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आई.पी.सी. धारा 405 और 406 क्या है | What is section 405 & 406 of IPC

 आई.पी.सी. धारा 405 और 406 क्या है | What is section 405 & 406 of IPC


धारा 405 और 406 यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 17 में दिया गया है। ईन धाराओं मे आपराधिक न्यासभंग के बारेमें बताया गया है। आपराधिक न्यास भंग के अपराधों के लिए 3 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकती है। आईये इस लेख के माध्यम से आज हमा आई.पी.सी. धारा 405 और 406 क्या है | What is section 405 & 406 of IPC इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश करते है।

भारतीय दंड विधान की धारा 405 आपराधिक न्यासभंग की परिभाषा करती है कि आपराधिक न्यासभंग क्या है। वहीं धारा 406 में उसके लिए सजा का प्रावधान दिया गया है। जो कोई भी, किसी भी तरह से संपत्ति को सौंपा गया है या उस पर ट्रस्ट में कोई नियंत्रण है, संपत्ति का गबन करता है या इसे अपने स्वयं के उपयोग के लिए विनियोग करता है या बेईमानी से संपत्ति का उपयोग या निपटान करता है, या जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा करने की अनुमति देता है, किसी भी वैधानिक प्रावधान के उल्लंघन में, जिस तरीके से इस तरह के ट्रस्ट को निष्पादित किया जाएगा या उसके द्वारा किए गए किसी भी व्यक्त या निहित वैध अनुबंध के संबंध में इस तरह के विश्वास का निष्पादन, आपराधिक के लिए उत्तरदायी होगा इसे विश्वास भंग करने के लिए कहा जाता है।


आई.पी.सी. की धारा 406 रो शाबित करने के लीये महत्वपुर्ण मुद्दे.

आई.पी.सी. की धारा 406 के अनुसार अपराध को शाबित करने के लिए सरकार पक्ष को निम्न बिंदुओं को सुनिश्चित करना आवश्यक होता है।

  1. उन संपत्तियों का उसी व्यक्ति द्वारा निक्षेपण होना चाहिए जिसके खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं। 
  2. यहां संपत्ति चल और अचल संपत्ति दोनों शामिल हैं।
  3. आरोपी द्नारा उन संपत्तियों का बेईमानी से गलत इस्तेमाल करना चाहिए जो उसे सौंपी गई हैं।
  4. आई.पी.सी. की धारा 405 की जरूरी शर्तों का अनुपालन  होना चाहिए।


भारतीय दंड विधान की धारा 406 मे दिये गए सजा के प्रावधान को समझने से पहले आईये हम इस कानून के धारा 405 मे दिये गये आपराधिक न्यासभंग की परिभाषा को समझतते है। 

धारा-405 भारती दंड विधान
आपराधिक न्यासभंग-

जो कोई संपत्ति या संम्पत्ति पर कोई अख्तयार किसी प्रकार अपने को न्यस्त किए जाने पर उस संपत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग कर लेता है या उसे अपने उपयोग में संपरिवर्तित कर लेता है या जिस प्रकार ऐसा न्यास निर्वहन किया जाना है, उसको विहित करने वाली विधि के किसी निदेश का, या ऐसे न्यास के निर्वहन के बारे में उसके द्वारा की गई किसी अभिव्यक्त या विवक्षित वैध संविदा का अतिक्रमण करके बेईमानी से उस संपत्ति का उपयोग या व्ययन करता है, या जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति का ऐसा करना सहन करता है, वह “आपराधिक न्यासभंग” करता है।

स्पष्टीकरण-1- जो व्यक्ति किसी स्थापन का नियोजक होते हुए, चाहे वह स्थापन कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1962 (1952 का 19) की धारा 17 के अधीन छूट प्राप्त है या नहीं। तत्समय प्रवृत किसी विधि द्वारा स्थापित भविष्य निधि या कुटुंब पेंशन-निधि में जमा करने के लिए कर्मचारी-अभिदाय की कटौती कर्मचारी को संदेय मजदूरी में से करता है उसके बारें में यह समझा जाएगा कि उसके द्वारा इस प्रकार कटौती किए गए अभिदाय की रकम उसे न्यस्त कर दी गई है और यदि वह उक्त निधि में ऐसे अभिदाय का संदाय करने में, उक्त विधि का अतिक्रमण करके व्यतिक्रम करेगा तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने यथापूर्वोक्त विधि के किसी निर्देश का अतिक्रमण करके उक्त अभिदाय की रकम का बेईमानी से उपयोग किया है।

स्पष्टीकरण-2- जो व्यक्ति, नयोजक होते हुए, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (1984 का 34) के अधीन स्थापित कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा धारित और शासित कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा धारित और शासित कर्मचारी राज्य बीमा निगम निधि में जमा करने के लिए कर्मचारी को संदेय जमदूरी में से कर्मचारी-अभिदाय की कटौती करता है, उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसे अभिदाय की वह रकम न्यस्त कर दी गई है, जिसकी उसने इस प्रकार कटौती की है और यदि वह उक्त निधि में ऐसे अभिदाय के संदाय करने में. उक्त अधिनियम का अतिक्रमण करके, व्यतिक्रम करता है, तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने यथापूर्वोक्त विधि के किसी निदेश का अतिक्रमण करके उक्त अभिदाय की रकम का बेईमानी से उपयोग किया है।



Section 405 in The Indian Penal Code
Criminal breach of trust.-

Whoever, being in any manner entrusted with property, or with any dominion over property, dishonestly misappropriates or converts to his own use that property, or dishonestly uses or disposes of that property in violation of any direction of law prescribing the mode in which such trust is to be discharged, or of any legal contract, express or implied, which he has made touching the discharge of such trust, or willfully suffers any other person so to do, commits “criminal breach of trust”.

Explanation-1- A person, being an employer 3[of an estab­lishment whether exempted under section 17 of the Employees’ Provident Funds and Miscellaneous Provisions Act, 1952 (19 of 1952), or not] who deducts the employee’s contribution from the wages payable to the employee for credit to a Provident Fund or Family Pension Fund established by any law for the time being in force, shall be deemed to have been entrusted with the amount of the contribution so deducted by him and if he makes default in the payment of such contribution to the said Fund in violation of the said law, shall be deemed to have dishonestly used the amount of the said contribution in violation of a direction of law as aforesaid.

Explanation-2- A person, being an employer, who deducts the employees’ contribution from the wages payable to the employee for credit to the Employees’ State Insurance Fund held and admin­istered by the Employees’ State Insurance Corporation established under the Employees’ State Insurance Act, 1948 (34 of 1948), shall be deemed to have been entrusted with the amount of the contribution so deducted by him and if he makes default in the payment of such contribution to the said Fund in violation of the said Act, shall be deemed to have dishonestly used the amount of the said contribution in violation of a direction of law as aforesaid.



भारतीय दंड विधान की धारा 405 को समझने के बाद आईये हम इस कानून के धारा 406 को समझने की कोशिश करते है। और साथ ही इस कतानून को सरल और आसान भाषा में समझने की कोशिश करते है।



भारतीय दंड विधान
धारा-406- आपराधिक न्यासभंद के लिए दंड-

जो कोई आपराधिक न्यासभंग करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा। 



Section 406 in The Indian Penal Code
Punishment for criminal breach of trust-

Whoever commits criminal breach of trust shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both.



Classification of Offence

  1. Punishment – Imprisonment for 3 years or fine or both
  2. Cognizable
  3. Non-Bailable
  4. Triable by JMFC
  5. Compoundable by the owner of the property in respect of which breach of trust has been committed with the permission of the court.


उदाहरण-

यदि नीचे उल्लिखित घटना हुई है, तो यह कहा जा सकता है कि अभियुक्त ने आपराधिक विश्वासघात किया है।

  1. ‘क’ मृतक की वसीयत का निष्पादक है। वह बेईमानी से उस कानून की अवहेलना करता है जो उसे इच्छा के अनुसार आय को विभाजित करने का निर्देश देता है और इसे अपने स्वयं के रूप में उपयोग करता है। यहाँ क ने विश्वास का आपराधिक हनन किया है। याने आपराधिक न्यासभंग किया है।
  2. ‘क’ गोडाउन कीपर है। ‘य’ एक यात्रा पर जा रहा है और वह भरोसे से ‘क’ को अपना फर्नीचर रखने के लिए सौंपता है। क ने बेईमानी से उन फर्नीचर को बेच दिया। C के बारे में कहा जा सकता है कि उसने आपराधिक विश्वासघात याने न्यासभंग किया है।


अभियुक्त को संपत्ति सौंपी गई थी और उसने संपत्ति को बेईमानी से गबन किया यदि उसने संपत्ति को अपने उपयोग के लिए रखा या किसी और को संपत्ति को अपने उपयोग में लेने दिया।

यहां तक कि अगर संपत्ति स्थानांतरित हो जाती है, तो इसका स्वामित्व मूल मालिक के पास रहता है। यदि संपत्ति किसी संगठन या फर्म को सौंपी जाती है, तो उसके प्रबंधक को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।


इस धारा के अनुसार अचल या चल संपत्ति का मतलब यह है की, फरियादी ने कथित संपत्ति को विश्वास में आरोपी के कब्जे अथवा नियंत्रण में रखाना जरुरी होना चाहिए।


लापरवाहीसे अथवा असावधानी के कारण वसूली किऐ गऐ राशि के पैसोंको बैंक में जमा करने के लिऐ हुई देरी को इस धारा के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है। उसके लिए बेईमान करने जैसा कोई मकसद होना चाहिए।


अभियोजन याने सरकार पक्ष को यह साबित करना होगा कि आरोपी को सामान या पैसा सौंप दिया है।


अभियोजन पक्ष द्वारा साबित करने योग्य आवश्यक तत्व:-

आपराधिक न्यासभंद के लिए इस धारा के तहत अभियोजन पक्ष द्वारा निम्नलिखित तत्वों को साबित करना आवश्यक है।

  1. संपत्ति को आरोपी की हिरासत या नियंत्रण में दी गई थी।
  2. इस प्रकार दी गई संपत्ति को अभियुक्त ने धोखे से अपने रूप में उपयोग कर लिया। या फिर उस संपत्ति का गबन कर अपने इस्तेमाल में लाया।
  3. किसी भी कानूनी निषेध के उल्लंघन में संपत्ति का बेईमानी से उपयोग करता है जिसमें ट्रस्ट को निष्पादित किया जाना है या ऐसे ट्रस्ट आदि के निष्पादन के संबंध में उसके द्वारा किए गए किसी भी अनुबंध को निर्धारित करना है।


जिरह / क्रॉस एग्जामिनेशन के लिए पुछे गये नमूना प्रश्न-

ऐसे मामले में अभियोजन पक्ष की जिरह निम्नलिखित तरीके से की जा सकती है

  1. घटना से पहले फरियादी और आरोपी का आपस में कोई संबंध नहीं था।
  2. फिरियादी और आरोपी के बीच पहले कोई लेन-देन नहीं हुआ था।
  3. फरियादी और आरोपी वे सिर्फ एक दूसरे को जानते थे।
  4. अदालत में ऐसा कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं किया गया है कि जिसमें फरियादी ने अपनी संपत्ति आरोपी को सौंप दि हो।
  5. वादी ने संपत्ति आरोपी को सौंप दी, इस संबंध में पेश किए गए मौखिक साक्ष्य और अभियोजन पक्ष की गवाही के बीच मूलभूत विसंगतियां हैं।
  6. यह संदेहास्पद है कि जब फरियादी के कई करीबी रिश्तेदार होने के बावजूद फरियादीनें आरोपी को विश्वास में अपनी कुछ रकम राशि रखने की अनुमति देगा।
  7. फरियादी का खुदका बैंक खाता होते हुवे रकम राशि आरोपी को रखने के लिए देना संभव नहीं है।
  8. फरियादीने जमा रसीद का मुहर लगा हुवा दस्तावेज न्यायालय में प्रस्तुत किया है। लेकिन यद्यपि उस पर हस्ताक्षर अभियुक्त के ही हैं, परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि कोरे स्टाम्प पेपर पर केवल हस्ताक्षर लिख कर दस्तावेज तैयार किया गया था और उसके बाद सुविधानुसार उस स्टैम्प पर लिखा गया था।
  9. उक्त दस्ते के गवाहों की गवाही और वादी की गवाही एक दूसरे की पुष्टि नहीं कर रहे हैं।
  10. यह संदेहास्पद है कि फरियादी को इतनी राशि कहां से मिली।
  11. फरियादी ने आरोपी के खिलाफ पैसा निकालने के लिए झूठा मुकदमा दर्ज कराया है।
  12. फरियादीने घटना से पहले आरोपी को कुछ पैसे उधार दिए थे। उसके तौर पर आरोपी के हस्ताक्षर वाले स्टांप पेपर को गारंटी के तौर पर लिया गया। इसका दुरूपयोग कर आरोपी के खिलाफ झुटा मामला तैयार किया गया है।


इस लेख के माध्यम से आज हमने हमारे पाठकों को आई.पी.सी. धारा 405 और 406 क्या है | What is section 405 & 406 of IPC इसके बारेमें जानकारी देनेका पुरा प्रयास किया है। आशा है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह कानूनी जनकारी के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।



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