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धारा 380 आइ.पी.सी. क्या है? | What is Section 380 of IPC

धारा 380 आइ.पी.सी. क्या है? | What is Section 380 of IPC



धारा 380 यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 17 में दिया गया है। इस धारा 378 के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी के निवास स्थल पर अथवा दुकान में और प्रतिष्ठान जैसे मानव विकास के रूप में संपत्ति की रक्षा का उपयोग में लाता हो, चोरी करेगा तो वह व्यक्ति सात वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना अथवा दोनो सजासे दंडनिय होगा। यह अपराध एक गैर जमानतीय, संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। यह अपराध गैर जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से नही मिलती। आईये इस लेख के माध्यम से आज हम धारा 380 आइ.पी.सी. क्या है? | What is Section 380 of IPC के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल करते है।

भारतीय दंड विधान
धारा 380 – निवास-ग्रह, आदि में चोरि-

जो कोई ऐसे किसी निर्माण, तम्बू या जलयान में चोरी करेगा, जो निर्माण, तंम्बू या जलयान मानव निवास के रुप में, या संपत्ति की अभिरक्षा के लिए, उपयोग में आता हो, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अपधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।



Section 380 in The Indian Penal Code
Theft in dwelling house, etc. –

Whoever commits theft in any building, tent or vessel, which building, tent or vessel is used as a human dwelling, or used for the custody of property, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.



Classification of offence

  1. Punishment – Imprisonment for seven years & fine
  2. Cognizable.
  3. Non-Bailable
  4. Triable by any Magistrate
  5. Non-Compoundable

दोष सिद्ध करने के बिंदु-

उक्त धारा के अनुसार अभियुक्तों/आरोपी के विरुद्ध दोष सिद्ध करने हेतु भारतीय दंड विधान की धारा 378, 379 में इस धारा के आवश्यक तत्वों के सबुतों की आवश्यकता है। उसके लिये, नीचे दिए गए कारकों को सिद्ध किया जाना चाहिए।
  1. विवादित आय कोई भी इमारत, तंबू या जहाज होनी चाहिए जिसका उपयोग मानव निवास के रूप में किया जाता है या संपत्ति की सुरक्षा के लिए किया जाता है।
  2. विवादित आय को ऐसे इमारत, तंबू या जहाज में रखा जाना चाहिए।

एक इमारत वह है जो रहने वालों या उसमें रखे सामान की सुरक्षा करती है।


यदि चोरी का माल ऐसी जगह गाड़ दिया जाता है कि जिसके बारेमें आरोपी के अलावा किसी अन्य को उसका पता न चले, तो आरोपी को ही चोर मान लिया जाता है।
यदि आरोपी के कहने पर सामान सार्वजनिक स्थान से बरामद किया जाता है, यानी ऐसी जगह जहां कोई भी जा सकता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि इसे आरोपी ने वहां रखा था।
चूंकि धारा 380 और 451 के प्रावधान समान हैं, यदि अभियुक्त को धारा 380 के तहत दोषी ठहराया जाता है, तो धारा 451 कारावास के साथ दंडनीय अपराध करने के लिए अतिचार का प्रावधान करती है।


जीरह/क्रॉसएग्जामिनेशन के लिए नमूना प्रश्न-

जिस व्यक्ति का माल या संपत्ति चोरी हो गई है वह उक्त धारा के तहत कार्यवाही में कंप्लेनंट होता है और उसकी जिरह निम्नानुसार की जा सकती है।
  1. आप अपनी घरपर अपने परिवार के साथ एक साथ रहते हैं।
  2. आपके साथ आपके दो विवाहित बेटे, आपकी पत्नी सहित  8 से 10 लोगों का परिवार है।
  3. आपका फ्लैट पहली मंजिल पर है और आपके फ्लैट के समान मंजिल पर 3-4 अन्य फ्लैट हैं।
  4. आपकी बिल्डिंग के गेट पर 24 घंटे वॉचमन रहता है।
  5. आपके बिल्डिंग में सीसीटीवी लगे हुवे हैं।
  6. घटना के दो दिन बाद ही आपने शक के आधार पर आरोपी के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी।
  7. घटना के वक्त रात के 2, 2:30 बज रहे थे, इसलिए आप आरोपी का चेहरा नहीं देख पाए।
  8. अपराधियों के चेहरे मास्क से बंधे हुए थे।
  9. शिकायत दर्ज कराते समय आरोपियों की उम्र, उनके पहनावे, हाव-भाव आदि का कोई विवरण नहीं दिया गया था।
  10. पुलिस में शिकायत दर्ज कराते समय आरोपियों के नाम का उल्लेख नहीं किया गया है।
  11. घटना के बाद पुलिस ने आपको थाने बुलाया और गिरफ्तार आरोपी को दिखाया। और आरोपीयों का नाम आपको बताया गया।
  12. पुलिस के कहनेसे आप झूठी गवाही दे रहे हैं कि आरोपियों ने चोरी की है।
  13. पुलिस के कहने पर आरोपी के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कर झूठा मामला बनाया गया है।


इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को धारा 380 आइ.पी.सी. क्या है? | What is Section 380 of IPC के बारे में संपुर्ण जानकारी देने का पुरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। ईसी तरह कानूनी जानकारी सिखने के लिये आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।


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