विवाह के कितने प्रकार है | How many Types of marriage in Hindi
विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा या समाजशास्त्रीय संस्था है। विवाह, स्त्री और पुरूष इन दो लोगों के बीच में एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है। यह मानव प्रजाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान जीवशास्त्री माध्यम भी है। 'विवाह' शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से दो अर्थों में होता है। इसका पहला अर्थ वह क्रिया, संस्कार, विधि या पद्धति है; जिससे पति-पत्नी के 'स्थायी'-संबंध का निर्माण होता है। प्राचीन एवं मध्यकाल के धर्मशास्त्री तथा वर्तमान युग के समाजशास्त्री, समाज द्वारा अनुमोदित, परिवार की स्थापना करनेवाली किसी भी पद्धति को विवाह मानते हैं। विवाह का दूसरा अर्थ समाज में प्रचलित एवं स्वीकृत विधियों द्वारा स्थापित किया जानेवाला दांपत्य संबंध और पारिवारिक जीवन भी होता है। इस संबंध से पति-पत्नी को अनेक प्रकार के अधिकार और कर्तव्य प्राप्त होते हैं। इससे जहाँ एक ओर समाज पति-पत्नी को कामसुख के उपभोग का अधिकार देता है, वहाँ दूसरी ओर पति को पत्नी तथा संतान के पालन एवं भरणपोषण के लिए बाध्य करता है। विवाह के कई प्रकार है तो आईये इस लेख के माध्मस से आजहम विवाह के कितने प्रकार है | How many Types of marriage in Hindi इसके बारेमें संपुर्ण जानकारी हासिल करने की कोशीश करते है।
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विवाह के कितने प्रकार है | How many Types of marriage
मनु ने विवाह का वर्गीकरण निम्नलिखित तरह से किया था
(A) सामान्य या समाज स्वीकृत विवाह
(i) ब्रह्म, (ii) दैव, (iii) अर्श, (iv) प्रजापत्य,
(B) असामान्य या समाज-तिरस्कृत विवाह-
(i) असुर, (ii) गंधर्व, (iii) राक्षस, (iv) पैशाचिक
(A) विवाह के सामान्य या समाज-स्वीकृत, सभ्य प्रकार :
(i) ब्रह्म विवाह :
इस प्रकार के विवाह में कन्या का पिता वर को निमंत्रण देकर अपने घर बुलाता है और उसे अपनी बेटी विवाह में दान करता है। विवाह के इस प्रकार में कन्या का पिता, एक चरित्रवान, वेदों का ज्ञान रखने वाले पुरूष को अपनी 'इच्छा से आमंत्रित कर उसका स्वागत करता है, और उसे एक वस्त्र में लिपटी अपनी कन्या को दान करता है। इस प्रकार के विवाह ब्रह्म रीति कहलाती है। इस विवाह की राति का प्रमुख तत्व यह है कि कन्या के विवाह के बदले में माता-पिता कुछ भी नहीं लेते हैं। जब वे दूल्हे का चुनाव करते हैं तो उसमें बेटी के बदले में कुछ पाने की कोई इच्छा नहीं होती है। यह रीति पहले ब्राह्मणों में प्रचलित थी। विवाह की ब्रह्म रीति सर्वोत्तम मानी जाती है। विवाह की यही एक रीति है जो आज भी प्रचलित है।
(ii) देव विवाह :
इस विवाह की रीति में दुल्हन को गहनों से सजा कर एक पुजारी को दान कर दिया जाता है, और वह पुजारी, ब्राह्मण को मिलने वाली दक्षिणा के बदले में दुल्हन के पिता द्वारा किये जाने वाले बलि अनुष्ठान को सम्पन्न करता है।
(iii) अर्श विवाह :
इस विवाह की रीति में 'दुल्हन का पिता बदले में दूल्हे से एक या दो जोडी गाय लेता है। अर्श विवाह रीति में कन्या के विक्रय का थोडा सा अंश नजर आता है। लेकिन कन्या के पिता द्वारा दूल्हे से एक या दो जोड़ी गाय या बैल का उपहार लेना बस एक पवित्र नियम का पालन मात्र होता है। इसमें कन्या के विक्रय का कोई इरादा नहीं होता। दूल्हे द्वारा दिये गये गाय या बैल का जोडा दुल्हन के साथ दूल्हे को वापस लौटा दिया जाता है।
(iv) प्रजापत्य विवाह:
इस प्रकार के विवाह की में कन्या का पिता विवाह करने वाले जोड़े को सम्बोधित कर यह कहता है, आप दोनों अपने धर्म कार्यों का साथ-साथ संचालन करें। इस विवाह में कन्या का पिता अपनी बेटी के लिए योग्य वर ढूंढ कर लाता है। इस विवाह में निमन्त्रण का तत्व शामिल नहीं रहता है। प्रजापत्य विवाह, हिन्दू विवाह की एक प्राचीन विधि है, और यह ब्रह्म विवाह से मिलती-जुलती है।
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(B) विवाह की असामान्य अथवा समाज-तिरस्कृत, असभ्य रीतियाँ :-
(i) असुर विवाह :
इस प्रकार के विवाह में दूल्हा पैसे देकर दुल्हन प्राप्त करता है। मनु के अनुसार जब कोई दूल्हा, दुल्हन के बदले में स्वेच्छा से अपनी सामर्थ्य के मुताबिक, कन्या और उसके परिवार वालों को धन सम्पत्ति देकर दुल्हन प्राप्त करता है तो इस प्रकार के विवाह को असुर विवाह कहते हैं। विवाह की यह रीति लगभग बेच कर विवाह करने के बराबर ही है, क्योकि यह कन्या के पिता द्वारा उसे बेच देने जैसा ही है। विवाह की असुर रीति दक्षिण भारत में ज्यादा प्रचलित है।
(ii) गंधर्व विवाह :
यह एक प्रकार का प्रेम विवाह है। याने कि एक प्रोमिका और उसके प्रेमी का स्वेच्छा से मिलन। अश्वालयान के अनुसार कोई पुरूष किसी लडकी को राजी करने के बाद आपसी सहमति से उससे विवाह करता है तो इसे गंधर्व विवाह कहते हैं। बौद्धयान वैश्यों और शूद्रों के लिए गंधर्व विवाह को विधि सम्मत मानते हैं।
(iii) राक्षस विवाह :
यह कन्या की इच्छा के विरूद्ध किया गया जबरदस्ती का विवाह है। मनु के अनुसार किसी लडकी के परिवारवालों की हत्या कर, अथवा उन्हें घायल कर, घर के दरवाजे तोड़ कर, किसी रोती चिल्लाती लड़की को उसके घर से जबरदस्ती उठा कर जब उससे विवाह किया जाता है तो इस विवाह को राक्षस रीति कहते हैं।
राक्षस विवाह किसी स्त्री को जबरदस्ती पकड़ कर किया जाने वाला विवाह है, और यह सिर्फ क्षत्रियों और सैन्य वर्गों में प्रचलित था। विवाह की राक्षस प्रथा जिसमें कन्या को उसके घर से जबरदस्ती उठा कर उससे विवाह किया जाता है, आज भी बेरार की गोंड जनजाति और मध्य प्रदेश की बेतुल जनजाति तथा कुछ और आदिम पहाडी जनजातियों में प्रचलित है।
(iv) पैशाचिक विवाह :
इस प्रकार के विवाह में कोई पुरूष किसी सोई हुई या बेहोश स्त्री के साथ जबरदस्ती संभोग करता है। बौद्धयान के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी स्त्री के साथ संभोग करता है जो सोई हुई हो, या नशे की हालत में हो, या डर अथवा कामुकता से अपने होशोहवास में नहीं हो, और इसके बाद उससे विवाह करता है तो इसे पैशाचिक विवाह कहते हैं।
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विवाह के ये चार प्रकार विवाह के असभ्य तरीके माने जाते हैं क्योंकि ऋषि मुनियों ने इन्हें अपनी कृति नहीं दी थी । वर्तमान समय में विवाह की सिर्फ तीन रीतियाँ प्रचलित हैं :
(i) ब्रह्म विवाह
(ii) असुर विवाह
(iii) गंधर्व विवाह
लेकिन हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955, की धारा 7 के अनुसार विवाह की ये विभिन्न रीतियाँ अब समाप्त हो चुकी हैं। विवाह करने के इच्छुक लोग अब अपने समाज या बिरादरी में प्रचलित किसी भी तरीके से विवाह करने के लिए स्वतंत्र हैं।
इस लेख के माध्यस से हमने हमारे पाठकोंको विवाह के कितने प्रकार है | How many Types of marriage in Hindi इसके बारेमें संपुर्ण जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसांद आया होगा। इसी प्रकार कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।
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