कानून को समझें और जानें | Understand and know the law
हम भारत देश के नागरिकों को हमारे देश के कानून की जानकारी रखना बहोत जरूरी है। क्यों के इस कानून के जानकारी के कई फायदे है। इस लेख के माध्यम से आज हम इन्ही कानून के फायदों को समजने की कोशीश करनते है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम कानून को समझें और जानें Understand and know the law इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है।
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- कोई भी असामाजिक व्यक्ति चाहे वह स्कूल, कालेज का छात्र हो, गुंडा तत्व हो, वह किसी भी महिला अथवा लडकी के साथ किसी भी तरह की छेडखानी करता है, तो बिल्कुल चुप न रहिये। अपने परिवार के सदस्यों, पुलिस अथवा समाज के लोगों की जानकारी में लायें। अपने सहयोगी अथवा सहेलियों को भी बतायें, अन्यथा ऐसे तत्वों के हौसले बढेंगे और कोई बडी घटना भी वे घटित कर सकतै है।
- पति के पास जो भी जायदा (खेती की जमीन, घर, प्लाट) है, वह पत्नी या दोनों के संयुक्त नाम पर भी रजिस्टर हो सकती है।
- पत्नी को अपनी शादी के समय और बाद में माता—पिता और ससुराल से मुंह दिखाई के तौर पर जो कुछ भी मिला हो, वह स्त्री धन कहलाता है, उस पर कानूनी हक पत्नी का ही होता है।
- कानून के तहत कोई भी गैर शादीशुदा या शादीशुदा औरत अनचाहा गर्भपात करवा सकती है। गर्भपात कराना औरत का निजी फैसला है, जिसके लिए उसे कोई भी नहीं रोक सकता है।
- मॉं—बाप के बीच तलाक हो जाने के बावजूद बच्चे का पिता की जायदाद में हक/हिस्सा बराबर बना रहता है।
- शादीशुदा पति—पत्नी संयुक्त रुप से अदालत में अर्जी पेश कर आपसी सहमति से बिना विलम्ब के तलाक प्राप्त कर सकते है।
- जनम, मृत्यू और विवाह का पंजीयन अवश्य कराये। इससे आप भविष्य में होने वाली परेशानियों से बचे रहेंगे।
- किसी को टोनही कहना कानून गम्भीर अपराध है। इस अपराध के लिए दंडित भी किया जा सकता है।
- किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के विरुध्द कोई अपमानजनक बात न करें, जातिगत गाली न दे, ऐसे करना गंम्भीर प्रकृति का अपराध होता है, जो दण्डनीय तथा अजमानतीय है।
- पी.आई.एल. द्वारा आम लोगों के फायदे या सार्वजनिक महत्व के मामले, जो मौलिक अधिकार से संबंधित हो, उच्च न्यायलय या उच्चतम न्यायालय में पेश किये जा सकते है।
- किसी भी मिलावटी पदार्थ, जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो, उसके आयात करने, बनाने, रखने, बेचने या बंटने से प्रतुकूल असर हो तथा झठी वारंन्टी देना आदि कानून अपराध है। इसमें कम से कम 6 माह और अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
- प्रत्येक नागरिक को संविधान, उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रगान का पूर्ण आदर कना चाहिए। ध्वज फहराने से ठीक पहले सावधान हो जाना चाहिए। घ्वज अभिवादन के बाद राष्ट्रगान (जण,गण,मन) पूर्ण होने तक उसी अवस्था में ही रहना चाहिए।
- कोई व्यक्ति, जो अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य है, स्त्री या बालक है, मानसिक अस्वस्थता, विनाश, जातीय हिंसा, बाढ, सूखा का शिकार है या वार्षिक एक लाख रुपये से कम है, उसे विधिक सेवा प्राधिकरण जिला न्यायालय, तहसील सिविल कोर्ट में निःशुल्क कानूनी सहायता पाने का अधिकार है।
- महिला के नाम पर जमीन, मकान की रजिस्ट्री कराये जाने पर शासन द्वारा पंजिीयन शुल्क में छूट का प्रावधान किया गया है।
- रैगिंग एक गंम्भीर अपराध है, जिसके लिये कानून में कारावास और जुर्माने के दण्ड का प्रावधान है। ध्यान रहे दंडित होने पर शासकीय सेवा के अयोग्य होने की स्थिति भी निर्मित हो सकती है।
- शासन द्वारा नागरिकों के हितों के लिए मानव अधिकार आयोग, महिला अधिकार आयोग का भी गठन किया गया है। जहां मानवीय/स्त्री अधिकारों के हनन की शिकायत सीधे भेजी जा सकती है।
- राज्य शासन ने संपूर्ण छत्तीसगढ में 9 से 12 कक्षा तक के शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति—जनजाति की छात्राओं को शाला आवागमन होतु निःशुल्क सायकल प्रदाय योजना लागू की है। जिसने सुविधा प्राप्त नहीं की है, वे अपने शिक्षा केंन्द्रसे सुविधा प्राप्त कर सकते है।
- प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण हेतु चिकित्सीय परीक्षण कराना कानूनन अपराध घोषित किया गया है। परीक्षण कराने वाला और परीक्षण करने वाला चिकित्सक, दोनों को ही दंडित किये जाने का प्रावधान कानून में है।
- बालिग व्यक्ति, जो कम से कम 21 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका है, स्त्री, जो कम से कम 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुकी है, वे अविवाहित रुप में भी साथ—साथ रह सकते है। उनका साथ रहना किसी बी कानून के तहत जुर्म नहीं है। उन्हे कोई (पुलिस प्रशासन या रिश्तेदार) प्रताडित करने का हक नहीं रखता है।
- हिन्दू पति—पत्नी क्रूरता, जारता, परित्याग असाध्य रुप से विकृत चित्तता, गुप्तरोग या कुष्ठरोग, सन्यासी हो जाने की स्थिति, दूसरा धर्म अपना लेने, 7 वर्ष से अधिक अवधि तक गायब हो जाने के आधार पर दूसरे पक्ष के विरुध्द तलाक की डिक्री अदालत में याचिका पेश कर प्राप्त कर सकता है।
- 21 वर्ष से कम उम्र के बालक व 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका का विवाह कानूनन अपराध है। इस विवाह में सहयोग करने वाले को भी सजा हो सकती है।
- छत्तीसगढ विवाह का का अनिवार्य पंजीयन नियम 2006 के तहत विवाह का पंजीयन कानून जरूरी है, जो ग्राम पंचायत, नगरपालिका या नगरपालिक निगम में कराया जा सकता है।
- कोई पति बिना किसी उचित व पर्याप्त कारण के अपनी पत्नी अथवा बच्चों का परित्याग किया हो तो पत्नी—बच्चे उससे उचित व पर्याप्त भरण—पोषण खर्च पाने के कानूनन अधिकारी होते है। इसके लिये उन्हे मजिस्ट्रेट की अदालत में विवरण सहित अर्जी लगानी चाहिये।
- संविधान के अंतर्गत बेटियों को भी जन्म लेने और गरिमामय जीवन जीने का अधिकार है। भ्रूण की लिंग जांच एवं कन्या—भ्रूण हत्या दंडनीय अपराध है।
- विज्ञान के अनुसार महिला के X क्रोमोसोम से पुरुष का X क्रोमोसोम मिलता है, तो लडकी का जन्म होता है। अतः पुरूष ही वह प्रधान कारक है, जिसके क्रोमोसोम से लडके या लडकी का जन्म तय होता है।
- किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या जाति के बालिग पुरुष (21 वर्ष) व स्त्री (18 वर्ष), जो जड या पागल न हो, पूर्व पति या पत्नी जीवित न हो, प्रतिसिध्द कोटि की नातेदार न हो, विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अंतर्गत विवाह कर सकते है। प्रत्येक जिलाधीश कार्यालय में विवाह अधिकारी नियुक्त है। उचित आवेदन पत्र, शपथ पत्र, जन्म तिथि प्रमाणपत्र पेश कर बहुत ही कम व्यय पर विवाह कर सकते है।
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इस लेख के माध्यम से आज हमने हमारे पाठकों को कानून को समझें और जानें Understand and know the law इसके बरेमें जानकारी देनेका पुरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी हासिल करने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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