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सभी के फायदों के कानून को जानें और समझें | Know And Understand The Law Of Benefits For All | कानून क्या है | What is Law in Hindi | Kenoon ki jankari Hindi me | कानूनी जानकारी हिन्दी में

सभी के फायदों के कानून को जानें और समझें | Know And Understand The Law Of Benefits For All | कानून क्या है | What is Law in Hindi | Kenoon ki jankari Hindi me | कानूनी जानकारी हिन्दी में



हमारे देश में सभी नागरिकों को कानून के फायदों को समजने के लिए और उसे जाननेके लिए आज हमने इस लेख के माध्येसे सभी के फायदों के कानून को जानें और समझें | Know And Understand The Law Of Benefits For All | कानून क्या है | What is Law in Hindi | Kenoon ki jankari Hindi me | कानूनी जानकारी हिन्दी में इसके बारेमें जानकारी देनेका पुरा प्रयास किया है। तो आईये इस लेख के माध्यम से हम इसके बारेमें जानकारी हासिल करते है।



सभी के फायदों के कानून को जानें और समझें | Know And Understand The Law Of Benefits For All

      1. हिंन्दू दत्तक एवं भरण—पोषण कानून में यह प्रावधान है कि कोई भी हिन्दू चाहे पुरूष हो या स्त्री, उनका दायित्व होगा कि वे अपने अन्य रिश्तेदारों के अतिरिक्त अपने संतान व वृध्द माता-पिता की परवरिश करेंगे, जिसमें सौतेली मां भी परवरिश पाने की अधिकारिणी है। ऐसा न करने पर उनके विरुध्द दीवानी अदालत में आवेदन दिया जा सकता है, जिसके लिए निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करनेका भी प्रावधान है।
      2. हिन्दू दत्तक तथा भरण—पोषण कानूनों के तहत विवाहित पत्नी, पति की मृत्यु के पश्चात अपने ससुर से भरण—पोषण पाने की हकदार होती है, बशर्ते उसके पास आय का कोई साधन न हो।
      3. शासन की शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय वृध्दावस्था पेंशन योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना, निःशक्त जन छात्रवृत्ति योजा चलायी जाती है, जिसकी पम्पूर्ण जानकारी नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत तथा ग्राम पंचायत से प्राप्त कर उसका संम्पूर्ण लाभ नागरिक प्राप्रत कर सकता है।
      4. माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका क्रमांक—173, 177/99 में दिनांक 17/10/2006 को पारित आदेश के अनुसार राज्य शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वावा महिला उत्पीडन मामले की सतत निगरानी करने, महिला अत्याचार के विरुध्द कारगर कार्यवाही कर पीडित महिलाओं को समुचित मार्गदर्शन एवं सहायता दिलाने के लिये प्रत्येक जिले में महिला उत्पीडन निवारण समिति का गठन करना आवश्यक किया गया है।
      5. राज्य शासन द्वारा समेकित बाल विकास सेवा योजना, पोषण आहार कार्यक्रम, किशोरी शक्ति योजना स्वयंसुधा, एकीकृत महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम, आयुष्मती योजना, दत्तक पुत्री शिक्षा योजना, महिला जागृति शिविर, महिला कोष्ठ की ऋण योजना, महिला सशक्तीकरण मिशन, स्व—शक्ति परियोजना कार्यक्रम महिला एवं बाल कल्याण हेतु दिलाया जात है। इसके साथ ही नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, शसकीय झूला घर, मातृ कुटीर, बालवाडी सह संस्कार केंन्द्र भी संचालित होते हैं। इन सारी योजनाओं के संबंध में जिला महिला बाल विकास अधिकारी, बाल विकास परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक, आंगणबाडी कार्यकर्ता से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
      6. यदि आपके द्वारा लिखा गया चैक, बैंक द्वारा बिना भुगतान किये इस कारण वापस लौटा दिया जाता है कि आपके खाते में भुगतान हेतु पर्याप्त धनराशि नही है या उस रकम से अधिक है, जिसका बैंक के साथ किये गये करार के द्वारा उस खाते में से संदाय करने का ठहराव किया गया है तो आपका यही कृत्य चैक के प्रति अनादरण तथा अपेक्षापूर्ण कृत्य होगा, जो घारा 138 चैकों का अनादरण अधिनियम के अंतर्गत दंण्डनीय अपराध है।
      7. किसी भी नगरिक को उसके धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर किसी दुकान, भोजनालय,होटल, मनोरंजन स्थान, कुंआ, तालाब, घाट,स्नान घाट, सडक पर प्रवेश करने या आने—जाने से नहीं रोका जा सकता है। उसे रोकना उसके मौलिक अधिकारों का हनन है।
      8. जाहं किसी मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति के अभिभावक की इच्छा है कि उस मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति को मनोचिकित्सालय में चिकित्सा हेतु भर्ती करवाया जावे, वहां वह प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी से उस संबंध में निवेदन कर सकता है। उस मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति के देखभाल का समस्त खर्च शासन को वहन करना पजेगा। इसके अलावा प्रत्येक पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी, जिनके थाने की सीमाओं में स्वच्छंद विचरण करते हुये मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति दिखता है तो उसे अपने संरक्षण में लेकर दो घण्टे के अंदर निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना उसका कानूनी दायित्व बताया गया है।
      9. जिला उपभोक्ता फोरम, जिसका कार्यालय कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित है, वहां पर कोई भ उपभोक्ता, जिसने उपभोक्ता हेतु सामग्री क्रय की है और उसकी कीमत चुकायी है और उसके पास उस सामग्री को क्रय करने की रसीद है तो वह सामग्री के खराब होने, आशा से कम प्रकृति की होने, गुण या महत्व का कम होने, सामग्री के हानिकारक होने, गंदी या रोग युक्त होने, सही पैकिंग न होने, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो, जिस डिब्बा में रखी गई हो वह डिब्बा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक व डहरीला हो, मिठाई में मिलाया गया रंग या अनुमति सम अधिक मात्रा में मिलाया गया रंग, पदार्थ के गुण, महत्व व शुध्दता तय मानक से कम हो, तो उसकी शिकायत सदे आवेदन में पूर्ण विवरण सहित कर सकता है। इसके अलावा खाद्य पदार्थ को गलत नाम देकर बेचे जाने, अगर उसका नाम किसी दूसरे पदार्थ से ऐसे मेल खाता हो कि ग्राहक धोखा का जाय, अगर झूठ बोलकर उस पदार्थ को विदेशी बताया गया हो, अगर वह किसी और पदार्थ के नाम से बेचा जाय, अगर उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव करके उसे ज्यादा मूल्य का बताया जाय, अगर उसके पैकिंग के अंदर विवरण न दिया गया हो या गलत विवरण दिया गया हो अथवा लेबल झूठी कम्पनी बाताता हो, अगर वह पोषक आहार के रुप में बनाया गया हो और उसका लेबल उसमें प्रयोग की गई सामग्रियों के बारे में न बताता हो, अगर उसमें कोई भी बनावटी रंग, खुशबू या स्वाद का प्रयोग हुआ हो, जिसके बारे में लेबल पर न लिखा गया हो, अगर उका लेबल उपभोक्ता संरक्षण नियम 1986 के बनाये गये नियमों के अनुसार न हो, तो उसकी निखित शिकायत जिला उपभोक्ता फोरम में पेश कर संबंधित व्यापारी व कम्पनी को दंण्डित कराया जा सकता है।
      10. किसी सामान्य जाति का व्यक्ति ्गर किसी अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग के व्यक्ति को जातिगत आधार पर उसके साथ छुआछूत के तहत तथा अन्य घिनौने कृत्य अथवा उत्पीडित किया जाता है तो उसका कृत्य अनुसूचित जाति एवं अनुसूतित जनजाति (उत्पीडन एवं छुआछूत निवारण) अधिनियम 1989 के प्रावधानों के तहत दण्डनीय अपराध है।
      11. रिश्वत लेना ही नहीं, बल्कि रिश्वत देना भी दण्डनीय अपराध है। यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को रिश्वत देता है या लोक सेवक को भ्रष्ट आतरण या अवैध साधनों द्वारा पदेन कृत्य अनुग्रह करने के लिए उत्प्रेरित करता है तो ऐसी रिश्वत देकर लोक सेवक को गुमराहग करने वाले व्यक्तियों को कानून के तहत 5 वर्ष के लिए कारावास से दंण्डित किये जाने का प्रावधान है।
      12. लोक सेवक के अंतर्गत शासकीय सेवक के अलावा ऐसे सभी व्यक्ति आते है जो शासन के किसी पद पर आसीन हैं जिसके आधार पर वे किसी लोक कर्तव्य का पालन करने के लिए प्राधिकृत है,जैसे गांव का प्रधान,एम.एल.ए., एम.पी., न्यायालय द्वारा नियुक्त सरकारी वकिल भी लोक सेवक है। भ्रष्टाचार का मतलब घूस या रिश्वत लेना अथवा उसके पदीय कृत्य के पालन के साथ परितोषण या ईनाम, अपने पदेन कार्य में अपने पदीय कर्तव्यों के प्रयोग में अनुग्रह दिखाने के लिये, यदि कोई लोक सेवक प्राप्त करता है तो वह पद का दुरूपयोग करता है, जिसके लिए दण्ड का प्रावधान कानून में किया गया है।
      13. भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत प्रत्येक गांव के वयस्क व्यक्तियों को प्रति वर्ष 100 दिन का रोजगार प्रदान करने का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे वयस्क व्यक्ति, अकुशल व्यक्ति, जो शारीरिक कार्य करने हेतु इच्छुक हो, उसे ग्राम पंचायत में अपना नाम, पता व उम्र लिकाकर पंजीयन कराना होगा, जो 5 वर्ष के लिये मान्य होगा। उसे पंचायत द्वारा एक फोटो युक्त जाब कार्ड जारी किया जायेगा। काम करने के लिये उसे ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी को कम से कम 14 दिनों तक लगातार काम करने हेतु आवेदन देना होगा, जिसकी प्राप्ति के 15 दिनों के अंदर ही उसे रोजगार प्राप्त होगा। ग्राम पंचायत के सूचना पटल तथा कार्यक्रम अथिकारी के कार्यालय पर सूचना टांगी जायेगी, जिसमें काम करने वाले व्यक्ति का नाम, काम का स्थान और काम के लिए कब से जाना है, से संबंधित संम्पूर्ण जानकारी रहेगी। महिलाओं को रोजगार प्रदान करने में प्राथमिकता रहेगी और कम से कम एक तिहाई संख्या में में महिलायें वहां रोजगार पर रहेंगी। मजदूरी कम से कम 75/- रुपये प्रतिदिन की रहेगी। उसका भुगतान साप्ताहिक होगा। अधिकतम 15 दिनों में भुगतान निश्चित करना होगा। मजदूरी का भुगतान नगद या किसी वस्तु के रुप में होगा। फिर भी एक चौथाई भुगतान नगद के रुप में होगा। काम के समय दुर्घटना की स्थिति में मुफ्त ईलाज का प्रावधान है। श्रमिक का बैंक या पोस्ट औफिस में खाता खोलकर मजदूरी की राशि उसमें जमा कराये जाने का भी प्रावधान है।
      14. सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक किसी भी लोक निकाय के दैनिक क्रियाकलापों के संबंध में आवश्यक सूचना प्राप्त कर सकता है। वह निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर सकता है। लोक अधिकारी के पास मौजूद दस्तावेजों और अभिलेखों का निरीक्षण कर सकता है और उनकी प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त कर सकता है। विकास कार्यों या योजनाओं के निर्माण में लगायी गयी सामग्री के प्रमाणित नमूने ले सकता है। डिस्केट, फ्लापी, टोप, वीडियों कैसेट क रुप में या अन्य किसी इलेक्ट्रानिक रूप से भंडारित की गई सूचनाओं को भी प्राप्त कर सकता है। संबंधित सूचनायें वह उस विभाग के लोक सूचना अधिकारी, सहायत लोक सूचना अधिकारी के समक्ष हिंन्दी अथवा अंग्रेजी में अवेदन लिखकर आवश्यक विवरण देकर 10/- रुपये नगद/चालान (जो मु्कय शीर्ष—0070—उपमुखअय शीर्ष 800—अन्य प्राप्तियों में लोक प्राधिकारी के नाम देय  हो) मनीआर्जर, ज्युडिशियल स्टाम्प देकर 10 दिवस के अंदर प्राप्त कर सकता है, अन्यथा अपीलीय अधिकारी के पास 10 दिवस में आवेदन दे सकता है। उसके आदेश से संतुष्टि न हो तो द्वितीय अपील 90 दिन के अंदर राज्य सूचना आयोग, मुख्यालय रायपुर में भी कर सकता है। गरीबी रेखा के नीचे के व्यक्ति को कोई भी फिस नहीं लगती है। समय—समय पर सूचना न देने पर, आवेदन लेने से इंकार करने पर, असद्भावपूर्वक सूचना देने पर, इंकार करने पर, गलत या अपूर्ण या गुमराह करने वाली सूचना देने, सूचना को नष्ट करने पर, आर्थिक दण्ड का प्रावधान है।



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