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आई.पी.सी. धारा 409 क्या है | What is section 409 of IPC

आई.पी.सी. धारा 409 क्या है | What is section 409 of IPC



धारा 409 यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 17 में दिया गया है। इस धारा के अनुसार, जो भी कोई लोक सेवक के नाते अथवा बैंक कर्मचारी या व्यापारी, फैक्टर, दलाल, अटर्नी या अभिकर्ता के रूप में किसी प्रकार की संपत्ति से जुड़ा हो या संपत्ति पर कोई भी प्रभुत्व होते हुए उस संपत्ति के विषय में विश्वास का आपराधिक हनन करता है तो उस अपराधी को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा। आईये आज इस लेख के माध्यम से हम आई.पी.सी. धारा 409 क्या है | What is section 409 of IPC के  बारेमें जानकारी हासिल करते है।

भारतीय दंड विधान
धारा- 409- लोक-सेवक द्वारा या बैंकर, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा आपराधिक न्यासभंग-

जो कोई लोक-सेवक के नाते अथवा बैंकर, व्यापारी, फैक्टर, दलाल अटार्नी या अभिकर्ता के रुप में अपने कारबार के अनुक्रम में किसी प्रकार संपत्ति, या संपत्ति पर कोई भी अख्तयार अपने को न्यस्त होते हुए उस संपत्ति के विषय में आपराधिक न्यासभंग करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास, से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।



Section 409 in The Indian Penal Code
Criminal breach of trust by public servant, or by banker, merchant or agent-

Whoever, being in any manner entrusted with property, or with any dominion over property in his capacity of a public servant or in the way of his business as a banker, mer­chant, factor, broker, attorney or agent, commits criminal breach of trust in respect of that property, shall be punished with 1[imprisonment for life], or with imprisonment of either descrip­tion for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.

Classification of offence-

  1. Punishment – Imprisonment for life or Imprisonment for 10 years and fine.
  2. Cognizable
  3. Non-Bailable
  4. Triable by JMFC
  5. Non-Compoundable

टिप्पणी-

  1. आरोपी को दिया गया पैसा जरूरी नहीं कि सरकार का हो। लेकिन वह पैसा एक लोक सेवक के रूप में आरोपी के हाथो में आया हुवा होना चाहिए।
  2. आरोपी के गबन का पता चलने पर आरोपी पैसे दे या लौटा दे, इससे उसके अपराध पर कोई फर्क नहीं पड़ता। (AIR1983(SC)174)
  3. यदि आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध से बरी कर दिया गया है, तो उसी आधार पर आरोपी पर धारा 409 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

केस लॉ / साईटेशन:-

  1. भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत एक लोक सेवक के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। (1998Cr.L.J.3800)
  2. यदि आरोपी को विश्वास में दी गई वस्तुओं को लौटाने में कोई भी व्यतिक्रम करता है तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के अनुसार यह कहा जा सकता है कि आरोपीनें अपराध किया गया है। (1997Cr.L.J.4204)
  3. भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 408 या 409 और 420 के तहत संयुक्त रूप से मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता है। (1998Cr.L.J.216)
  4. भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत दर्ज मामलों में आरोपी को संपत्ति सौंपे जाने और उसके बाद आरोपी द्वारा संपत्ति के दुरूपयोग दोनों सबूतों को साबित करना जरूरी है। (1992Cr.L.R.100(M.P.H.C.))
  5. भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत दायर एक मुकदमे में संपत्ति आरोपी को ट्रस्ट में सौंप दी गई थी, यह एक महत्वपूर्ण शर्त मानी जाती है। (AIR1983(SC)631=1983Cr.L.J.975)
  6. यदि मनीऑर्डर डाक कर्मचारी को प्रेषण के लिए सौंप दिया जाता है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 409 लागू होता है। (1957Cr.L.J.1431)
  7. एक लोक सेवक जिसे सरकारी धन सौंपा गया है, लेकिन उसने इसे अपने उद्देश्यों के लिए उपयोग किया है, भले ही वह धन का पता चलने पर वापस कर दे, तो यह कृत्य उसे अपराध से मुक्त नहीं करता है। (AIR 1983 (SC) 174) = (1983 Cr.L.J. 231)
  8. इस बात के प्रमाण के अभाव में कि आगम राशि सरकारी कर्मचारी को सौंप दी गई थी, तो यह नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त ने संपत्ति का गबन किया। (1992Cr.L.J.1724)
  9. कर्ज देने के मामले में यह नहीं कहा जा सकता कि रक्कम राशी कर्जदार को सौंप दी गई है। क्योंकि मालमत्ता का स्वामित्व कर्जदार को स्थानांतरित कर दिया जाता है। इसलिए, ऐसा लेन-देन के व्यावहार को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 लागू नहीं होता। (AIR1954(All)583)
  10. भारतीय दंड संहिता की धारा 409 लागू करने के लिए इस बात का प्रमाण होना चाहिए कि दी गई संपत्ति लोक सेवक को सौंपी गई थी और संपत्ति इसलिए वितरित की गई थी क्योंकि वह व्यक्ति लोक सेवक था। (AIR1979(SC)1841)
  11. यदि राशि किसी लोक सेवक को निजी लेन-देन या व्यक्तिगत लेन-देन में सौंपी जाती है, तो यह धारा 409 लागू नहीं होता। (AIR1974(SC)794)

इस लेख के माध्यम से आज हमने आई.पी.सी. धारा 409 क्या है | What is section 409 of IPC के बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश कि है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जानकारी को सिखने के लिए आह हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।


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