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आई.पी.सी. धारा 498A क्या है | What is section 498A of IPC

आई.पी.सी. धारा 498A क्या है | What is section 498A of IPC



धारा 498A यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 20A में दिया गया है। इस धारा के अनुसार, पति या पति के रिश्तेदार, उसकी पत्नी के साथ क्रूरता करते है तो, उन्हें भरतीय दंड संहिता के धारा 498A के तहद तीन वर्ष कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा। आईये इस लेख के माध्येम से आज हमा आई.पी.सी. धारा 498A क्या है | What is section 498A of IPC इसके बारेमें जानकारी हासिल करते है।

धारा 498-A- भारतीय दंड संहिता
किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके पति क्रूरता करना-

जो कोई, किसी स्त्री का पति या  पति का नातेदार होते हुए, ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोगनों के लिए “क्रूरता” से निम्नलिखित अभिप्रेत है:-
(क) जानबूझकर किया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकृति का है जिससे उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग या स्वास्थ्य को (जो चाहे मानसिक हो या शारीरिक) गंभीर क्षति या खतरा कारित करने की सम्भावना है; या
(ख) किसी स्त्री को इस दृष्टिसे तंग करना कि उसको या उसके किसी नातेदार को किसी संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रपीडित किया जाए या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना कि उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने में असफल रहा है।


Section 498A in The Indian Penal Code
Husband or relative of husband of a woman subjecting her to cruelty-

Whoever, being the husband or the relative of the husband of a woman, subjects such woman to cruelty shall be pun­ished with imprisonment for a term which may extend to three years and shall also be liable to fine.

Explanation- For the purpose of this section, “cruelty” means-
(a) any wilful conduct which is of such a nature as is likely to drive the woman to commit suicide or to cause grave injury or danger to life, limb or health (whether mental or physical) of the woman; or
(b) harassment of the woman where such harassment is with a view to coercing her or any person related to her to meet any unlawful demand for any property or valuable security or is on account of failure by her or any person related to her to meet such demand.


Classification Of Offence

(I) Punishment for subjecting a married woman to Cruelty

  1. Punishment – Imprisonment for 3 year & fine
  2. Non-Cognizable
  3. Non-Bailable
  4. Triable by JMFC
  5. Non-Compoundable

(II) If information of offence is given to SHO by aggrieved or her relative by blood, marriage or adoption, or by notified public servant

  1. Punishment – Imprisonment for 3 year & fine
  2. Cognizable
  3. Non-Bailable
  4. Triable by JMFC
  5. Non-Compoundable


उदाहरण-

  1. महिला पर दी गई यातना आत्महत्या करने के या खुद को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से होनी चाहिए।
  2. तलाख के केस में यदि पति का आरोप है कि उसकी पत्नी बांझ है तो वह क्रूरता के अंतर्गत आता है।
  3. एक बच्चे को उसकी मां की हिरासत से छिनकर लेना क्रूरता के बराबर है।
  4. उपपत्नी(रखेली) के प्रति क्रूरता भी इस धारा के अंतर्गत अपराध है।
  5. क्रूर व्यवहार और आत्महत्या के बीच घनिष्ठ संबंध होना चाहिए। केवल यातना देना ही क्रूरता नहीं है। संपत्ति की मांग करना क्रूरता नहीं है। वह मांग अवैध होनी चाहिए।
  6. अगर दामाद चाहता है कि वह ससुर द्वारा प्रदान की गई डाइनिंग टेबल के बजाय नकदी को प्राथमिकता दे, तो यह दहेज की मांग नहीं है।
  7. ऐसा व्यवहार जो महिला के मन में यह संदेह पैदा करे कि उसे अपने पति के साथ रहने से शारीरिक नुकसान का डर है। तो ऐसा व्यवहार क्रूरता की श्रेणी में आता है।

स्पष्टीकरण-

इस धारा के प्रयोजनों के लिए, क्रूर व्यवहार का निम्नलिखित अर्थ है:
  1. जिसके कारण महिला आत्महत्या कर लेगी या उसे घायल कर देगी या उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्य (मानसिक/शारीरिक) को खतरे में डाले, किसी का ऐसा नासमझ व्यवहार।
  2. जब महिला या उससे संबंधित किसी व्यक्ति पर किसी संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा के लिए एक अवैध मांग की संतुष्टि के लिए मजबूर करने के उद्देश्य से या उसके द्वारा या उससे संबंधित किसी व्यक्ति द्वारा ऐसी मांग के अनुपालन में चूक के मामले में उसका उत्पीड़न होता है।

क्रॉस एग्जामिनेशन / जरह के लिए नमूना प्रश्न-

भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के अनुसार, शिकायत आमतौर पर विवाहित लड़की या उसके पिता द्वारा दायर की जाती है। चूंकि इस धारा के तहत अपराध संज्ञेय है, इसलिए पुलिस को इसका संज्ञान लेने और जांच करने और आरोपी को गिरफ्तार करने का अधिकार है। लड़की का उत्पीड़न किये जाने के बाद, हो सकता है की लड़की द्वारा अपने पति का घर छोड़कर अपने मायके जाने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई हो और उस पर पुलिस ने पति और उसके माता-पिता और विवाहित बहन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ऐसे मामलों में जिरह इस प्रकार की जा सकती है।
  1. पति उमर से छोटा है और उसकी बहन उससे बड़ी है।
  2. बहन की शादी आपकी और आरोपी की शादी के 2-3 साल पहले हुई थी और तभी से वह अपने पति के साथ रह रही हैं।
  3. आप और आरोपी नं. 1 की शादी को 7-8 साल हो चुके हैं।
  4. इस शादी से आपके दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी है।
  5. आप पिछले डेढ़-दो साल से अपने मायके में रह रहे हैं।
  6. आपके पति ने आपके खिलाफ फैमिली कोर्ट रेस्टिट्यूशन ऑफ कॉन्जूगल राईट्स के लिए केस दायर किया है।
  7. आपका स्वभाव बहोत गुस्सेवाला है और आप छोटी-छोटी बातों पर झगड़ने लगते हैं।
  8. आरोपी और उसके माता-पिता आर्थिक रूप से आपसे बेहतर हैं।
  9. आरोपी और उसके माता-पिता ने कभी भी आपसे या आपके माता-पिता से कोई अवैध मांग नहीं की है।
  10. आरोपी द्वारा आपके खिलाफ रेस्टिट्यूशन का आवेदन दायर करने के बाद, आपने झूठा सबूत बनाने के लिए आरोपी के खिलाफ उक्त शिकायत दर्ज की है।
  11. आरोपी की बहन शादी के बाद स्थायी रूप से अपने पति के साथ रहने के लिए चली गई है और कभी-कभार ही अपने मायके को आती रहती है।
  12. आरोपी एक बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत है और उसे अच्छा वेतन मिल रहा है।
  13. माता-पिता के बहकावे में आकर आरोपी को परेशान करने के इरादेसे आपके द्वारा झूठी योजना बनाकर आरोपी के खिलाफ झूठा केस दायर किया गया है।
  14. आरोपी जिस घर में रहता है वह शहर के बीचोबीच है।
  15. आरोपी के परिवार को समाज में प्रतिष्ठित माना जाता है।
  16. आरोपी ने आपसे 5 लाख रुपये की मांग करने और उसे पूरा न करने के आधार पर प्रताड़ित किया आपने ऐसी शिकायत की है लेकिन आपने उस कारण का उल्लेख नहीं किया जिसके लिए आरोपीने 5 लाख रुपये की राशि की मांग की है।
  17. आपने पुलिस में शिकायत दर्ज करने से पहले आरोपीयों को उनके दुव्र्यवहार के बारे में वकील के माध्यम से नोटिस नहीं दिया है।
  18. आपके दोनों बच्चे आरोपी के साथ रह रहे हैं और दोनों पढ़ रहे हैं।
  19. आपने आरोपियों को परेशान करने के लिए उनके खिलाफ झूठा केस बनाया है।
  20. आरोपी के पास आपसे पैसे मांगने या उस मांग को पूरा न करने पर परेशान करने का कोई कारण नहीं था।


न्यायनिवाडे/केस लॉ/ साइटेशन

  1. 2010All M.R. (Cr) 1766
  2. 2010(2)B.C.R.(Cr)672, Shekhar Shivdas Mahire and v/s Sou. Sarikabai Shekhar and Anr
  3. 2011All.M.R. (Cr)516
  4. 2011(3)B.C.R.273
  5. 2011(2)Mah.L.J.(Cr)P.75 Anantrao Gyanaba Powar & Ors v/s State of maha. Ors.

इस लेख के माध्यमसे हमने हमारे पाठकों को आई.पी.सी. धारा 498A क्या है | What is section 498A of IPC इसके बारेमें जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसीतरह कानूनी जानकारि सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।




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