हिंन्दू विवाह अधिनियम के अनूसार निषिद्ध संबंध की सीमाएं कौन-कौनसी है? | What are the limits of prohibited relationship in hindu marriage act in Hindi | निषिद्ध संबंध की सीमाएं कौन-कौनसी है? | What are the limits of prohibited relationship?
हिंदू विवाह विधी में, कुछ ऐसे रिस्ते हैं जिन्हें विवाह के बंधन में नहीं लाया जा सकता, इस प्रकार की रिस्तों को निषिद्ध संबंधों की डिग्री के रूप में जाना जाता है। अगर दो लोग इस तरह के रिश्ते में शामिल हैं, तो उनकी शादी कभी नहीं होगी। क्योंकि धर्मशास्त्र में अपनी मां, बहन, बेटी या बेटे की पत्नी के साथ यौन संबंधों को परम पाप माना जाता है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम हिंन्दू विवाह अधिनियम के अनूसार निषिद्ध संबंध की सीमाएं कौन-कौनसी है? | What are the limits of prohibited relationship in hindu marriage act in Hindi | निषिद्ध संबंध की सीमाएं कौन-कौनसी है? | What are the limits of prohibited relationship? इस के बारेमें जानकारी हासील करनेकी कोशीश करते है।
निषिद्ध संबंध की सीमाएं कौन-कौनसी है :-
विवाह कर रहे पक्ष वधू और वर दोनों निषिद्ध संबंधों की सीमा में नहीं होने चाहिए। जब तक कि उनके रीति रिवाज इसकी इजाजत न देते हों। हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955, की धारा 5 के खंड 10 में यह प्रावधान है कि कोई भी विवाह उस स्थिति में विधिमान्य नहीं होता जब यह ऐसे लोगों के बीच हो जो निषिद्ध संबंधों की सीमा में आते हों। जब तक कि ऐसा विवाह दोनों पक्षों में परम्परागत रूप से प्रचलित न हो। निषिद्ध संबंधों की सीमा में आने वाला विवाह, हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 11 के तहत अमान्य होता है। इसके अलावा, धारा 18(b) ऐसी गलती करने वाले व्यक्ति को को सामान्य कैद जो एक महीने तक की हो सकती है, अथवा जुर्माना जो एक हजार रूपये तक हो सकता है, अथवा दोनों एक साथ देने का प्रावधान करती है।
यहां पर एक अपवाद दिया गया है। जैसे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के खंड (iv) में यह प्रावधान है कि यदि दोनों पक्षों में ऐसी कोई परम्परा या रीति-रिवाज हो जिसके तहत ऐसा विवाह मान्य होता हो, तब यह उस विवाह को मान्यता प्रदान करेगा, और अधिनियम की धारा 11 के तहत होने वाला अमान्यीकरण उस विवाह पर प्रभावी नहीं होगा।
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अ) पुरुषों के लिए निषिद्ध संबंध :-
माता, दादी, पिता या दादा की पूर्व पत्नी, बेटे या पोते की पूर्व पत्नी, भाई की पूर्व पत्नी, माता-पिता दोनों में से किसी के भाई की पूर्व पत्नी, दादा या दादी के भाई की पूर्व पत्नी, बहन, माता-पिता दोनों में से किसी की बहन, किसी भाई या बहन की बेटी, माता-पिता दोनों में से किसी के भाई की बेटी, माता-पिता दोनों में से किसी के बहन की बेटी. आदी.
ब) स्त्रियों के लिए निषिद्ध संबंध :-
पिता, दादा, माँ या दादी के पूर्व पति, बेटी या पोती के पूर्व पति, पूर्व पति का भाई, पूर्व पति का भतीजा या भाँजा, पूर्व पति का परपोता, भाई, माता-पिता दोनों में से किसी का भाई, किसी भाई या बहन का बेटा, माता-पिता दोनों में से किसी के भाई का बेटा, माता-पिता दोनों में से किसी के बहन का बेटा. आदी.
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निषिद्ध संबंधों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं :
- स्वशास्त्रीय पूर्वज : पिता और पुत्री, माँ और बेटा
- स्वशाखीय पूर्वज या स्वशाखीय संतति की पत्नी या पति। उदाहरण: ससुर और बहू, विधवा सास और दामाद ।
- कोई व्यक्ति ऐसी विधवा से विवाह नहीं कर सकता जो उसके भाई की पत्नी रही हो, या चाचा या मामा, या दादा के भाई या दादी के भाई की पत्नी रही हो।
- भाई और बहन, चाचा या मामा और भतीजी या भाँजी, चाची और भतीजा, भाई और बहनों के बच्चे। या दो भाईयों और दो बहनों के बच्चे।
परम्परा से चल रहे संबंध :-
इन बातों के बावजूद, यदि उनकी परम्परा में ऐसा होता चला आ रहा हो, तो उपर दिये गये कुछ संबंधों के बीच विवाह मान्य होता है। उदाहरण के लिए, दक्षिण भारत में भाई और बहन के बच्चों के बीच विवाह, और किसी व्यक्ति और उसकी बहन की बेटी के बीच विवाह होना आम बात है, और उनकी परम्परा के अनुसार ये विवाह मान्य होते हैं।
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इस लेख के माध्यमसे आज हमने हमारे पाठकों को हिंन्दू विवाह अधिनियम के अनूसार निषिद्ध संबंध की सीमाएं कौन-कौनसी है? | What are the limits of prohibited relationship in hindu marriage act in Hindi | निषिद्ध संबंध की सीमाएं कौन-कौनसी है? | What are the limits of prohibited relationship? इसेके बारेमें संपूर्ण जानकारी देनेका पूरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानाकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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