मोटर दुर्घटना के प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा | Compensation to victims of motor accident
हमारे देश में मोटर गाड़ियों से संबंधित बनाए गये कानून को अधिक से अधिक कल्याणकारी और व्यापक रुप में बनाने के लिए मोटर यान अधिनियम 1988 यह कानून बनाया गया है, जो के नये मोटर यान अधिनियम सड़क यातायात तकनीकी ज्ञान व्यक्ति तथा माल की यातायात सहूलियत के बारे में व्याख्या बताता है। इसमें मोटर दुर्घटनाओं के लिए प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा दिलाने की व्यवस्था दिया गया है। इस कानून के अंतर्गत मोटरयान का तात्पर्य सड़क पर चलने योग्य बनाया गया प्रत्येक वाहन जैसे ट्रक, बस, कार, स्कूटर, मोटरसाइकिल, मोपेड, व सड़क कुटने का इंजन इत्यादि प्रकार के समभी वाहन दिये गये है। इनसे होने वाले प्रत्येक दुर्घटना को मोटर दुर्घटना मानी जाती है और इसके लिए मुआवजा दिलाया जाता है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम मोटर दुर्घटना के प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा | Compensation to victims of motor accident क्या है इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशीश करते है।
मोटर दुर्घटना के प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा
- बस, ट्रक, सडक कूटने वाले रोलर, कार, ट्रैक्टर, मोटर सायकल, मोपेड इत्यादि वाहनों द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा किसी प्रकार के वाहन से सीधे या अन्य प्रकार से दुर्घटना हो जाती है तो उसे मोटर दुर्घटना कहा जाता है।
- दुर्घटना में हुई क्षति के लिए प्रतिकार के भुगतान का प्राथमिक दायित्व दुर्घटना कारित वाहन के स्वामी तथा चालक का होता है।
- मोटर यान अधिनियम की धारा 146 के अंतर्गत परपक्ष (तृतीय पक्ष) बीमा पालिसी प्राप्त करना अनिवार्य है और ऐसी स्थिति में प्रतिकर के भुगतान का दायित्व बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार वाहन स्वामी के बजाय संबंधित बीमा कम्पनी का हो जाता है।
- यदि दुर्घटना करने वाले वाहन का विवरण मालूम नही हो तो ऐसी दुर्घटना के लिए भारत सरकार द्वारा तोषण निधि योजना 1989 बनाई गई है। इस योजना के अंतर्गत दुर्घटनाग्रस्त व्यकति की मृत्यु होने की दशा में मृतक के विधिक प्रतिनिधि को 25,000/- रुपये गंभीर रुप से घायल व्यक्ति को 12,500/- रुपये प्रतिकर के रुप में दिलाये जाने की व्यवस्था है। इस योजना के अंतर्गत संबंधित पीडित पक्ष के आश्रितों द्वारा दुर्घटना के 6 माह के भीतर निर्धारित प्रारुप पर प्रार्थना पत्र अधिकृत अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के समक्ष प्रस्तुत किये जाने पर आवश्यक जांच होती है और जांच उपरांत अधिकृत अधिकारी द्वारा अपनी संस्तुती कलेक्टर को प्रेषित की जाती है। जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार करके कलेक्टर द्वारा नियमानुसार प्तिकर धनराशि के भुगतान का दायित्व संबंधित उस बीमा कंम्पनी पर होता है, जिसे उस राज्य के लिये भारत सरकार द्वारा दायित्व सौपा गया हो।
- यदि दुर्घटना करने वाले वाहनों का विवरण ज्ञात हो, तो ऐसी स्थिति में मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत गठित मोटर दुर्घटना क्लैम्स, ट्रिब्यूनल अर्थात जिला न्यायाधीश अथवा अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के समक्ष मोटर वाहन के स्वामी, वाहन चालक और संबंधित बीमा कम्पनी के विरुध्द प्रतिकर दावा प्रस्तुत किया जा सकता है। ऐसे दावा केववल 40/- रुपये कोर्ट फीस लगाकर निर्धारित प्रारुप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
- मोटर यान अधिनियम 1994 में हुये संशोधन के अनुसार प्रतिकर वाद को पेश किये जाने के संबंध में कोई सीमा निरधारित नहीं कि गई है।
- प्रतिकर वाद प्रस्तुत करने वाले याचिका में निम्नांकित विवरण व दस्तावेज आवश्यक रुप से पेश करना चाहिएः-
- (1) प्रारथीगण का नाम, पिता का नाम, पूरा पता, उम्र और व्यवसाय।
- (2) दुर्घटनाकारित करने वाले वाहन स्वामी व चालक का नाम—पता।
- (3) दुर्घटनाकारित करने वाले वाहन जिस बीमा कंम्पनी से बीमाकृत हो उसका नाम—पता तथा पॉलिसी की प्रतिलिपि।
- (4) दुर्घटनाकारित करने वाले वाहन चालक के ड्राईविंग लाइसेंस की पोटो प्रतिलिपी।
- (5) दुर्घटनाकारत करने वाले वाहन का रिजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र की फोटो प्रतिलिपि।
- (6) दुर्घटना की तारीख, समय व स्थान।
- (7) प्रत्येक प्रार्थीगण का मृतक से संबंध (यदि दुर्घटना में मृत्यु हुई हो)
- (8) मृतक की आयु. आय तथा आश्रितों के नाम—पते एवं मृतक से संबंध।
- (9) दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की चोटों की प्रकृति, इंजूरी रिपोर्ट एवं मृत्यु की दशा में पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की फोटो प्रतिलिपि।
- (10) मांगी गई प्रतिकर की धनराशि और उसके लिये उपयुक्त आधार एवं अन्य आवश्यक दस्तावेज।
- धारा 140 मोटर यान अधिनियम के उपबंधो के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु या स्थायी निःशक्तिता मोटर दुर्घटना के परिस्थितियों के परिणामस्वरुप हुई हो तो उस स्थिति में व्यक्ति की मृत्यु के संबंध में 50,000/- रुपये तथा स्थायी निःशक्तता वाले व्यक्ति का 25,000/- रुपये प्रतिकर के रुप में भुगतान करने का दायित्व वाहन स्वामी या वाहन के संयुक्त स्वामी द्वारा देय होता है।
- मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 158(6) के अंत्रगत पुलिस पर यह कानूनी दायित्व है कि जिस पुलिस थाने में दुर्घटना की सूचना दर्ज करनाई गई है, उस थाने की पुलिस वाहन से संबंधित अपेक्षित अभिलेख एवं विवरण वाहन चालक और स्वामी से प्राप्त कर तथा निर्धारित शुल्क जमा करने पर वाहन से संबंधित अपेक्षित अभिलेख एवं विवरण आहेत पक्ष को उपलब्ध करायेगा।
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आज हमने इस लेख के माध्यम से हमारे पाठकों को मोटर दुर्घटना के प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा | Compensation to victims of motor accident इसके बारेमें जानकारी देनेकी कोशीश करनते है। आशा है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी हासिल करने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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