Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

आई.पी.सी. धारा 410 और 411 क्या है | What is section 410 क्ष 411 of IPC

आई.पी.सी. धारा 410 और 411 क्या है | What is section 410 क्ष 411 of IPC



धारा 411 यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 17 में दिया गया है। इस धारा के अनुसार जो भी कोई व्यक्ति किसी चुराई हुई संपत्ति को विश्वास पूर्वक यह जानते हुए अपने पास रखता है कि वह एक चोरी की संपत्ति है और बेईमानी से प्राप्त करता या उसे बरकरार रखता है तो वह इस धारा के अनुसार एक अवधि के लिए कारावास जो के तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। आईये इस लेख के माध्य से आज हम आई.पी.सी. धारा 410 और 411 क्या है | What is section 410 क्ष 411 of IPC इसके बारेमें जानकारी हासिल करते है।


भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 411 के तहत चुराई हुई सम्पत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना को समझने से पहले हम चुराई हुई संपत्ति किसे कहते है उसके बारेमें जानकारी हासिल करते है जो के भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 410 मे दिया गया है।  

भारतीय दंड संहिता
धारा-410- चुराई हुई संपत्ति-

वह संपत्ति, जिसका कब्जा चोरी द्वारा या उद्दापन द्वारा या लूट द्वारा अतरित किया गया है, और वह संपत्ति जिसका आपराधिक दुर्विनियोग किया गया है, या जिसके विषय में आपराधिक न्यासभंग किया गया है, “चुराई हुई संपत्ति” कहलाती है चाहे वह अंतरण या वह दुर्विनियोग या न्यासभंग भारत के भीतर कियी गया हो या बाहर। किंतु यदि ऐसी संपत्ति तत्पश्चात ऐसे व्यक्ति के कब्जे में पहुंच जाती है, जो उसके कब्जे के लिए वैध रुप से हकदार है, तो वह चुराई संपत्ति नहीं रह जाती।


Section 410 in The Indian Penal Code
Stolen property-

Property, the possession whereof has been transferred by theft, or by extortion, or by robbery, and property which has been criminally misappropriated or in respect of which criminal breach of trust has been committed, is designated as “stolen property”, whether the transfer has been made, or the misappropriation or breach of trust has been committed, within or without India. But, if such property subsequently comes into the possession of a person legally entitled to the possession thereof, it then ceases to be stolen property.


अब जब के ह मने धारा 410 के अनुसार चुराई संपत्ति किसे कहते है इसे समझ लिया है तो आईये जानते है के भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 411 मे दिये गये प्रावधान को।


भारतीय दंड विधान
धारा-411- चुराई हुई सम्पत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना-

जो कोई ऐसी चुराई हुई संपत्ति को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह चुराई हुई संपत्ति है, बेईमानी से प्राप्त करेगा या रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

Section 411 in The Indian Penal Code
Dishonestly receiving stolen property-

Whoever dishonestly receives or retains any stolen property, knowing or having reason to believe the same to be stolen property, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both.


Classification of Offence

  1. Punishment – Imprisonment for 3 years, or fine or both.
  2. Cognizable
  3. Non-bailable
  4. Triable by any magistrate
  5. Compoundable by the owner of the property stolen with the permission of the court.

धारा 411 के तहत अपराध साबित करने के लिए आवश्यक बातें:-

धारा 411 के तहत अपराध साबित करने के लिए निम्नलिखित बातों की आवश्यकता होती है।
  1. इस धारा के तहत मामला दर्ज करने के लिए चोरी की संपत्ति होना जरूरी है।
  2. ऐसी संपत्ति आरोपी द्वारा बेईमानी से अर्जित की गई होनी चाहिए।
  3. यह विश्वास करने का कारण होना चाहिए कि संपत्ति चोरी का सामान है या अभियुक्त को यह पता होना चाहिए।

उदाहरण-

  1. माल की परिवर्तित प्रकृति जैसे- भले ही सोने की गेंद बनाने के लिए आभूषण को पिघलाया जाए, फिर भी यह चोरी का सामान है।
  2. चोरी का माल बेचने से प्राप्त धन चोरी का माल नहीं है।(AIR 1952(Pun.)178)
  3. यदि चोरी का सामान अभियुक्त के पास गिरवी रखा जाता है, तो इस धारा के तहत कोई अपराध नहीं होता है।
  4. यदि चोरी की संपत्ति मिलने वाले घर में पिता-पुत्र रहते हैं तो केवल परिवार का कर्ता होने के कारण पिता को दण्डित नहीं किया जा सकता। उसके लिए अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि घर के जिस हिस्से में सामान मिला है उस पर पिता का कब्जा था।
  5. यदि किसी खेत में गहनों का डिब्बा दबा हुआ मिल जाए तो खेत का मालिक इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा, कोई भी उसे वहीं गाड़ सकता है। (1960Cr.L.J.1429)
  6. यदि फरियादी अपनी घड़ी की पहचान नहीं कर सकता है और यह बाजार में आसानी से उपलब्ध कंपनी की है, तो आरोपी को इस धारा के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
  7. यदि अभियुक्त उस स्थान को दिखाता है जहाँ माल छिपाया गया है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि चोरी के सामान के कब्जे में होने पर वह चोर होना चाहिए। (1969Cr.L.J.471)

क्रॉस एग्जामिनेशल / जरह के लिए नमूना प्रश्न-

धारा 411 के अनुसार, विवादित संपत्ति चोरी है। इस मामले की पुष्टि होनी चाहिए। इसी तरह, यह साबित करना सरकारी पार्टी की जिम्मेदारी है कि अभियुक्त ने सामान खरीदा, जबकि वह जानता था कि यह चोरी का सामान है। दोनों तत्वों को एक ही समय में सिद्ध किया जाना चाहिए अन्यथा अभियुक्त को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।


इन बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए अभियोजन पक्ष की जिरह / क्रॉसएग्जामिनेशन की जानी चाहिए।अभियोजन की जिरह निम्न प्रकार से की जा सकती है।
  1. आरोपी के और आपके अच्छे संबंध हैं।
  2. सामान चोरी होने के बाद आपने कभी पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई।
  3. जब आपको पता चला कि आरोपी के कब्जे से सामान मिल गया है तो आपने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी।
  4. पुलिस में शिकायत दर्ज कराते समय चोरी के सामान का कोई विवरण नहीं दिया गया था।
  5. आपके पास यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि अभियुक्त के पास पाया गया सामान आपका है या आपके कब्जे में था।
  6. आपने घटना के दो-तीन दिन बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
  7. आप पुलिस द्वारा बताए जाने के बाद झूठा गवाही दे रहे हैं कि सामान आपका है।
  8. आपको कोई सीधा ज्ञान नहीं है कि विवादित सामान चोरी हो गया है।
  9. पुलिस द्वारा विवादित सामान जब्त किए जाने के समय आप मौजूद नहीं थे।
  10. पुलिस के कहने पर आरोपी के खिलाफ झूठी गवाही दी गई है।

केस लॉ / साईटेशन:-

  1. अन्य अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के तहत अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के तहत दोषी ठहराया जाना आवश्यक नहीं है। (AIR1998(SC)170)
  2. इस बात का सबूत होना चाहिए कि चोरी की संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे में थी जिसके बाद संपत्ति आरोपी के कब्जे में आ गई। (AIR1957(SC)39) = (1954Cr.L.J. 335)
  3. भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के तहत आरोपी को दोषी ठहराने के लिए यह स्थापित किया जाना चाहिए कि विवादित आय चुराई गई आय है। (AIR 1972 (SC) 642)
  4. अभियुक्त ने धोखाधड़ी या बेईमानी से आय को स्वीकार किया या ऐसी आय को अपने कब्जे में रखा यह भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के तहत अपराध की सजा के लिए आवश्यक हैं। (1974 All Cri.Reporter223)
  5. आरोपी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि विवादित सामान/चीज चोरी की है। यदि ऐसा कोई सबूत नहीं है, तो आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। (AIR 1994 (SC)968) = (1994Cr.L.J.1119)
  6. एक दुकान में चोरी हुई, आरोपी उस दुकान में कार्यरत था। पुलिस को देखकर आरोपी ने भागने की कोशिश की।आरोपी के अनुरोध पर उसके घर से चोरी का सामान जब्त कर लिया गया, लेकिन आरोपी को इस आधार पर बरी नहीं किया जा सकता कि घर आरोपी के भाई का है। (1998Cr.L.J.2505)
  7. अभियुक्त को सही स्पष्टीकरण देना चाहिए कि वस्तु/सामान कैसे उसके कब्जे में आया। (AIR 1965 (Orissa) 123)
  8. अभियुक्त द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण तथ्यात्मक रूप से या संभवतः सत्य होना चाहिए लेकिन यदि अभियुक्त द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण अनुचित है तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। (AIR 1945 (All) 19)
  9. चोरी की घटना के तुरंत बाद चोरी का सामान आरोपी से बरामद किया जाना चाहिए तभी भारतीय दंड संहिता की धारा 411 लागू होगी लेकिन अगर घटना के बाद लंबी अवधि के बाद माल/सामान प्राप्त होता है, तो यह धारा लागू नहीं किया जा सकता है। (1978 Cr.L.J. 379)

इस लेख के माध्यम से आज हमने आई.पी.सी. धारा 410 और 411 क्या है | What is section 410 क्ष 411 of IPC के बारेमें जानने कि कोशिश की है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी को पढने के लिए और सिखने के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।




यह भी पढे


थोडा मनोरंजन के लिए


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ