अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का उत्पीडन रोकने संबंधी कानून | अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक)अधिनियम 1989 | Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Harassment and Untouchability) Act 1989
इस अधिनियम को 11 सितम्बर 1989 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था जिसे 30 जनवरी 1990 से सारे भारत में लागू किया गया है। यह अधिनियम उस प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होता हैं जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं हैं तथा वह व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगोंका का उत्पीड़न करता हैं। यह अधिनियम अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध किए गए अपराधों के निवारण के लिए है। अत्याचार के अपराधों के लियें दोषी व्यक्ति को छः माह से पाँच साल तक की सजा, अर्थदण्ड का प्रावधान हैं। क्रूरतापूर्ण हत्या के अपराध के लिए मृत्युदण्ड की सजा दि गई हैं। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का उत्पीडन रोकने संबंधी कानून | अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक)अधिनियम 1989 | Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Harassment and Untouchability) Act 1989 क्या है इसके बारेमें जानकारी हासिल करनेकी कोशिश करते है।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989:-
भारत की सामाजिक व्यवस्था में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों द्वारा अक्सर ज्यादतिया की जाती थी। उनके साथ छुआछूत एवं अन्य घिनौने कृत्य के कई उदाहरण देखे जाते थे। अतः भारत के संविधान में इन कृत्यों को अपराध की श्रेणी में लेकर उनके निवारण की व्यवस्था की गई है। इसके लिए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक)अधिनियम 1989 का सृजन किया गया है।
इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैः-
1- उत्पीडन के अपराध क्या है?
धारा-3 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, वह निम्नलिखित में से कोई कृत्य करता है तो वह उत्पीडन के अपराध के लिए दंड का अधिकार है।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्य को किसी अखाद्य अथवा हानिकारक पदार्थ पीने या खाने के लिए बाध्य करता है।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को क्षति पहुंचाने, अपमान करने, परेशान करने के आशय से उसके परिसर अथवा पडोस में मैला, कूडा, पशुओं की लाशें अथवा अन्य कोई हानिकारक पदार्थ एकत्रित करने का कार्य करता है।
- अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के सदस्यो के शरीर से बलपूर्वक कपडे उतारता है या उसे नंगा घुमाता है या चेहरे व शरीर पर रंग लगाकर घुमाता है अथवा इसी प्कार का अन्य कोई कार्य करता है जो प्रतिष्ठा के प्रतिकूल है।
- अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के सदस्य के स्वामित्व की या आबंटित भूमि को अथवा सक्षम अधिकारी द्वारा अधिसूचित भूमि को दोषपूर्ण ढंग से कब्जा कर लेता है या जोत लेता है या उसे आबंटित भूमि को दोषपूर्ण ढंग से हस्तांतर करता है।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को अथवा परिसर से दोषपूर्ण तरीके से बेदखल करता है अथवा किसी भूमि परिसर अथवा पानी के अधिकारों के उपभोग में हस्ताक्षेप करता है।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को बेगारी करने के लिए या बंधुआ श्रम करने के लिए बाध्य करता है या फुसलाता है।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के विरुध्द झूठी विद्धेशपूर्ण उत्पीडन बाद अथवा फौजदारी की अथवा अन्य कोई विधिक कार्यवाही करता है।
- (8) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लोगों को मत देने या नहीं देने से रोकता है।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के किसी लोक सेवक को झूठी सूचना देता है और उसके द्वारा ऐसे लोक सेवक को विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्य को क्षति अथवा परेशानी होती है।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को लोक दृष्टि के अंतर्गत अपमानित करता है या अपमानित करने के आशय से डरता है।
- किसी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की महिला पर शीलभंग करने या उसका निरादर करने के लिए बल प्रयोग करता है।
- किसी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की महिला का शोषण करता है।
- किसी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों द्वारा प्रयोग में लाने वाले जल स्त्रोतों को दूषित करता है।
- किसी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्य को लोक भ्रमण के रास्ते या स्थान का प्रयोग करने से रोकता है।
- किसी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्य को अपना घर, गांव या निवास स्थान छोडने के लिे बाध्य करता है।
उत्पीडन अपराध के लिए दंण्ड की व्यवस्था:-
किसी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का उत्पीडन करने वाले व्यक्ति को 6 महीने से 5 वर्ष तक की कारावास की सजा एवं जुर्माना हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्य के विरुध्द जान – बूझकर कोई झूठा साक्ष्य देता है तो इस कृत्य के लिए भी कडी सजा का प्रावधान है। यदि कोई लोक सेवक इस अधिनियम के तहत अपेक्षित कर्तव्यों की जान-बूझकर उपेक्षा करता है तो उसे एक वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती हैष यदि कोई व्यक्ति आग या विस्फोटक पदार्थों से उक्त जाति के सदस्यों की संपत्ति की क्षति पहुंचाता है तो ऐसे अपराधियों के लिए कडे दंण्ड की व्यवस्था है।
आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति की जप्तीः-
यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के तहत दंडित होता है तो उस व्यक्ति की चल या अचल संपत्ति जो इस अपराध में प्रयोग की गई है, सरकार द्वारा उसे जप्त कर ली जाएगी।
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निष्कसनः-
16 यदि किसी व्यक्ति के विरुध्द संविधान के अनुच्छेद 244 के अंतर्गत घोशित अनुसूचित क्षेत्रों में अपराध को अंजाम जेने के अपराध की संभावना विशेश न्यायालय में शाबित होती है, तो न्यायालय द्वारा उस व्यक्ति को निश्कासित करने का आदेश दिया जा सकता है।
विषेश न्यायलय का गठनः-
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के उत्पीडन के अपराधों की सुनवाई हेतु सरकार द्वारा विशेष सत्र न्यायलय का गठन किया गया है, ऐसे अपराध की शिकायत थाने में या सीधे न्यायलय में की जा सकती है।
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उत्पीडित परिवार को आर्थिक सहायताः-
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उत्पीडित परिवार को पुनर्वास एवं मुआवजे के रुप में राज्य शासन द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
इसे लेख के माध्यम से आज हमने हामारे पाठकों को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का उत्पीडन रोकने संबंधी कानून | अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक)अधिनियम 1989 | Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Harassment and Untouchability) Act 1989 इसेके बारेमें जानकारी देनेका पूरा प्रयास किया है। आशा है आप को यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह के कानूनी जानकारी हासिल करने के लिये आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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