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चेक बाऊन्स के केस के लिये कौन-कौन से डॉक्यूमेंटस आवश्यक होते है | Doccuments Requires in Cheque Bounce Case Under Section 138 of N.I. Act

चेक बाऊन्स के केस के लिये कौन-कौन से डॉक्यूमेंटस आवश्यक होते है | Doccuments Requires in Cheque Bounce Case Under Section 138 of N.I. Act


जब बँक के संबंधीत अथवा बँक के जरीये कोई आर्थीक लेनदेन करना हो तब हर किसीको एक तो ओनलाईन पेमेंट के बारेमे खयाल आता है अथवा रक्कम राशी लाखोमे हो तब चेक देनेकी बात आती है। और उसीके साथ चेक देकर सौदा पुरा कीया जाता है।


अब जब चेक की बात आइ है तो चेक के जरीये कभी कबार रक्कम मिलती है, और कभी कबार चेक बाऊन्स होकर रक्कम नही मिलती है। तो ईस्तरहा चेक बाऊन्स होनेकी संभावना व्यापार मे आमतौर पर देखाजाता है। अगर चेक बाऊन्स होनेके बाद बातचीत करनेपर रक्कम मिलभीजाता है तो अछी बात है। लेकीन अगर रक्कम ना मिले तो बडी मुश्कील होजाएगी। और बेवजाह तकलीफ भी होती है।

अब जब चक बाऊन्स हुवा है तब कोर्टमे निगोशिएबल ईन्स्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के सेक्शन 138 के नूसार कोर्ट मे शिकायत दर्ज किया जाता है। एसेमे कौन कौनसे आवश्यक डॉक्यूमेंटस को जमा करते है और कोर्ट के कंपलेंट मे फाईल करके रक्कम को वसूल कीया जा सकता है। उसके बारेमे जानकारी हम ईस व्हिडीयो मे देखने वाले है। तो बिना स्किप किए ईस व्हिडीयो को अंत तक जरूर देखिए।


ईस से पेहले मैने चेक बाऊन्सका केस कैसे फाईल करे। ईसके बारेमे एक लेख बनाया है। जिसमे चेक बाऊन्सका केस कोर्ट मे कैसे और कब फाईल करना चाहीये उसके बारेमे पुरी जानकारी बताई है। आप बादमे वह लेख जरूर पढिए। जिस्से आपको चेक बाऊन्स होने के बाद निगोशिएबल ईन्स्ट्रूनेंट एक्ट 1881 के सेक्शन 138 के नूसार कंप्लेंट कैसे फाईल करते है उसकी पुरी जानकारी मिलेगी और उसके बारेमे पुरा कंसेप्ट क्लियर हो जायेगा।


निगोशिएबल इन्स्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के नुसार कोर्ट मे शिकायक दर्ज करनेके लिये चेक बाऊन्स होनेसे लेकर शिकायत दर्ज करनेतक क्या-क्या प्रोव्हिजन है और उसके कौन-कौनसे स्टेप्स है। यह जानकारी मैने पेहले जो के चेक बाऊन्स का केस कैसे फाईल केर उसमे बताया है। ईस लेख मे हम चेक बाऊन्स के केस के लिए कौन-कौन से आवश्यक डॉक्यूमेंट्स जोडने चाहिये ईसकी जानकरी हासिल करने वाले है।

अब जैसेके चेक बाऊन्स होनेके बाद वाले दिनसे 30 दिन के अंदर दोषी पार्टीको एक लिगल डिमांड नोटीस भेजकर रक्कम की डिमांड कर सकता है। और यदी, लिगल डिमांड नोटीस मिलनेके बाद भी दोषी पार्टी लेनदार को नोटीस के मुताबीक 15 दिनो के अंदर रक्कम नही देता है। तब दोषी पार्टी के विरोध 30 दिन के अंदर लेनदार पार्टी न्यायालय मे निगोशीयेबल ईन्स्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 के सेक्शन 138 के नुसार कंप्लेंन्ट फाईल कर सकता है। याने की चेक बाऊन्स होनेके बादसे न्यायालय मे कंप्लेंन्ट फाईल करने तक कुल 45 दिन गिने जाते है।


अब जब चेक बाऊन्स होने के बाद न्यायालय मे निगोशियेबल इन्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के सेक्शन 138 के नुसार कंप्लेंन्ट फाईल करना है तब कौन कौनसे डॉक्यूमेंटस को कंप्लेंन्टस के साथ दाखिल करना है वह देखते है।

1) वह चेक जो के बाऊन्स हो गया है:-

जब चेक बाऊन्सका केस न्यायालय मे फाईल करना है तो न्यायालय मे वह चेक कागजात के तौर पर दाखिल करना होगा जो चेक दोषी पार्टी व्दारा दिया गया हो और वह बाऊन्स हुवा हो और उसपर बँक का स्टँम्प लगा होना चाहीए।

2) चेक को बँक मे जमा करते समय भरी जाने वाली स्लिप जिसे डिपोजीटरी स्लिप भी कही जाती है

चेक को बँक मे जब भी जमा किया जाता है तब बँको चक के साथ एक स्लिप भरकर लेनदार अपने खातेमे रकम जमा करवाता है, जिसे डिपोजीटरी स्लिप भी कही जाती है। वह स्लिप यह पृफ कराता है के जो चेक बाऊन्स हुवा है वही चेक बँक मे जमा किया गया था। साथ ही उसपर बँक का क्षिक्का भी होना चाहीए। और एक खास एहेम बात यह है के, उस स्लिप पर डाली जाने वाली तारीख यह पृफ कराती है के जो चेक बँक मे जमा करवाया है उस चेक पर जो तारीख डाली गई है उसके मुताबीक जो लिमीटेशन पिरीयड है उसी मे ही चेक को बँक मे जमा करवाया है। क्योकी चेक बाउन्स के केसेस मे वक्त को सबसे बडी अहमीयत दी गई है। जोभी प्रोसिजर है वह वक्त मे ही किया जाना चाहीए।

3) चेक रिटर्न मेमो:-

चेक के बाऊन्स होने के बाद वाली स्लिप वह भी बँक के स्टांप और एथोराईजड सिग्नेचर के साथ होना चाहीए। जिस्तराह बँक मे चेक जमा किया है यह पृफ करने के लिए जैसे स्लिप होती है। वैसेही ऊस्सेही थोडा अलग यह स्लिप होती है। जो के बँक के व्दारा चेक बाऊन्स होने के बाद लेनदार कंप्लेनंन्ट को चेक चेक के साथ लौटाया जाता है। जिसे चेक रिटर्न मेमो कहते है। ईस्से यह पृफ होता है के जो चेक कंपलेनंन्ट व्दारा जमा किया गया था वह यहि चेक है और वह चेक बाऊन्स हूवा है। साथ ही यह चेक क्यो बाऊन्स हुवा उसका कारण भी उस चेक रिटर्न मेनो मे लिखा होता है। जादतौपर फंन्ड ईन्सफिसियंट के बजह से चेक बाऊन्स होते है।

4) लिगल डिमांड नोटीस और उसकी पोस्टल स्लिपे

कंप्लेंनंन्ट व्दावारा दोषी पार्टी को चेक अमाऊंट की डिमांड करनेके लिए जो लिगल डिमांड नोटीस भेजी जाती है उस लिगल डिमांड नोटीस और उसकी पोस्टल स्लिप यह दोनो डॉक्यूमेंटस बहोत आवश्यक होते है। क्योकी पोस्टल स्लिप यह साबित करता है के कंप्लेनंन्ट ने दोषी पार्टीको चेक बाऊन्स होनेके बाद 30 दिनोके अंदर लिगल डिमांड नोटीस भेजकर चेक पर जितनी अमाऊंट है उतनी अमाऊंटकी डिमांड कि है। और यदी दोषी पार्टी कंप्लेनंन्ट को रक्कम नही लौटाती है तब कंप्लेनंन्ट दोषी पार्टी के खिलाफ निगोशियेबल इंन्स्ट्रूमेंट ॲक्ट 1881 के शेक्शन 138 के नुसार न्यायालयमे कंप्लेंन्ट फाऊल करेगा एसे नोटीस मे क्लियर मेंन्शन किया होता है। तो यह दोनो डोक्यूमेंट्स कंप्लेंन्ट फाईल करनेके लिए बहोत जरूरी होते है।

5) पोस्टल एक्नोलेजमेंट स्लिपः-

कंप्लेंन्ट द्वारा दोषी पार्टी को जो लिगल डिमांड नोटीस भेजी जा चुकी है वह नोटीस दोषी पार्टीको प्राप्त हुवा है अथवा नही यह साबीत करनेक लीये पोस्टल एक्नोलेजमेंट स्लिप को कोर्टमे सब्मिट करना बहोत जरूरी होता है। पोस्टल एक्नोलेजमेंट से यह साबित होता है के दोषी पार्टीको लिगल डिमांड नोटीस प्राप्त हुवी है अथवा नही। यदी नोटीस प्राप्त नही हुवी है तो उसका कारण नोटीस के एनव्हलप पर लिखा हुवा होना चाहीए।

6) दोषी पार्टी व्दारा लिगल डिमांड नोटीस पर दिया गया जवाबी नोटीस याने रिप्लाय नोटीसः-

जब कंप्लेनंन्ट व्दारा दोषी पार्टी को चेक बाऊन्स होनेके बाद लिगल डिमांड नोटीस जेना जरूरी होता है। जब वह चेक बाऊन्स की लिगल डिमांड नोटीस दोषी पार्टी को प्राप्त होती है तब दोषी पार्टी एक तो कंप्लेनंन्ट को चेक पार जितनी रक्कम तय हुवा है उतनी रक्कम कंप्लेनंन्ट को लौटा कर उसकी रिसीट लेता है और मामला खतम कर देता है। अथवा वह अपना पक्ष रखनेके लिए उस लिगल डिमांड नोटीस पर जवाबी नोटीस देकर उसपर लगाये आरोपोको खारीज यानेकी झुटलानेकी करनेकी कोशीश करता है। अथवा किसी कारण वह नोटीस का जवाब नही देगा। तो एस स्थितीमे निगोशियेबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के शेक्शन 138 के नुसार कोर्ट मे कंप्लेनंन्ट फाईल करते समय दोषी पार्टी व्दारा भेजी गयी रिप्लाय नोटीस जोडकर देना आवश्यक होता है। यदी दोषी पार्टीने रिप्लाय नोटीस दिया है तो, अथवा नही।

7) कोई एग्रिमेंट, कॉन्ट्रॅक्ट अथवा अंन्य कोई दस्तावेज हो तो

कंपलेनंन्ट और आरोपी के बिच यदी कोई एग्रिमेंट अथवा कॉन्ट्रॅक्ट हुवा हो तो उस कॉन्ट्रेक्ट अथवा एग्रिमेंट की एक कॉपी अथवा कोई अंन्य दस्तावेज, लेटर, बिल, रसीद एसे कोई अंन्य दस्तावेज हो तो उन दस्तावेजोकी एक कॉपी कंप्लेंन्ट फाईल करते समय जोडना आवश्यक होता है। अगर जरूरत पडनेपर कंप्लेनंन्ट के ईनकम टॅक्सके कागजाद भी कोर्ट मे फाईल करने पड सकता है। जिस्से केस और भी स्ट्रॉन्ग हो सके और आरोपी को सजा हो सके।

यह लेख पढकर आपको यह समझमे आया होगा के चेक बाऊन्स होने के बाद निगोशियेबल ईन्स्ट्रूमेंन्ट एक्ट 1881 के शेक्शन 138 के नुसार कोर्ट मे कंप्लेन्ट फाईल करनेके लिए कौन-कौन से आवश्यक डॉक्यूमेंट जोडने चाहिए।



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