक्ति की असल में देनेदारी बनती है अगर वह व्यक्ति पैसे का भुगतान नहीं करता तो सामने वाली पार्टी आपके सिक्योरिटी चेक को बैंक में पेश करेगी। इस परिस्थिति में अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है तो आप के खिलाफ चेक बाउंस की कार्यवाई शुरू की जा सकती है।
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इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को क्या गारंटर के खिलाफ चेक बाउंस का केस चल सकता है? | kya guarantor ke Khilaf cheque bounce ka case chal sakta hai? इसके बारेमें जानकारी देने का प्रयास किय है। यदी आपको हमरी यह जानकारी पसंद आई हो तो आप अपनी राय और अपने प्रश्न निचे दिये कमेंट बॉक्स में दे सकते है। इसी तरह कानूनी जानकारी पाने के लिए आप हमारे पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।
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