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आई.पी.सी. धारा 394 क्या है | What is Section 394 of I.P.C.

आई.पी.सी. धारा 394 क्या है | What is Section 394 of I.P.C.


धारा 394 यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 17 में दिया गया है। ईस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति लूट करने में या लूट करने का प्रयत्न करने में स्वेच्छा से किसी व्यक्ती को चोट पहुँचाता है, वह व्यक्ति तथा कोई अन्य व्यक्ति जो ऐसी लूट करने, या लूट का प्रयत्न करने में संयुक्त तौर पर सम्बद्ध है, उस आपराधी को आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कठिन कारावास की सजा जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम आई.पी.सी. धारा 394 क्या है | What is Section 394 of I.P.C. इसके बारेमें जानकारी हासिल करते है।


भारतीय दंड विधान धारा 394 
लूट करने में स्वेच्छया उपहति कारित करना-

यदि कोई व्यक्ति लूट करने में या लूट का प्रयत्न करने में स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, तो ऐसा व्यक्ति और जो कोई अन्य व्यक्ति ऐसी लूट करने में या लूट का प्रयत्न करने में संयुक्त तौर पर संपृक्त होगा, वह आजीवन कारावास से या कठिन कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।



Section 394 In Indian Penal Code
Voluntarily causing hurt in committing robbery-

If any person, in committing or in attempting to commit robbery, voluntarily causes hurt, such person, and any other person jointly concerned in committing or attempting to commit such robbery, shall be punished with imprisonment for life, or with rigorous imprisonment for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.


Classification of Offence

  1. Punishment – Imprisonment for life or rigorous imprisonment for 10 year & fine
  2. Cognizable
  3. Non-Bailable
  4. Triable by JMFC
  5. Non-Compoundable



सरकार पक्ष को सिद्ध करने योग्य मुद्दे

इस धारा के अनुसार आरोपी के विरुद्ध अपराध सिद्ध करने के लिए अभियोजन याने सरकार पक्ष को निम्नलिखित तथ्यों को सिद्ध करना होगा।

  1. आरोपी ने चोरी या चोरी का प्रयास किया होगा।
  2. इस प्रकार जबरन चोरी के या जबरन चोरी करने के प्रयास के दौरान जानबूझकर चोट पहुंचाई गई होनी चाहिए।

इस धारा के अनुसार जबरन चोरी के मामले में यह आवश्यक है कि आरोपी ने जानबूझकर कंप्लेन्टं को चोट पहुंचाई हो। कानूनी रूप से, एक मृत व्यक्ति 'व्यक्ति' शब्द की परिभाषा में फिट नहीं बैठता है। इसलिए, यदि किसी व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है और उसके बाद उसके गहने ले लिए जाते हैं, तो यह जबरदस्ती की गई चोरी नहीं है। (1998Cri.L.J.1425)



जिरह के दौरान पूछे जाने वाले नमूना प्रश्न-

इस धारा के तहत दर्ज किए गाए मामले में कंप्लेनंन्ट से जिरह करते समय नीचे दिए गए प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

  1. रात में सड़क पर जाते समय घटना हुई।
  2. घटना स्थल के पास लाइट नहीं है। इसलिए वहां बिल्कुल अंधेरा था। 
  3. अपराधियों को आपने पहले कभी नहीं देखा होगा।
  4. आपने घटना के दूसरे दिन शाम को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
  5. शिकायत दर्ज करते समय आपने पुलिस को अपराधी के उम्र, उसकी शरीर की स्थिति आदि का विवरण नहीं दिया गया था।
  6. घटना के वक्त अपराधी आपसे बात कर रहा था तब आपके द्वारा उसकी बोली भाषा की कोई जानकारी पुलिस को नहीं दी गई।
  7. शिकायत दर्ज करने के बाद पुलिस ने आपसे यह नहीं पुछा कि आपको इलाज के लिए अस्पताल जाना है या नही अथवा आपने पुलीस से नही काहा के आपको अस्पताल जाना है।.
  8. आपने पुलिस से अनुरोध नहीं किया क्योंकि आपको कोई चोट नहीं लगी थी।
  9. आपको कोई शारीरिक चोट नहीं आई थी।
  10. आपने पुलिस को चोरी के सामान का विवरण नहीं दिया।
  11. चोरी के माल के स्वामित्व के संबंध में आपने पुलिस को कोई दस्तावेजी सबुत उपलब्ध नहीं कराया है।
  12. में अदालत में दी गई गवाही और पुलिस के समक्ष दिया गया फरियादी बयान के बीच काफी महत्वपूर्ण विसंगतियां है।
  13. घटना के वक्त आप और आपका दोस्त मोटरसाइकिल से घर जा रहे थे।
  14. पुलिस थाना घटना स्थल से पांच मिनट की दूरी पर है, इसलिए घटना के तुरंत बाद पुलिस को सूचित करना संभव था।
  15. आपने संदेह के आधार पर अदालत में आरोपी के खिलाफ झूठी गवाही दी है।



इस लेख के माध्यम से आज हमने आई.पी.सी. धारा 394 क्या है | What is Section 394 of I.P.C के बारेमें पुरी जानकारी हासिल करने का प्रयास किया है। आशा है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरहा के कानुनी जानकारी के लिए आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।




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