क्या हिन्दू विवाह एक परम संस्कार है या एक अनुबंध | Hindu Marriage Is A Contract Or A Religious Sacrament in Hindi
इस बात को संमझना जरुरी है की हिन्दू विवाह यह एक संस्कार है या अनुबंध। वेदों से और पुराणोसें देखा जाये तो यह एक संस्कार है। हिन्दू समाज में विवाह का मतलब है के सातो जमनम का बंधन जो के तोडा नही जा सकता। हिन्दू संस्कार में तलाख को कोई स्थान नही है लेकीन हिन्दू विवाह अधिनियम यह कानून आने के बाद यह एक अनुबंध जैसे कार्य करने लगा है। तो आईये इस लेख के माध्यम से आज हम क्या हिन्दू विवाह एक परम संस्कार है या एक अनुबंध | Hindu Marriage Is A Contract Or A Religious Sacrament in Hindi इसके बारेमें संपुर्ण जनकारी हासिल करने की कोशीश करते है।
क्या हिन्दू विवाह एक परम संस्कार है या एक अनुबंध | Hindu Marriage Is A Contract Or A Religious Sacrament in Hindi
यह एक बड़ा ही महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि, “क्या हिन्दू विवाह एक परम संस्कार है या एक सामान्य नागरिक अनुबंध, अथवा दोनों एक साथ - परम संस्कार भी और दीवानी अनुबंध भी ?” विवाह परिवार का केन्द्रबिन्दु होता है। यह हर व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करने के साथ-साथ सामाजिक जीवन को भी नियमित करता है। यही कारण है कि परिवार और समाज की नींव है - विवाह। विवाह के विशिष्ट महत्व के कारण हिन्दू विवाह को परम संस्कार और पवित्र माना गया है। लेकिन कुछ ऐसे कानून भी हैं जिनके अंतर्गत विवाह के विच्छेद का भी प्रावधान है। उदाहरण के लिये कहे तो हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955, की धारा 13 और 13-B इस कारण से इसे एक अनुबंध भी कहा जा सकता है। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि हिन्दू विवाह एक परम संस्कार भी है और एक अनुबंध भी।
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विवाह को परम संस्कार माने जाने के लिए निम्नलिखित विशेषतायें होने चाहिए :-
(i) एक स्थायी और अटूट संबंध हो,
(ii) एक शाश्वत, सनातन संबंध हो,
(iii) एक पवित्र संबंध हो.
(i) एक स्थायी और अटूट संबंध :-
इस विशेषता को अब कोई खास महत्व नहीं रखती है। क्योंकि हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 और 13-B में अब यह प्रावधान है कि तलाक के माध्यम से किसी विवाह संबंध को समाप्त किया जा सकता है।
(ii) एक शाश्वत, सनातन संबंध :-
यह भी वर्ष 1856 में समाप्त हो गई है जब भारत देश में हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 यह कानून पारित किया गया था।
(iii) एक पवित्र धार्मिक संबंध :-
यह आज भी कायम है क्योंकि हिन्दू विवाह के विधिमान्य होने के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 7 के अनूसार कुछ धार्मिक रस्म रिवाजों का पालन होना अनिवार्य है।
(1) हिन्दू विवाह एक परम संस्कार और पवित्र संबंध है।
(A) प्राचीन ग्रंथ
(B) आधुनिक कानून
(2) हिन्दू विवाह एक दीवानी अनुबंध है।
(1) हिन्दू विवाह एक परम संस्कार और पवित्र संबंध है :-
इस प्रश्न का उत्तर के लिए प्राचीन ग्रंथों और आधुनिक कानून समझाना जरूरी है जिसमें हिन्दू विवाह की स्थिति के आधार पर सकारात्मक रूप में दिया गया है,
(A) प्राचीन ग्रंथ :-
हिन्दू विवाह एक परम संस्कार होने के कारण, किसी भी हिन्दू के लिए यह एक आनिवार्य संस्कार या धार्मिक रस्म है। विवाह यह एक ऐसी क्रिया है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति किसी खास मकसद के लायक हो जाता है, जैसे कि धर्म सम्पत्ति, प्रजा सम्पत्ति, बलि प्रदान करना, रति सुख (यौन सुख, जिसे विवाहित पत्नी के बिना पाप माना जाता है।) शास्त्रों के अनुसार विवाह एक परम संस्कार है, और पुरूष के लिए अपनी कन्या का दान (कन्यादान) करना एक पिता का परम कर्तव्य है, जिससे बाद उसे आध्यात्मिक लाभ होता है। वेदों के अनुसार विवाह एक सम्मानजनक संस्था है जो सामाजिक जीवन को नियंत्रित करती है।
हिन्दू लोग निम्नलिखित कारणों से विवाह को परम संस्कार या परम पवित्र संबंध मानते हैं :-
- शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, पत्नी पति का आधा अंग होती है, यानि कि अर्द्धागिनी। विवाह के पहले पुरूष अधूरा होता है, और विवाह के बाद ही वह एक पूर्ण पुरूष कहलाता है।
- मनु ने कहा है कि जब एक पुरूष और एक स्त्री विवाह संबंध में बंध जाते हैं तब उनके बीच कोई मतभेद नहीं रहना चाहिए और उन्हें एक दूसरे के प्रति वफादार बने रहना चाहिए।
- पत्नी, पति का आधा अंग होने के कारण धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का श्रोत होती है।
- विवाह पुरूष को सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करता है। शास्त्र किसी पत्नी-विहीन पुरूष को अतिथियों का स्वागत, जो एक धर्म कार्य है, करने की इजाजत नहीं देते। इसके अलावा पिता को नर्क से बचाने के लिए और पूर्वजों के अंतिम संस्कार करने के लिए भी एक पुत्र का होना अनिवार्य है।
- पत्नी अपने पति के सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हिन्दू दर्शन पत्नी का वर्णन इन रूपों में करता है - (1) कार्येषु मंत्री, (2) करणेसु दासी, (3) भोज्येषु माता, (4) शयनेषु रंभा। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि स्त्री (पत्नी) एक पुरूष के जीवन में उसके उत्थान और पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(B) आधुनिक कानून :-
हिन्दू विवाह एक पवित्र संबंध है क्योंकि इस विवाह की प्रक्रिया में धार्मिक रस्म रिवाजों जैसे कन्यादान और सप्तपदी का पालन आनिवार्य है। हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955, धारा 7 के अनूसार इन रस्म रिवाजों का पालन नहीं होने की स्थिति में वह विवाह अविधिमान्य माना जाता है।
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इसी प्रकार हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955, की धारा 9, दाम्पत्य अधिकारों की बहाली के प्रावधान के माध्यम से वैवाहिक संबंधों को मजबूती प्रदान करती है। कई मामलों में विवाहित स्त्रियों के दाम्पत्य संबंध बचाने के लिए नौकरी छोड़ने का निर्देश देकर न्यायालयों ने विवाह को टूटने से बचाने के पक्ष में अपना निर्णय दिया है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए हम यह कह सकते हैं कि विवाह एक परम संस्कार और पवित्र संबंध है ।
(2) हिन्दू विवाह एक दीवानी अनुबंध है :-
हिन्दू विवाह को हर स्थिति और हर मामले में एक परम संस्कार और पवित्र संबंध नहीं माना जा सकता है। हिन्दू विधि के आधुनिक लेखकों के अनुसार हिन्दू विवाह केवल एक परम संस्कार ही नहीं बल्कि एक अनुबंध भी है। अंग्रेजी लेखक मेन के अनुसार, हालाँकि हिन्दू कानून के अनुसार विवाह एक पवित्र संस्कार है, लेकिन यह एक दीवानी अनुबंध भी है जो दान के स्वरूप में होता है।
आधुनिक कानून में कुछ ऐसे विधान हैं जो विवाह के विघटन का प्रावधान करके इसे एक दीवानी अनुबंध का स्वरूप प्रदान करते हैं। विवाह को एक विशिष्ट संस्कार होने के लिए इसे एक अटूट संबंध होना चाहिए, लेकिन हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955, की धारा 13 और 13-B में विवाह के विच्छेद का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 18 के तहत पत्नी के भरण-पोषण का प्रावधान, हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 और 25, और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125, विवाहित स्त्रियों की अपने विवाह के बंधन से मुक्ति पाने की दबी हुई इच्छा को बल प्रदान करते हैं।
आज हमने इस लेख के माध्यम से हमारे पाठकों को क्या हिन्दू विवाह एक परम संस्कार है या एक अनुबंध | Hindu Marriage Is A Contract Or A Religious Sacrament in Hindi इसके बारेमें पुरी जानकारी देनेका पुरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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