Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

विवाह क्या है | विवाह का उद्देश क्या है। | What is marriage? What is the purpose of marriage?

विवाह क्या है | विवाह का उद्देश क्या है। | What is marriage? What is the purpose of marriage?



समाजमें विवाह को बहोत हि महत्व का स्थान दिया गया है। जो मनुष जाती को आगे बढानेका कार्य किया गया है। विवाह परिवार का केन्द्र बिंदु है। यह सामाजिक जीवन को नियमित करता है। जिसके माध्यम से एक पुरूष को एक स्त्री के साथ एकीकार किया जाता है। विवाह परिवार और समाज की नींव है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम विवाह क्या है | विवाह का उद्देश क्या है। | What is marriage? What is the purpose of marriage? इसके बारेमें संपुर्ण जानकारी हासिल करने की कोशीश करते है।


विवाह क्या है

विवाह परिवार का केन्द्र बिंदु है। विवाह यह वो प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक स्त्री और पुरूष के शारीरिक संबंधों को कानूनी स्वीकृति दी जाती है। इस प्रकार यह सामाजिक जीवन को नियमित करता है। टामलिन के कानूनी शब्दकोश के अनुसार, विवाह एक सामाजिक एवं धार्मिक अनुबंध है, जिसके माध्यम से एक पुरूष को एक स्त्री के साथ एकीकार किया जाता है जिससे एक सभ्य समाज बनाने का लक्ष्य पूरा हो सके। दूसरे शब्दों में, विवाह परिवार और समाज की नींव है। हिन्दू लोग विवाह को एक आनिवार्य संस्कार तथा धर्मसम्मत एकीकरण मानते हैं। एक पवित्र, स्थायी, अभेद्य, तथा सनातन संबंध। कोई पुरूष या स्त्री जो बिना विधिपूर्वक विवाहित हो, उसकी कोई सामाजिक प्रतिष्ठा नहीं होती और उसे समाज में नीची नजर से देखा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो, जीवनसाथी विहीन (पत्नी या पति) ऐसा है जैसे कोई पेड़ जिसमें पत्ते न लगे हों।


कानूनी रुप से विवाह के कई परिभाषायें दिये गये है। जिनमेंसे जैसे अर्नेस्ट आर ग्रोव्स के अनुसार, विवाह साथ-साथ जीवन बिताने के साहसिक कारनामे की सार्वजनिक स्वीकृति और कानूनी पंजीकरण है। और लुंडबर्ग के शब्दों में, विवाह वे नियम-विनियम हैं जो पति और पत्नी के अधिकारों, कर्तव्यों, और विशेषाधिकारों को परिभाषित करते हैं। हैरी एम जानसन के अनुसार, विवाह एक ऐसा सुदृढ संबंध है। जिसमें एक पुरूष और स्त्री को समाज की अनुमति होती है कि वे बगैर सामाजिक प्रतिष्ठा में कोई कमी महसूस किये अपने बच्चों को जन्म दे सकें। मालिनोवस्की की परिभाषा के अनुसार, विवाह बच्चे पैदा करने और उनका पालन-पोषण करने का सामाजिक अनुबंध है। इस्तरह कई विवाह के परिभाषाये दिये गाये है।


वेदों के अनुसार विवाह, “माँसपेशियों का माँसपेशियों से और हड्डियों का हड्डियों से मिलन है"। ये वो मिलन है जिसे वेद अटूट मानते हैं। जब तक पति जीवित रहता है, पत्नी का यह धर्म होता है कि वह उसे परमेश्वर माने । इसी तरह पत्नी को पति का आधा अंग (अर्धांगिनी) घोषित किया गया है, जो पति के सभी कर्मों के फल में, चाहे वे अच्छे हों या बुरे बराबर की भागीदार होती है।


विवाह का उद्देश्य क्या है


मिताक्षर विधि के अनुसार विवाह के तीन उद्देश्य होते हैं -

(i) धर्म सम्पत्ति :-

विवाह का मुख्य उद्देश्य है धर्म। वेदों के अनुसार धर्म का सर्वोत्तम कार्य है यज्ञों और बलिदानों का अनुष्ठान। हिंदू शास्त्र, पत्नी- विहीन पुरुष को यज्ञ करने, बलि चढाने, और पूर्वजों की बरखी सम्पन्न करने की अनुमति नहीं देते। अतिथियों का स्वागत करने के लिए भी, जो एक धर्मकार्य है उस दौरान पत्नी का होना अनिवार्य है। उन दिनों अतिथियों का स्वागत एक पुण्य कार्य माना जाता था।


(ii) प्रजा सम्पत्ति :-

पुत्र प्राप्ति के लिए विवाह एक अनिवार्य संस्कार है जो धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न करके प्रजा सम्पत्ति के उद्देश्य को पूरा करता है। वह अपने दिवंगत पूर्वजों जैसे पिता, दादा, परदादा आदि का अंतिम संस्कार करके उनकी आत्मा को पूत कहे जाने वाले नर्क में दुख भोगने से बचा सकता है। इसलिए बेटे को पुत्र, याने मोक्ष प्राप्ति का साधन माना जाता है।


(iii) रति सुख :- 

विवाह का तीसरा उद्देश्य है रति सुख, थानी यौन आनन्द प्राप्ति करनेके लिए। यह एक जैविक आनिवार्यता उद्देश है।


इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को विवाह क्या है | विवाह का उद्देश क्या है। | What is marriage? What is the purpose of marriage? इसेक बारेमें जानकारी देनेका पुरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हामारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।



यह भी पढे


थोडा मनोरंजन के लिए


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ