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उच्चतम न्यायालय के गिरफ्तारी, हिरासत पूछताछ संबंधित 11 सूत्रीय दिशा निर्देश | Supreme Court's 11-point guidelines related to arrest and custodial interrogation

उच्चतम न्यायालय के गिरफ्तारी, हिरासत पूछताछ संबंधित 11 सूत्रीय दिशा निर्देश | Supreme Court's 11-point guidelines related to arrest and custodial interrogation



जब भी किसी अपराधी को अरेस्ट कर लिया जाता है। तब उसके किस तरह हिरासत में लेना चाहिये और किस तरह पछताछ करनी चाहिए इसके बदलेमें सुप्रिम कोर्ट ने कुछ दिशा निर्देश दिये है। आईये इस लेख के माध्यम से उच्चतम न्यायालय के गिरफ्तारी, हिरासत पूछताछ संबंधित 11 सूत्रीय दिशा निर्देश | Supreme Court's 11-point guidelines related to arrest and custodial interrogation इसके बारेमें जानकारी हासिल करते है।


डी.के. बसु बनाम स्टेट बैंक ऑफ वेस्ट बंगाल (1197, 1 एस.सी.सी.-216)

भारत का संविधान देश का मूल कानून है। इसमें हर व्यक्ति को पुलिस व अन्य शासकीय अभिकरणों द्वारा दुर्व्यवहार से सुरक्षा दी गई है। संविधान के अनुच्छेद 2 में जीवन के निजी स्वतंत्रता का अधिकार सुरक्षित है।


संविधान के अनुच्छेद 22 में दिरफ्तारी और हिरासत से संबंधित अधिकार सुरक्षित है। इन अधिकारों की सुरक्षा के लिए सीधे उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में जा सकते है।
  1. बंदी बनाने और पूछताछ का काम करने वाले पुलिस कर्मी के नाम और पद की घोषणा करने वाली पट्टी (टेप) स्पष्ट नजर आनी चाहिए।
  2. गिरफ्तारी के समय एक मेमो तैयार करना जरुरी है, जिस पर गिरफ्तारी का समय व दिनांक अंकित किया जावे। इस मेमो पर कम से कम गवाह का दस्तखत कराया जाये जो या तो उस क्षेत्र का प्रतिष्ठित नागरिक हो या हिरासत में लिए जा रहे व्यक्ति का हितैषी मित्र अथवा परिजन हो।
  3. ऐसे प्रत्येक बंदी को यह अधिकार है कि वह अपनी स्थिति की सूचना अपने मनपसंद शुभचिंतक को (चाहे व कहीं भी रहता हो, पुलिस के जरिये भिजवा दे, अर्थात बंदी बनाने के समय तैयार किए गए मेमो में गवाह के अलावा भी किसी एक शुभचितक को बंदी व्यक्ति को सूचना देना चाहे तो ऐसा कर सकता है।
  4. पुलिस द्वारा पकडा गाया व्यक्ति जिस शुभचिंतक को सूचना देना चाहे वह अगर किसी दूरस्थ नगर या जिले में हो उस संबंधित व्यक्ति की गिरफ्तारी के समय और उस रखे जाने के जगह की सूचना जिले के विधिक सहायता संगठन औ संबंधित क्षेत्र के पुलिस स्टेशन के जरिए, गिरफ्तारी के आठ से बारह घंटे के अंदर, तार से देना (पुलिस के जरिए) जरुरी है।
  5. बंदी बनाए गए व्यक्ति को उसके अधिकार का आवश्यक रुप से ज्ञान कराया जाना जरुरी है कि वह अपने शुभचिंतक को (क्र.3 व 4 के अनुसार) सूचना पहुंचा सकता है।
  6. बंदी रखे रखे जाने के स्थान पर केस डायरी में यह दर्ज करना जरुरी है कि बंदी द्वारा बताए गए किस व्यक्ति को उसकी सूचना दी गई और बंदी को किन पुलिस अफसरों की कस्टडी में रखा गया है।
  7. अगर व्यक्ति आग्रह करे तो गिरफ्तारी के समय उसका शारीरिक परीक्षण कराया जाना चाहिए, उस समय यदि उसके शरीर पर कोई छोटे या बडे चोट के निशान हो तो उसका विवरण दर्ज करना जरुरी है, ऐसे निरीक्षण प्रपत्रों (इंस्पेक्शन मेमो) पर पुलिस अधिकारी के साथ बंदी व्यक्ति का भी हस्ताक्षर जरुरी है और उसकी प्रतिलिपि बंदी को भी जाए।
  8. पुलिस कस्टडी में रखे गए बंदी का प्रत्येक 48 घंटो में एक ब ार ऐसे प्राधिकृत डाक्टरी जांच के लिए प्रस्तुत करना जरुरी है, जिसकी स्थापना प्रदेश के स्वास्थ्य लोक सेवा संचालक द्वारा तदाशय के संदर्भ में की गई हो।
  9. गिरफ्तारी के मेमो सहित सभी संबंधित प्रपत्रों की प्रतिलिपियां इलाके के दंडाधिकारी के पास (इसके रिकार्ड के लिए) भेजी जानी चाहिए।
  10. पुछताछ के दौरान बंदी व्यक्ति को अपने वकील से मिलने की अनुमति देना जरुरी है, हालांकि समूची पूछताछ के दौरान वकील को बैठाए जाने की अनुमति से इसका आशय नहीं है।
  11. पुलिस के समस्त जिला व प्रदेश मुख्यालयों में एक ऐसा पुलिस कंट्रोल रुम होना वांछित है, जहां प्रत्येक गिरफ्तारी की सूचना में रखे जाने के स्थान की जानकारी 12 घंटे के अंदर एक ऐसे नोटिस बोर्ड पर अंकित की जाए, जिसे कोई भी आसानी से व स्पष्ट रुप से देख सके।


उक्त निर्देश प्रत्येक थाने में स्पस्ट रुप से प्रदर्शित होना अनिवार्य है। इन निर्देशों का पालन न करने पर संबंधित अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही होगी। इनका पालन न करना उच्चतम न्यायालय की अवमानना होगी, जो कि एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए कैद और जुर्माना हो सकता है। शिकायत करने वाले व्यक्ति अवमानना की अर्जी अपने राज्य के उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) में दे सकते है।
उपर दी गई बातें गिरफ्तार व्यक्ति के अन्य अधिकारों के साथ-साथ होनी चाहिए, जैसे-
  1. गिरफ्तारी के समय अपराध बताना जरूरी होगा।
  2. गिरफ्तारी के समय जोर जबरदस्ती की मनाही है।
  3. गिरफ्तारी के 24 घंटेके अंदर मजिस्ट्रेट के आगे पेश करना जरुरी है।
  4. हिरासत में किसी भी बुरे सुलूक की मनाही है।
  5. हिरासत में जुर्म कबूल करने के लिए दिया गाया बयान अमान्य है।
  6. महिला और 15 वर्ष से कम उम्र के बालक को केवल पूछताछ के लिए थाने में नहीं ले जाया जा सकता है। हिरासत में हिंसा, जिसमें मृत्यु भी शामिल है, कानून के शासन को गहरा आघात पहुंचा सकती है।


इस लेख के माध्यम से आज हमने हमारे पाठकों को उच्चतम न्यायालय के गिरफ्तारी, हिरासत पूछताछ संबंधित 11 सूत्रीय दिशा निर्देश | Supreme Court's 11-point guidelines related to arrest and custodial interrogation इसके बारेमें संपूर्ण जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसि तरह कानूनी जानकारी हासिल करने के लिए हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवस्य भेट दें। साथ हि हमारे इस पोस्ट को आपके दोस्तों के साथ आवश्य शेयर करें।



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