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आई.पी.सी. धारा 436 क्या है | What is section 436 of IPC

आई.पी.सी. धारा 436 क्या है | What is section 436 of IPC



धारा 436 यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 17 में दिया गया है। इस धारा के अनुसार, जो भी कोई भी किसी ऐसे निर्माण का, जो मामूली तौर पर उपासनास्थान के रूप में या मानव-विकास के रूप में या संपत्ति की अभिरक्षा के स्थान के रूप में किसी के उपयोग में आता हो, उस संपत्ति को नाश कारित करने के आशय से, या यह सभ्भाव्य जानते हुए कि वह तद्द्वारा उसका नाश कारित करेगा, अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा करेगा, तो उसे आजीवन कारावास या किसी भी अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम आई.पी.सी. धारा 436 क्या है | What is section 436 of IPC यह जानने की कोशिश करते है।

भारतीय दंड संहिता
धारा 436- ग्रह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ रिष्टि-

जो कोई किसी ऐसे निर्माण का, जो मामुली तौर पर उपासना-स्थान के रुप में या मानव-निवास के रुप में या संपत्ति की अभिरक्षा के स्थान के रुप में उपयोग में आता हो, नाश कारित करने के आशय से, या यह संभाव्य जानते हुए कि वह तद्दवारा उसका नाश कारित करेगा, अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ के द्वारा रिष्टि करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनो में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।


Section 436 in The Indian Penal Code
Mischief by fire or explosive substance with intent to destroy house, etc-

Whoever commits mischief by fire or any explosive substance, intending to cause, or knowing it to be likely that he will thereby cause, the destruction of any build­ing which is ordinarily used as a place of worship or as a human dwelling or as a place for the custody of property, shall be punished with 1[imprisonment for life], or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.


Classification Of Offence

  1. Punishment – Imprisonment for life or 10 years and fine
  2. Cognizable
  3. Non-bailable
  4. Triable by court of session
  5. Non-Compoundable

आरोप शाबित होने के लिए आवश्यक तत्व 

भारतीय दंड संहिता की धारा 436 में आरोपी को रिष्ट करने के आरोप में सजा देने का प्रावधान है। रिष्ट का आरोप शाबित होने के लिए आवश्यक तत्व भी भारतीय दंड संहिता की धारा 436 के अनुसार आवश्यक हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 436 के तहत सजा के लिए निम्नलिखित तत्वों की आवश्यकता होती है।(एक आपराधिक कृत्य करते समय)
  1. किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान या क्षति पहुंचाने का इरादा होना चाहिए।
  2. कोई भी संपत्ति नष्ट होनी चाहिए अथवा संपत्ति का मूल्य या उपयोगिता में कमी होनी चहिए।
  3. नष्ट की गई संपत्ति एक ऐसी इमारत होनी चाहिए जो आमतौर पर मानव निवास स्थान या संपत्ति की हिरासत के स्थान के रूप में उपयोग की जाने वाली इमारत होनी चाहिए।

क्रॉस एग्जामिनेशन / जरह के लिए नमूना प्रश्न-

भारतीय दंड संहिता की धारा 436 के तहत सत्र न्यायालय याने सेशन कोर्ट में मुकदमा चलाया जाता है।इस धारा के तहत अपराध संज्ञेय और गैर जमानती है। अपराध गंभीर है और मुकदमा चलाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

एक मिसाल के लिए एक वारदात को लेते है। खेत के निर्माण को लेकर कंप्लेनंट और आरोपी के बीच झगड़ा चल रहा है। आरोपियों ने कंप्लेनंट के खेत में लगे फसल में आग लगा दी। इस तरह के एक आरोप का ट्रायल कोर्ट में चल रहा है। इस तरह के हालात में कंप्लेनंट की क्रॉस ऐग्जामिनेशन याने जिरह कुछ इस प्रकार है।–
  1. कंप्लेनंट और आरोपी दोनों किसान हैं और उनकी जमीनें एकदुसरे के अगल-बगल में हैं।
  2. जमिन के बांध को लेकर हुए विवाद के चलते आरोपी ने कंप्लेनंट के खिलाफ न्यायालय में दीवानी मुकदमा दायर किया और कंप्लेनंट के खिलाफ अदालत में निषेधाज्ञा/Injunction का आदेश दिया गया है।
  3. निषेधाज्ञा/Injunction के आदेश के बाद कंप्लेनंट का आरोपी से झगड़ा होने की बात को लेकर आरोपी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करायी है।
  4. विवाद में घटना रात 1 बजे से 1:30 बजे के बीच हुई।.
  5. जला हुआ फसल कंप्लेनंट के खेत में है, और कंप्लेनंट के घर और खेत के बीच का फासला लगभग डेढ़ से दो कि.मी. है।
  6. आग लगने के समय कंप्लेनंट अपने परिवार के साथ अपने घर पर था।
  7. पड़ोसी द्वारा सूचना दिए जाने पर कंप्लेनंट मौके पर गया और पाया कि फसल पूरी तरह से जल चुका है।
  8. घटना के 2 दिन बाद कंप्लेनंट ने पुलिस को आरोपी के खिलाफ घटना की जानकारी दी।
  9. कंप्लेनंट द्वारा दी गई रिपोर्ट में आरोपी का नाम नहीं लिया गया।
  10. शिकायत एक अज्ञात व्यक्ति के नाम से दर्ज कराई गई है।
  11. आरोपी का खोड नहीं हो पा रहा है यह देख कर कंप्लेनंट ने पूरक बयान में आरोपी का नाम लिया और उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया।
  12. घटना के समय कंप्लेनंट मौके पर मौजूद नहीं था।
  13. कंप्लेनंट वास्तव में घटना का चश्मदीद नहीं था।
  14. कंप्लेनंट ने संदेह के आधार पर आरोपी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया है।

आज हमने इस लेख के माध्यम से आई.पी.सी. धारा 436 क्या है | What is section 436 of IPC यह जनने कि कोशिश कि है। आशा है आपको यह लेख पसंद या होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी पठने के लिए आहे हमारे इस पोर्टल apanahindi.com  पर आवश्य भेट दें।



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