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अंतर्राज्यिक प्रवासी श्रमिक (नियोजन तथा सेवा परिस्थितियों का विनियमन) अधिनियम 1979 | Inter-State Migrant Workers (Regulation of Employment and Conditions of Service) Act 1979 | प्रवासी श्रमिकों के अधिकार | rights of migrant workers

अंतर्राज्यिक प्रवासी श्रमिक (नियोजन तथा सेवा परिस्थितियों का विनियमन) अधिनियम 1979 | Inter-State Migrant Workers (Regulation of Employment and Conditions of Service) Act 1979 | प्रवासी श्रमिकों के अधिकार | rights of migrant workers



इस अधिनियम के अनूसार किसी भी प्रवासी श्रमिक को किसी भी प्रतिष्ठान में नियोजित करने से पहले संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के साथ पंजीकृत होना चाहिए। इस अधिनियम के अनूसार प्रत्येक नियोक्ता को किसी भी प्रवासी श्रमिक को नियोजित करने से पहले संबंधित प्राधिकारी से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम अंतर्राज्यिक प्रवासी श्रमिक (नियोजन तथा सेवा परिस्थितियों का विनियमन) अधिनियम 1979 | Inter-State Migrant Workers (Regulation of Employment and Conditions of Service) Act 1979 | प्रवासी श्रमिकों के अधिकार | rights of migrant workers इसेक बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है।



अधिनियम के अंतर्गत परिभाषाएं:-

1- अंतर्राज्यिक प्रवासी श्रमिक—

रह वह व्यक्ति जो एक ठेकेदार द्वारा भर्ती किया जाता है और किसी एक राज्य से दूसरे राज्य में कार्य करने के लिए किसी कारखाने में या किसी व्यवस्था के अंतर्गत किसी जगह में चाहे नियोजक की जानकारी से हो या बिना जानकारी के, अंतर्राज्यिक प्रवासी श्रमिक कहलाया जाएगा।


2- प्रतिष्ठान का पंजीकरण आवश्यक है:-

ऐसे प्रतिष्ठान जिन पर यह अधिनियम लागू होता है, उनका पंजीकरण करवाना अनिवार्य है।



3- ठेकेदारों को अनुज्ञप्ति (लाइसेंस):-

केवल वह ठेकेदार जिनको लाइसेंस जारी हुआ है, प्रवासी श्रमिकों की भर्ती कर सकते है, इसके अलावा कोई दूसरा व्यक्ति श्रमिकों की भर्ती नहीं कर सकता।



ठेकेदारों के कर्तव्य:-

  1. ठेकेदार प्रवासी श्रमिकों के बारे में वह सभी जानकारियां जो निश्चित की गई हों, दोनों राज्य की सरकारों को, अर्थात जिस राज्य से वे आए है और जिस राज्य में का कर रहे है, काम पर लगाए जाने के पंद्रह दिनों के अंदर देगा।
  2. ठेकेदार सभी प्रवासी श्रमिकों को एक पासबुक जारी करेगा जिसमें उस श्रमिक की एक फोटो लगी होगी तथा हिंदी और अंग्रेजी या उस भाषा में जो मजदूर जानता हो, निम्न सूचना भी दी जाएगी:-
      1. कार्य का नाम और जगह का नाम जहां काम हो रहा हो।
      2. नियोजन की अवधि
      3. दी जाने वाली मजदूरी की दर एवं मजदूरी देने का तरीका।
      4. विस्थापर भत्ता वापसी का किराया जो कि मजदूरी को दिया जाता है तथा कटौती आदि के बरे में जानकारी।



प्रवासी श्रमिकों के अधिकार:-

वेतन एवं कार्य की शर्ते:-

प्रवासी श्रमिक की मजदूरी दर, छुट्टियां, काम करने का समय एवं अन्य सेवा शर्तें, वहां पर काम करने वाले अन्य मजदूरों के समान होंगी। प्रवासी श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम में बताई गई मजदूरी से कम मजदूरी नहीं दी जाएगी। सामान्य तौर पर प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी नगद रुप में दी जाएगी।


विस्थापन भत्ता:-

भर्ती के समय ठेकेदार प्रवासी श्रमिकों को विस्थापन भत्ता जो उसके एक महीने के वेतन का पचास प्रतिशत या 75/- रुपये इनमें जो भी ज्यादा होगा, देना होगा। और यह भत्ता उसे उसकी मजदूरी के अलावा जाएगा।


सुविधाएं:-

इस अधिनियम के अंतर्गत कुछ सुविधाएं ठेकेदार के द्वारा मजदूर को देनी होगी, जैसे—

    1. मजदूरी का नियमित भुगतान।
    2. पुरूष और महिला को समान वेतन।
    3. कार्य स्थल पर अच्छी सुविधाएं।
    4. कार्य के दौरान मजदूरों के रहने की व्यवस्था करना।
    5. मुफत चिकित्सीय सुविधाएं।
    6. सुरक्षात्मक कपडों को उपलब्ध कराना।
    7. किसी प्रकार की कोई दुर्घटना होने पर उसके सगे—संबंधियों एवं दोनों राज्ये के संबंधित अधिकारियों को सूचना देगी।
    8. यदि ठेकेदार द्वारा यह जिम्मेदारी पूरी नहीं की जाती है तो प्रधान नियोजक पूरी व्यवस्था करेगा।



वेतन की जिम्मेदारी—

ठेकेदार की जिम्मेदारी है कि  प्रत्येक प्रवासी क्षमिक को नियत समय में वेतन दें। इसके साथ—साथ प्रधान नियोजक भी इसकी देख—रेख के लिए किसी व्यक्ति को नामित करेगा जो कि यह प्रमाणित करेगा कि मजदूर को जितना वेतन मिलना चाहिए उतना मिला है या नहीं। ठेकेदार इस नामित व्यक्ति के सामने वेतन बांटेगा यदि ठेकेदार वेतन नहीं देता है तो प्रधान नियोजक उनको वेतन देने के लिए जिम्मेदार होगा।

अगर इस अधिनियम के अंतर्गत दी जाने वाली सुविधाएं नहीं दी जाती है, तो सुविधाओं के बदले भत्ता देना होगा।


निरीक्षक—

सरकार इस अधिनियम के अंतर्गत निरीक्षकों की नियुक्ति कर सकती है, जो किसी भी समय किसी भी कार्य स्थान जहां प्रवासी श्रमिक से पुछताछ कर सकता है।


उल्लंघन पर सजा एवं दण्ड—

यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम का उल्लंघन करता है तो उसे एक वर्ष तक की जेल या 1000/- रुपये तक का जुर्माना या दोनों भी हो सकते है। अगर कोई व्यक्ति दोबारा ऐसे अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसे 100/- रुपये का जुर्माना रोज देना होगा, जब तक वह उल्लंघन करता है।

यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के ऐसे नियमों का उल्लंघन करता है, जिसके लिए इस अधिनियम में कोई दंड या प्रावधान नहीं है तो वह अधिकतम दो साल की जेल या 2000/- रुपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।



शिकायत दर्ज करने की समय सीमा—

इस अधिनियम के अंतर्गत शिकायत अपराध घटित होने के दिन से तीन महीने के अंदर दर्ज करवा सकते है।



आज हमने इस लेख के माध्यम से अंतर्राज्यिक प्रवासी श्रमिक (नियोजन तथा सेवा परिस्थितियों का विनियमन) अधिनियम 1979 | Inter-State Migrant Workers (Regulation of Employment and Conditions of Service) Act 1979 | प्रवासी श्रमिकों के अधिकार | rights of migrant workers क्या है इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी सिखनेके लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दे।




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