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मध्यस्थता के संबंध में संपूर्ण जानकारी | मध्यस्थता क्या है? | मध्यस्थता से होने वाला लाभ | Complete information regarding mediation | What is mediation?

मध्यस्थता के संबंध में संपूर्ण जानकारी | मध्यस्थता क्या है? | मध्यस्थता से होने वाला लाभ | Complete information regarding mediation | What is mediation? 


हमारे देश में न्यायालयों में अनेक प्रकरण लंबित है। जिन्हे जल्दसे जल्द निपटाने के लिए कोई मध्यस्थता का उपयोग किया जाता है। अभी यह मध्यस्थता क्या है और मध्यस्थता से होने वाले लाभ कौन-कौन से है साथ ही मध्यस्थता के संबंध में संपुर्ण जानकारी आज हम इस लेख के माध्यमसे लेने का प्रयास करते है।



(1) मध्यस्थता क्या है?

मध्यस्थता विवादों को निपटाने की न्यायिक प्रक्तिया से भिन्न एक वैकल्पिक प्रक्रिया है, जिसमें एक तीसरे स्वतंत्र व्यक्ति मध्यस्थ (मीडियेटर) दो पक्षों के बीच अपने सहयोग से उनके सामान्य हितों के लिए एक समझौते पर सहमत होने के लिए उन्हे तैयार करता है। इस प्रक्रिया में लचीलापन है और कानूनी प्रक्रियागत जटिलताएं नहीं है। इस प्रक्रिया में आपसी मतभेद समाप्त हो जाते है अथवा कम हो जाते है।



(2) मध्यस्थता क्यों?—

न्यायालय में विवादों को सुलझाने की एक निर्धारित प्रक्रिया है, जिसमें एक बार प्रक्रिया शुरू हो जाने के पश्चात पक्षों का नियंत्रण समाप्त हो जाता है और न्यायालय का नियंत्रण स्थापित हो जाता है। न्यायालय द्वारा एक पक्ष के  हित में निर्णय सुनिश्चित है, किंन्तु दूसरे पक्ष के विपरीत होना भी उतना ही सुनिश्चित है। दोनों पक्षों के हित में निर्णय, जिससे दोनों पक्ष संतुष्ट हो सके, ऐसा निर्णय, न्यायालय नहीं दे सकेता। न्यायालय द्वारा तथ्यों विधिक स्थिति तथा न्यायिक प्रक्रिया को ध्यान में रखकर निर्णय दिया जाता है। जब की मध्यस्थता दो पक्षों को खुलकर बातचीत करने के लिए प्रेरित और उत्साहित करता है। वह पक्षों के बीच संवाद स्थापित करने में सहयोग प्रदान करता है। वह दोनों पक्षों को अपनी बात कहने का समान अवसर देकर, पक्षों में सामंजस्य स्थापित करता है। मध्यस्थता में विवादों को निपटाने का सारा प्रास स्वयं पक्षों को होता है, जिसमें मध्यस्थ (मिडियेटर) उनकी सहायता करता है। पूरी प्रक्रिया पर पक्षों का नियंत्रण बना रहता है। निर्णय लेने का अधिकारी भी पक्षों का ही रहता है। कहीं भी विवशत एवं दबाव नहीं रहता, पूरी प्रक्रिया पर पक्षों का नियंत्रण बना रहता है। निर्णय लेने का अधिकार भी पक्षों का ह ी रहता है। कहीं भी विवशता एवं दबाव नहीं रहता, पूरी प्रक्रिया स्वतंत्र और निष्पक्ष होती है।



(3) मध्यस्थता से होने वाला लाभ—

    1. मध्यस्थता एक ऐसा मार्ग प्रस्तुत करती है, जिसमें पक्षों को समझौता कराने के लिए सहमत किया जाता है तथा पक्षों के मध्य उत्पन्न मतभेदों को दूर करने के लिए अवसर प्राप्त होता है।
    2. रिश्तों में आई दरार से हुए नुकसान की पूर्ति करने का अवसर प्राप्त होता है।
    3. एक ऐसा उपाय है, जिसमें पक्ष स्वय अपना निर्णय ले सकते है।
    4. हिंसा, घृणा, धमकियों से हटकर एक सभ्य उपाय है, जिससे विवादों का निराकरण निकाला जा सकता है।
    5. विवादग्रस्त पक्षों में आपसी बातचीत और मधुर संबंध बनाने का अवसर प्राप्त होता है।
    6. यह प्रक्रिया मुकदमें का विचारण नहीं करती और न ही गुणदोष पर निर्णय देती है।
    7. यह प्रक्रिया किसी भी न्यायिक प्रक्रिया की अपेक्षा सस्ती है।
    8. इसमें सफलता की संभावनाएं अधिक है तथा यह किसी भी स्थिती में पक्षों के लिए लाभकारी है।
    9. इस प्रक्रिया में पक्षों में एक—दूसरे की बातें सुननें, भावनाओं को समझने का सही अर्थो में अवसर प्राप्त होता है।
    10. इस प्रक्रिया में पक्षों किसी प्रकार का भय नहीं होता, पक्ष अपने को सुरक्षत महसूस करते है क्योंकि प्रक्रिया गोपनीयतापूर्ण है, अतः पक्ष अपनी बात को खुले मन से कह पाते है, उन्हे किसी काभय नहीं होता।
    11. इस प्रक्रिया में पक्ष स्वयं अपना निर्णय लेते है, अतः उनकी आशाों के विपरीत किसी भी अप्रत्याशित निर्णय प्राप्त होने की संभावना नहीं रहती, जैसा कि न्यायालय की प्रक्रिया में अक्सर होता है।
    12. मध्यस्थता से समझौता कुछ घंटो या दिनों में ही प्राप्त हो जाता है। अनेक महीनों या वर्षों तक यह प्रक्रिया नहीं चलती अर्थात समय की बचत होती है।
    13. जहां न्यायालय के आदेश के अनुपालन कराने में भी अनेक कठिनाईयां उत्पन्न होती है, वहां मध्यस्थता से प्राप्त समझौता स्वयं पक्षों का सेवाच्छा से प्राप्त निर्णय होता है, अतः उसके क्रियान्वयन में कोई कठिनाई नहीं होती है।
    14. न्यायिक प्रक्रिया के वाद समय में ही प्रस्तुत किया जा सकता है, जब कि समध्यस्थता में विवादों को किसी भी स्तर पर निपटाया जा सकता है, इसमें विलंब कभी नहीं होता।
    15. इस प्रक्रिया द्वारा प्राप्त समझौते से मन को शांन्ति मिलती है।
    16. मध्यस्थता के माध्यम से निराकृत प्रकरणों में न्याय शुल्क ही छूट प्रदान की गई है।



(4) मध्यस्थता से कौनसे विवाद का समझौता संभव है:-

(अ) सिविल केस (व्यावहार वाद)

    1. निषेधाज्ञा के प्रकरण।
    2. विशिष्ट अनुतोष
    3. पारिवारिक वाद
    4. मोटर दुर्घटना
    5. मकान मालिक एवं किरायेदार
    6. सिविल रिकवरी
    7. व्यावसायिक झगडे
    8. उपभोक्ता वाद
    9. वित्तीय एवं लेन-देन के विवाद



(ब) दांडिक प्रकरण (सभी राजीनामा योग्य अपराध के मामले) जैसे की (1) 498 ए आई.पी.सी. (2)138 निगोशिएबल इन्सट्रूमेंट ए्कट (चेक बाउंस से संबंधित) ऐसे सभी मामले मध्यस्थ से समाप्त कर सकते है।



(5) मध्यस्थता का लाभ कैसे प्राप्त करें:-

जिस न्यायालय में मुकदमा चल राहा है। उस न्यायालय में दोनों पक्षों को माध्यम से मध्यस्थता हेतु आवेदन किया जा सकता है। जिसमें आवेदन करने के लिए दोनों पक्ष कोर्ट के मसक्ष होने चाहिए और आवेदन को कोर्ट मार्फत स्विकार कर लिया जाता है।



इसे लेख के माध्यम से आज हमने हामारे पाठकों को मध्यस्थता के संबंध में संपूर्ण जानकारी | मध्यस्थता क्या है? | मध्यस्थता से होने वाला लाभ | Complete information regarding mediation | What is mediation? यह जानकारी देने का पुरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी हासिल करने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।



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