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अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) नियम 2007 | Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Rules 2007

अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) नियम 2007 | Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Rules 2007 



यह नियम वन भूमि अथवा वन के आधारित उपयोगो से उत्पाद और उसके उपभोग बिक्रि इसके संबंधित नियमावलि बताई गई है। अनुसूचित जनजाति के सदस्य या अन्य परंपरागत बन निवासी जो वन एवं वन भूमि पर प्राथमिक रुप से निवास करते हुए उप पर निर्भर है। आइये इस लेख के माध्ये से आज हम हमारे पाठकों को अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) नियम 2007 | Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Rules 2007 के बारेमें संपुर्ण जानकारी देनेका प्रयास करते है। 



अधिनियम के उद्देश्यः-

वन भूमि या वन आधारित उपयोगों से उत्पाद उपभोग और / या बिक्री के माध्यम से स्वयं तथा पिवार की और या घरेलू प्रयोजनों के लिए निरंतर आवश्यक्ताओं की पूर्ति एवं अन्य वन भूमि से जुडे हुएं परंपरागत रुढिगत एवं कृषि संबंधी अधिकार प्रदान किया गया है।


अधिनि.म रे तहत पातर् ब्यक्तिः-

अनुसूचित जनजाति के सदस्य या अन्य परंपरागत बन निवासी जो वन एवं वन भूमि पर प्राथमिक रुप से निवास करते हुए उप पर निर्भर है।



अघिनियम के तहत पात्र ब्यक्तियों को क्या अधिकार दिए गये है:-

  1. वन एवं वनभूमियों पर निवास या कृषि कार्य के माध्यम से अपने जीविकोपार्जन करने वाले ब्यक्तियों को अधिभोग का अधिकार है।
  2. उपरोक्त भूमियों पर किसी अन्य प्रकार के निस्तार का अधिकार जो उनके निवास एवं वास्तविक जीविका की आवश्यकताओं के लिये आवश्यक है।
  3. परम्परागत चारागाह, जलावन लकडी को जमा करने पत्तीदार खाद, जडें एवं कद, चारा वन्य खाद्य और अन्य लघु वन उत्पाद, मछली पकडने के स्थान, सिंचाई प्रणालियों, मानव या पशुधन के उपयोग के लिए पानी के स्त्रोत, औषधीय पौघों का संग्रहण, जडी बूटी देने वाले वैद्यों के क्षेत्र आदि पर अधिकार होंगे। उपरोक्त अधिकार रायल्टी से मुक्त होगा।
  4. वन भूमियों पर जिन ब्यक्तियों (दावेदारों) को विधि की सम्यक प्रक्रिया के पालने से बेदखल किया गया है। उप दावेदारों को पुनः पट्टा प्राप्त करने का अधिकार है।



उपरोक्त अधिकार प्रदान करने हेतु समितियॉ:-

ग्राम सभा जिसमें पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि एवं सदस्य शामिल है।



अधिनियम के तहत प्रतिबंधित कार्यो के उल्लघं पर दण्ड:-

  1. अधिनियम के तहत बने नियम या आदेश या अनुज्ञप्ति या अनुज्ञा में दिए गए प्रावधान या शर्तों के उल्लघंन पर तीन वर्ष तक का कारावास या अर्थदण्ड जो 25000/- रुपये तक हो सकता है। या दोनों का भागी होगा।
  2. वन्य प्राणी के मॉस आदि के या प्राणि वस्तु या ऐसे प्राणी से ब्युत्पन्न ट्राफी के संबंध में किए गए अपराध या अभ्यारण्य या राष्ट्रीय उद्यान में शिकार करने अथवा उसकी सीमाओं में परिवर्तन करने पर ऐसे कारावास जिसकी सीमा 3 वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जिसका विस्तार 7 वर्ष तक हो सकता है और जुर्माना के साथ भी जो 25000/- रुपेय से कम नहीं होगा दण्डनीय है।
  3. उपरोक्त अपराध में उपयोग किये जाने वाले समस्त फंदा, औजार, हथियार, वाहन जहाज या अन्य वस्तुएं राजसात की जाएगी तथा ऐसे ब्यक्तियों को यदी कोई अनुज्ञप्ति (लाईसेंस) प्राप्त हो तो उसे निरस्त किया जाएगा।
  4. वन्य प्राणियों के शरीर अंगो को ट्राफियों के रुप में बिना अनुज्ञप्ति परिवर्तित कर ब्यापार करने पर प्रतिबंध – वन्य प्राणियों के शरीर के किसी भी अंग को सजावट के रुप में अथवा ट्राफियों के रुप में संपरिवर्तित कर अथवा इनके मॉस चमडा या शीर के अन्य अवयवों को बिना अनुज्ञप्ति मानव उपयोंग में लाने, कब्जे में रखने, ब्यापार करना या उपरोक्त कार्यों का प्रयत्न करने, इनके परिवहन करना आदि पर प्रतिबंध लगाया गया है। 



इस लेख के माध्यम से आज जमने हमारे पाठकों को अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) नियम 2007 | Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Rules 2007 इसके बारेमें संपुर्ण जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।



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