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गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 | Pre-Conception And Pre-Natal Diagnostic Techniques (Prohibition Of Sex Selection) Act, 1994

गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 | Pre-Conception And Pre-Natal Diagnostic Techniques (Prohibition Of Sex Selection) Act, 1994



यह अधिनियम भारत में हो रहे कन्या भ्रूण हत्या और लिंगानुमान को रोकने के लिए भारतीय संसद द्वारा बनाया गया एक कानून है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश प्रसव पूर्व लिंग को पहचानने पर प्रतिबंध लगाना है। आये दिन समाजमें महिलाओं के गर्भावस्था में उसके पेट में पल रहे बच्चा लडका है या लडकि है यह पता लगाकर लडकी हो तो भ्रूण हत्या कर दिया जाता है। जो के एक बहोत हि बडा जुर्म है। इसे रोकने के लिए इस कानून को बनाया गया है। जिसके अनूसार ऐसे अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी जो लिंग की जांच करते है उनको तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 | Pre-Conception And Pre-Natal Diagnostic Techniques (Prohibition Of Sex Selection) Act, 1994 इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है।


गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 का उद्देश उद्देश्य-

समाज में स्त्री भ्रूण हत्या की बढती हुई संख्या को रोकने लडकियों और लडकों के मध्य भेदभाव को रोकने एवं समाप्त करने हेतु सार्थक पहल के रुप में बनाया गया अधिनियम।



गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 यह कानून कब लागू हुवा-

यह कानून तारिख 20/09/2014 से जम्मू कश्मीर के अतिरिक्त संपूर्ण भारत देश पर लागू किया गया है।


इस अधिनियम का सबसे प्रमुख प्रावधान-

गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकी की सहायता से लिंग चयन करना, लिंग चयन करवाना, लिंग चयन में किसी भी प्रकार की सहायता देना एव लेना, लिंग चयन दर्शित करने वाले संकेत देना पूर्ण रुप से प्रतिषेधित किया गया है।


गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 के अनुसार दंड का प्रावधान-

प्रथम अपराध पर तीन वर्ष तक सश्रम कारावास एवं 10,000/- तक जुर्माना। द्वितीय अपराध पर 05 वर्ष तक सश्रम कारावास एवं 50,000/- तक जुर्माना।



गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 में अपराध की स्थिति-

इस अधिनियम के अंतर्गत आनेवाले अपराध सज्ञेय अपराध है, अजमानतीय एवं अशमनीय अपराध है।



विचारण-

गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 के अंतर्गत आने वाले अपराध न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी के न्यायालय में चलाया जाता है।


सज्ञान-

गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 के अंतर्गत आने वाले  अपराध की सज्ञान परिवाद दायर करने पर लिया जाता है।



गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 के अनुसार परिवाद कौन कर सकता है?-
  1. समुचित प्राधिकारी अथवा उसके द्वारा प्राधिकृत अन्य अधिकारी।
  2. पीडित व्यक्ति।
  3. अन्य कोई भी व्यक्ति या संस्था जिसके द्वारा समुचित प्राधिकारी को ही गई लिखित सूचना के 15 दिन तक कोई कार्यवाही नहीं होने पर।


समुचित प्राधिकारी-

राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किये जाएंगे एवं 3 सदश्य होंगे।
  1. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में संयुक्त निदेशक से अनिम्न अधिकारी।
  2. महिला संगठन की विख्यात महिला।
  3. राज्य के विधि विभाग का अधिकारी।


सलाहकार समिति-

राज्य सरकार द्वारा समुचित प्राधिकारी की सहायता हेतु गठित आठ सदस्यीय समिति में-
  1. स्त्री रोग, बाल रोग, प्रसूति चिकित्सा, अनुवांशिक चिकित्सा में से तीन सदस्य।
  2. एक विधि विशेषज्ञ।
  3. एक सूचना एवं प्रसार विभाग का अधिकारी।
  4. तीन सामाजिक कार्यकर्ता जिनमें एक महिला संगठन की प्रतिनिध होगी।


छुट-

निम्न असमानाताओं का पता लगाने में प्रसव पूर्व तकनीक की सहायता ली एवं दी जा सकती है-

  1. गुणसूत्रीय असमान्यताएं,
  2. अनुवांशिक मेटाबोलिक रोग,
  3. हीमोग्लोबिन (रक्त) असमान्यताएं एवं रोग,
  4. लैंगिक अनुवांशिक रोग,
  5. जन्मजात असमान्यताएं,
  6. बोर्ड द्वारा विहित अन्य असमान्यताएं एवं रोग।

परन्तु जॉच निम्न में से किसी शर्त की पूर्ति पश्चात ही की जायेगी-

जब गर्भवती स्त्री-

  1. पैंतीस वर्ष से अधिक आयु की है,
  2. दो बार पूर्व में स्वतः गर्भपात या भ्रूण हानी हुई हो या,
  3. औषधि, विकिरण, संक्रमण या केमिकल से प्रभावित हो या,
  4. परिवार में कोई मानसिक या शारीरिक विरुपता या अनुवांशिक रोग से ग्रस्त हो। या
  5. अन्य कोई शर्त जो बोर्ड द्वारा विहित की जाये।

इसके अतिरिक्त गर्भवती स्त्री को-

  1. तकनीकी का प्रभाव व परिणाम समझना,
  2. उसे आने वाली भाषा में लिखित सहमति प्राप्त करना एवं
  3. लिखित सहमति की एक प्रति उसे प्रदान करना अनिवार्य है।



चिकित्सकों / अनुवांशिक सलाह केंन्द्रों, लैब एवं क्लीनिकों को दायित्व, कार्य एवं अनिवार्यताएं-

  1. स्त्री को परिणाम समझाकर, लिखित सहमति प्राप्त कर एक प्रति देना,
  2. ईलाज संबंधी समस्त दस्तावेजों को कम सेकम दो वर्ष अथवा विहित अवधि तक सुरक्षित रखना,
  3. पंजीकरण कराना एवं पंजीयन प्रमाणपत्र को सहज दृश्य स्थान पर लगा होना,
  4. समुचित प्राधिकारी अथवा उसके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी के मांगे जाने निरीक्षण हेतु दस्तावेज प्रदान करना,
  5. न्यायालय में लंबित प्रकरणों से संबंधित अभिलेख प्रकरण के निराकरण तक सुरक्षित रखना,
  6. क्लीनिक, लैब, सलाह केन्द्र के निरीक्षण में सहयोग प्रदान करना,
  7. उक्त कार्य नही करने पर उनके द्वारा इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध किये जाने की उपधारण की जावेगी और वह दंड के भागी होगें जो प्रथम अपराध पर तीन वर्ष एवं 10,000/- तक अर्थंदंड द्वितीय अपराध पर पांच वर्ष एवं पचास हजार रु. तक अर्थदंड हो सकता है।


समुचित प्राधिकारी की शक्तियांः-

  1. अपराध की आशंका अथवा जानकारी होने पर स्वयं या प्राधिकृत अन्य अधिकारी द्वारा तलाशी लेने, अभिलेख का निरीक्षण एवं अभिगृहित करना,
  2. जांच उपरांत न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करना।



इसके अतिरिक्तः-

  1. चिकित्सक के विरूध्द आरोप विरचित होने पर उसका नाम राज्य आयु विज्ञान परिषद से निंबित किया जावेगा,
  2. दोषसिध्द होनेपर पांच वर्ष के लिए हटा दिया जावेगा,
  3. द्वितीय दोषसिध्द पर स्थायी रुप से नाम हटा दिया जावेगा।


महत्वपूर्ण तथ्यः-

  1. गर्भवती महिला के प्रावधानों के विपरीत गर्भधारण या प्रसव पूर्व निदान तकनीक के उपयोग किये जाने पर पति एवं नातेदारों के विरुध्द अपराध किये जाने की उपधारण की जावेगी तब तक प्रतिकूल प्रमाणित न हो अर्थात अपराध नहीं करना अपराध को प्रमाणित करना पडेगा।
  2. किसी गर्भवती महिला को जॉच हेतु विवश करने पर उस महिला को अपराध नहीं माना जावेगा।



आज हमने इस लेख के माध्यम से हमारे पाठकों को गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 | Pre-Conception And Pre-Natal Diagnostic Techniques (Prohibition Of Sex Selection) Act, 1994 क्या है इसके बारेमें जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी को हासिल करने के लिए आपके और हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें। साथ ही आप हमारे इस लेख को अपने सभी दोस्त और ग्रुप में शेयर करे। 



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