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आई.पी.सी. धारा 441 और 447 क्या है | What is section 441 & 447 of IPC

आई.पी.सी. धारा 441 और 447 क्या है | What is section 441 & 447 of IPC


धारा 441 और 447 यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 17 में दिया गया है। इस धारा के अनुसार, जो भी कोई आपराधिक अतिचार करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे तीन मास तक बढ़ाया जा सकता है, या पांच सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम आई.पी.सी. धारा 441 और 447 क्या है | What is section 441 & 447 of IPC इसके बारेमें जानकारी हासिल करतने वाले है।


भारतीय दंड संहिता
धारा-447- आपराधिक अतिचार के लिए दंड-

जो कोई आपराधिक अतिचार करेगा, वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पाँच सौ रुपये तक का हो सकेगा या दोनों से दंडित किया जाएगा।


The Indian Penal Code 
Section 447 Punishment for criminal trespass-

Whoever commits criminal trespass shall be punished with imprisonment of either descrip­tion for a term which may extend to three months, with fine or which may extend to five hundred rupees, or with both.


Classification of Offence

  1. Punishment – Imprisonment for 3 month or fine of 500 rupees, or both
  2. Cognizable
  3. Bailable
  4. Triable by any Magistrate
  5. Compoundable by the person in Possession of the property trespassed upon.

भारतीय दंड संहिता की धारा 441 में आपराधिक अतिचार को परिभाषित किया गया है जो इस प्रकार है-


भारतीय दंड संहिता 
धारा 441 आपराधिक अतिचार-

जो कोई किसी ऐसी संपत्ति में या ऐसी संपत्ति पर, जो किसी दूसरे के कब्जे में है, इस आशय से प्रवेश करता है, कि वह कोई अपराध करे, या किसी व्यक्ति को, जिसके कब्जे में ऐसी संपत्ति है, अभित्रस्त, अपमानित या क्षुब्ध करे, अथवा ऐसी संपत्ति में या ऐसी संपत्ति पर, विधिपूर्वक प्रवेश करके वहाँ विधिविरुद्ध रुप में इस आशय से बना रहता है, कि वह कोई अपराध करे, वह “आपराधिक अतिचार” करता है यह कहा जाता है।


The Indian Penal Code
Section 441 Criminal trespass-

Whoever enters into or upon property in the possession of another with intent to commit an offence or to intimidate, insult or annoy any person in possession of such property, or having lawfully entered into or upon such property, unlawfully remains there with intent thereby to intimidate, insult or annoy any such person, or with intent to commit an offence, is said to commit “criminal trespass”.


सरकार पक्ष को साबित करने योग्य मुद्दे

भारतीय दंड संहिता की धारा 447 के तहत, अभियोजन पक्ष को अपराध को स्थापित करने के लिए नीचे दिए गए सबूतों को साबित करना चाहिए।

  1. विवादित आय कंप्लेनंट के कब्जे में थी।
  2. घटना के समय उक्त संपत्ति परिवादी के कब्जे में थी।
  3. आरोपी ने कानूनी रूप से ऐसी आय में प्रवेश किया। लेकिन उसके बाद आरोपी अवैध रूप से कब्जा करने वाले का अपमान करने या उस व्यक्ति को परेशान करने के इरादे से वहां रुका रहा।


टिप्पणीयाँ-

इस धारा के तहत की गई प्रविष्टि अनधिकृत होनी चाहिए यह आवश्यक नहीं है। अभियुक्त द्वारा की गई प्रविष्टि वैध थी। लेकिन यदि उसके बाद वह किसी विशेष उद्देश्य के लिए अवैध रूप से वहां रहता है, तो वह कार्य इस धारा के तहत अवैध है। लेकिन अगर, उसके बाद, वह किसी विशेष उद्देश्य के लिए अवैध रूप से वहां रहता है, तो वह कार्य इस धारा के तहत गैरकानूनी होगा।

प्रवेश करते समय बल प्रयोग करना आवश्यक नहीं है। जिसके कब्जे में वह संपत्ती है, उसे उसकी रक्षा करने का अधिकार है। आय का मालिक कौन है? इस खंड के तहत एक मामले में इस मुद्दे पर विचार नहीं किया जा सकता है। केवल अधिभोग माना जाता है। खेत पर अवैध कब्जा कर रही इस्मा का कब्जा नहीं है।

यदि भूमि का संयुक्त स्वामी अन्य संयुक्त स्वामी को परेशान करने या क्षति पहुँचाने के लिए भूमि पर अतिचार करता है तो इस धारा के तहत यह एक अपराध है। आरोपी का जमीन पर कब्जा। यह खंड में उल्लिखित उद्देश्य के लिए होना चाहिए।

क्रॉस एग्जामिनेशन / जिरह के लिए नमूना प्रश्न-

कंप्लेनंट ने पंजीकृत दस्त द्वारा कृषि भूमि का कब्जा आरोपी को दे दिया है। हालांकि, जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर कंप्लेनंट और आरोपी के बीच विवाद चल रहा है। घटना के दिन कंप्लेनंट अपने परिवार के साथ खेत में जाकर बैठा गया। जब आरोपी खेत में काम करने आया तो अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ आपराधिक अतिचार आदि के तहत मामला दर्ज किया। ऐसे मामले में क्रॉस एग्जामिनेशन / जिरह के लिए प्रश्न कुछ इस प्रकार पुछे जा सकते हैं-

  1. विवादित संपत्ति का कब्जा कंप्लेनंट द्वारा घटना के दो वर्ष पूर्व पंजीकृत विलेख द्वारा आरोपी को दिया गया था।
  2. उसके बाद आरोपी द्वारा कंप्लेनंट को खरेदी-फरोक्त के लिए कुछ और राशि का भुगतान किया गया।
  3. आरोपी लगातार कंप्लेनंट से सौदे के अनुसार खरीदारी कर के देने का आग्रह कर रहा था।
  4. कंप्लेनंट आरोपी को विवादित संपत्ति का विक्री विलेख बनाकर देने में आनाकानी कर रहा था।
  5. आरोपी ने कंप्लेनंट को वकील के माध्यम से नोटिस देकर संपत्ति को खरेदी खत कर के देने की मांग की थी।
  6. कंप्लेनंट का खेत विवादित संपत्ति से नजदिक है और कंप्लेनंट ने उस पर अतिक्रमण कर कब्जा करने का प्रयास किया। इसलिए आरोपीने कंप्लेनंट के विरुद्ध दीवानी न्यायालय से निषेधाज्ञा (Injunction Order) प्राप्त की थी।
  7. घटना के दिन शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों ने आरोपी को खेत में घुसने से रोकने की कोशिश की थी तब दोनों के  बिच झगड़ा हो गया।
  8. घटना के दिन, शिकायतकर्ताने आरोपी से कहा की,”तुमने अभी तक जमीन नहीं खरीदी है और जमीन अभी भी मेरे स्वामित्व में है। इसलीए तुम्हारा इस जमीन से कोई संबंध नहीं है।“ ऐसा केहकर झगडा किया था।
  9. घटना वाले दिन वादी ने आरोपी के खेत मे के घर का दरवाजा तोड़कर सामान फेंक दिया था।
  10. शिकायतकर्ता ने आरोपी से कहा कि, “इस भूमि पर तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है। मैं मालिक हूं और जमीन मेरे कब्जे में है।“
  11. जब शिकायतकर्ता को साठेखाता के हस्ताक्षर की प्रति दिखाई गई, तो दस्तावेज़ और उसकी सामग्री को शिकायतकर्ता ने स्वीकार कर लिया।
  12. घटना के दिन बगल की खेती का मालिक घटना स्थलपर मौजूद था।
  13. घटना से पूर्व विवादाधीन सम्पत्ति पर आरोपी का कब्जा था, यह तथ्य शिकायतकर्ता द्वारा क्रॉसऐग्जामिनेशनमें स्वीकार किया गया है।
  14. आसपास के किसानों का बयान शिकायतकर्ताके बयान की पुष्टि नहीं करता है।
  15. चूंकि ऐग्रिमेंट के बाद संपत्ति का बाजार मूल्य काफी बढ़ गया था, इसलिये शिकायतकर्ता अधिक कीमत की मांग कर रहा था।
  16. जब आरोपी ने अधिक कीमत देने से इनकार कर दिया तो शिकायतकर्ता ने अपनी जमिन वापस मांगना शुरू कर दिया।
  17. आरोपी ने कृषि भूमि वापस करने से इंकार कर दिया।
  18. इस वजह से शिकायतकर्ताने और उसके परिवार ने मिलीभगत कर घटना को अंजाम दिया और आरोपी के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करायी.
  19. आरोपी ने कोई अपराध नहीं किया है। कोर्ट में दी गई गवाही पूरी तरह झूठी है।


आज हमने हमारे पाठकों को आई.पी.सी. धारा 441 और 447 क्या है | What is section 441 & 447 of IPC इसके बारेमें संपुर्ण जानकारी देनेका प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।




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