आई.पी.सी. धारा 427 क्या है | What is section 427 of IPC
धारा 427 यह भारतीय दंड संहिता 1860 के चाप्टर 17 में दिया गया है। जो के सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में दंड के बारेमें दर्शाता है। इस धारा के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति ऐसी कुचेष्टा करेगा और जिससे पचास रुपए या उससे अधिक की हानि या नुकसान हो, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम आई.पी.सी. धारा 427 क्या है | What is section 427 of IPC के बारेंमें जानकारी हासिल करते है।
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भारतीय दंड संहिता
धारा 427- रिष्टि जिससे पचास रुपये का नुकसान होता है-
जो कोई रिष्टि करेगा और तद्दवारा पचास रुपये या उससे अधिक रिष्टिकी हानि या नुकसान कारत करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
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Section 427 in The Indian Penal Code
Mischief causing damage to the amount of fifty rupees-
Whoever commits mischief and thereby causes loss or damage to the amount of fifty rupees or upwards, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.
Classification of Offence
- Punishment – Imprisonment may extent to two years or with fine or both
- Non-Cognizable
- Bailable
- Triable by any Magistrate
- Compoundable
उपरोक्त धारा 427 का विश्लेषण करने से पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 425 का अध्ययन करना भी आवश्यक है।
भारतीय दंड संहिता
धार 425- रिष्टि-
जो कोई इस आशय से, या यह संभाव्य जानते हुए कि, वह लोक को या किसी व्यक्ति को सदोष हानि या नुकसान कारित करे, किसी संपत्ति का नाश या किसी संपत्ति में या उसकी स्थिति में ऐसी तब्दीली कारित करता है, जिससे उसका मूल्य या उपयोगिता नष्ट या कम हो जाती है या उस पर क्षति कारक प्रभाव पडता है, वह रिष्टि करता है।
स्पष्टिकरण-1- रिष्टि अपराध के लिए यह आवश्यक नहीं है कि अपराधी क्षतिग्रस्त या नष्ट संपत्ति के स्वामी को हानि, या नुकसान कारित करने का आशय रखे। यह पर्याप्त है कि उसका आशय है या वह यह संभाव्य जानता है कि वह किसी संपत्ति को क्षति करके किसी व्यक्ति को, चाहे वह संपत्ति उस व्यक्ति की हो या नहीं सदोष हानि या नुकसान कारित करें।
स्पष्टिकरण-2- ऐसी संपत्ति पर प्रभाव डालने वाले कार्य द्वारा, जो उस कार्य को करने वाले व्यक्ति की हो, या संयुक्त रुप से उस व्यक्ति की और अन्य व्यक्तियों की हो, रिष्टि की जा सकती है।
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Section 425 in The Indian Penal Code
Mischief-
Whoever with intent to cause, or knowing that he is likely to cause, wrongful loss or damage to the public or to any person, causes the destruction of any property, or any such change in any property or in the situation thereof as destroys or diminishes its value or utility, or affects it injuriously, commits “mischief”.
Explanation 1- It is not essential to the offence of mischief that the offender should intend to cause loss or damage to the owner of the property injured or destroyed. It is sufficient if he intends to cause, or knows that he is likely to cause, wrongful loss or damage to any person by injuring any property, whether it belongs to that person or not.
Explanation 2- Mischief may be committed by an act affecting property belonging to the person who commits the act, or to that person and others jointly.
उदाहरण-
- 'A' को नुकसान पहुंचाने के इरादे से B जानबूझकर A के मूल्यवान प्रतिभूतियों को जला देता है। बी द्वारा रिष्टि किया गया है।
- A को क्षति पहुँचाने के आशय से A की सोने की अंगूठी नंदी में फेंक दी गई, तदनुसार, B का इरादा A को नुकसान पहुंचाने का है। B द्वारा रिष्टि किया गया है।
- एक घोड़ा A और B के संयुक्त स्वामित्व में है। A को नुकसान होना चाहिए इस प्रयोजन के साथ B घोड़े को गोली मार देता है। B द्वारा रिष्टि किया गया है।
- A की फसल को नुकसान पहुंचाने के इरादे से और संभावित रूप से जबकि इस बात से B वाकिफ होते हुवे B द्वारा A के खेत में जानवर छोडा जाता है।
एक्सप्लेनेशन / स्पष्टीकरण
- रिष्टी में सिर्फ सामनेवाले शख्स को नुकसान होता है। इसके विपरित चोरी में सामनेवाले का नुकसान होता है और खुद का फायदा होता है। बिजली की आपूर्ति में रुकावट का मतलब संपत्ति का विनाश या संपत्ति के मूल्य में गिरावट का कारण नहीं है। इसलिए, ऐसे कृत्य रिष्टी नहीं होते हैं।
- रिष्टी होने के लिए किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर किसी व्यक्ति को चोट या नुकसान पहुंचाने का उद्देश्य होना चाहिए या भले ही वह जानता हो कि उसे नुकसान होने की संभावना है, यह पर्याप्त है।
क्रॉस एग्जामिनेशन / जिरह के लिए नमूना प्रश्न-
यह सम्भावना है कि A के लिए बकाया ऋण का भुगतान करने के लिए एक रिट कार्यवाही में संपत्ति जब्त की जा सकती है इस बात से अवगत B को होते हुवे वह संपत्ति को नष्ट कर देता है और इस तरह बी का यह इरादा है कि, A ऋण चुकाने में सक्षम नहीं रहे और उसे नुकसान पहुंचना चाहिए B का यही उद्देश है। यहाँपर B ने रिष्टी की, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इस कामसे उसका क्रॉस एग्जामिनेशन / जरह कुछ इस प्रकार से किया जा सकता है वह निम्नलिखीत है।
- कंप्लेनंट द्वारा दायर किया गया दीवानी दरखास्त में आय का विवरण दिया गया था।
- कंप्लेनंट द्वारा दी गई जब्ती संपत्ति में नष्ट आय का उल्लेख नहीं किया गया था।
- खोई हुई आय कंप्लेनंट और आरोपी के बीच हुए विवाद में कभी बिक्री ही नहीं हुई।
- आरोपीके देय राशि के लिए, उसकी अन्य संपत्तियों को सिविल कोर्ट के जब्ती आदेश द्वारा जब्त कर लिया गया था।
- कंप्लेनंन्टने कानूनी नोटिस देकर उक्त मुकदमा दायर करने से पहले स्पष्टीकरण नहीं मांगा।
- कंप्लेनंन्टने आय के नुकसान की घटना के करीब 1 माह बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
- उक्त केस दायर करने से पूर्व, कंप्लेनंट ने आरोपीसे देय संपूर्ण राशि की वसूली कर ली थी।
- आरोपी ने अज्ञात व्यक्ति द्वारा उक्त आय को नष्ट किए जाने के संबंध में पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
- आरोपीकी शिकायत करते ही जांच पडताल करने के बाद यह पाया गया कि उक्त संपत्ति शॉट सर्किट के कारण जली है।
- इस बात का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है कि आरोपी ने विवादित संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
- आरोपी से झगड़े के गुस्से को भड़काते हुए अभियोजक ने आरोपी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज किया है।
- अभियोजन पक्ष द्वारा दी गई गवाही की पुष्टि करने के लिए कोई अन्य सबूत नहीं है।
- खोई हुई आय सीमांत मूल्य की थी। (यानी मूल्यवान नहीं था।)
आज हमने हमारे पाठकों को आई.पी.सी. धारा 427 क्या है | What is section 427 of IPC के बारेमें पुरीतरह जानकारी देने का प्रयास कीया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी को पढने के लिए और सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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