धारा 354 आइ.पी.सी. क्या है? | What is Section 354 of IPC
धारा 354 यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 16 में दिया गया है। इस धारा के तहत किसीभी महिला को यौन उत्पीड़न, मारपीट, उसके अभिमान को ठेस पहुंचाना जैसे कार्य करने के अपराध में शामिल है। अगर कोई व्यक्ती यह जानते हुए भी कि वह किसी महिला के साथ मारपीट करता है। अथवा उस महिला का यौन उत्पीड़न करता या उसकी लज्जा भंग करता है तो उस व्यक्ती के कृत्य को भारतीय दंड संहिता के धारा 354 के तहत संज्ञेय अपराध माना जाता है। और इस अपराध करने के जुर्म में उस व्यक्ती को कम से कम 1 साल की सजा, जो अधिकतम 5 साल तक बढ़ाई जा सकती है अथवा जुर्माना, या दोनों हो सकती है।
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धारा 354- स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग-
जो कोई किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से यह संभाव्य जानते हुए की तद्दवारा वह उसकी लज्जा भंग करेगा, उस स्त्री पर हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
Section 354 in The Indian Penal Code
Assault or criminal force to woman with intent to outrage her modesty:
Whoever assaults or uses criminal force to any woman, intending to outrage or knowing it to be likely that he will thereby outrage her modesty, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.
Classification of Offence
- Punishment – Imprisonment for one year which may extend to five year & with fine
- Cognizable
- Non-Bailable
- Non-Compoundable
- Triable by any magistrate
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भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के चरित्र को लेकर किया गया अपराध बेहद संवेदनशील अपराध माना जाता है। अदालत में इस तरह के मामलों का संचालन करते समय, अदालत के सामने लड़की या महिला के चरित्र का अध्ययन करना और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कोई भी ऐसा सवाल न पूछा जाए जो मुकदमे के दौरान उसे झकझोर दे। ऐसे गवाह अत्यधिक भावुक हो सकते हैं, इसलिए गवाह की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना जिरह की जानी चाहिए।
कुछ मामलों में जिरह के दौरान ऐसे गवाह कोर्ट में रोने लगते हैं, जो गंभीर होकर अभियुक्त के बचाव के लिए घातक हो सकता है। इसलिए ऐसे गवाह से सावधानी से पूछताछ करना उचित है।
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छेड़छाड़ के मामले में, कंप्लेनंट को आम तौर पर निम्नलिखित कारकों/मुद्दों को साबित करने की आवश्यकता होती है।
- जिस व्यक्ति पर हमला हुवा है अथवा आपराधिक बल का इस्तेमाल किया गया है वह व्यक्ति एक महिला है।
- व्यक्ति पर अभियुक्त द्वारा हमला किया गया था या आपराधिक बल का प्रयोग किया गया था।
- किसी महिला के साथ छेड़छाड़ करने के इरादे से उस पर हमला करना या आपराधिक चरित्र का बल प्रयोग करना या यह जानना कि वह उसके साथ छेड़छाड़ करने की संभावना रखता है।
मात्र छेड़छाड़ यह धारा 354 के तहत अपराध नहीं है। साथ ही महिला पर हमला या बल प्रयोग होना चाहिए और इसके पीछे की मंशा छेड़छाड़ होनी चाहिए। 1972Cr.L.J.653
आरोपी ने साइड से कपड़ा हटाकर महिला को लिंग दिखाया चूंकि कोई हमला या बल का प्रयोग नहीं है, वह धारा 354 के तहत अपराध नहीं बनता है। इस खंड में महिला का अर्थ महिला व्यक्ति है चाहे वह किसी भी उम्र की हो।
आयु, जाति, वर्ण, स्त्री के ये कारक इस खंड में महत्वपूर्ण नहीं हैं। महिला से आंख मारना, हाथ से बुलाना जैसे कृत्य 354 के अनुसार अपराध में शामिल हैं, लेकिन अगर आरोपी के कृत्य में महिला की सहमति है तो यह अपराध नहीं है। 1972Cr.L.J.658
जीरह / क्रॉस ऐग्जामिनेशन के लिए नमूना प्रश्न:-
इस प्रकार के प्रश्न पूछने से पूर्व इस स्थान पर एक घटना का काल्पनिक रूप में उल्लेख करना उचित होगा। जब सुबह एक सार्वजनिक नल पर पानी भरने के लिए पुरुषों और महिलाओं की भीड़ होती है, तो दो महिलाओं के बीच लड़ाई होती है, जिस समय एक महिला का पति लड़ाई में हिस्सा लेता है। इसमें से एक महिला दूसरी महिला और उसके पति के खिलाफ धारा 354, 323 आदि के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कराती है। ऐसे में आरोपी द्वारा निम्नलिखित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- घटना नल के पानी को लेकर अचानक हुए झगड़े के कारण हुई।
- घटना के वक्त काफी संख्या में महिला-पुरुष जमा हो गए थे।
- महिला ने आरोपी के ऊपर पहले हमला किया था तभी अपना बचाव करते हुए आरोपी द्वारा घटना को अंजाम दिया।
- जब कंप्लेंनंट महिला और उसके परिवार के सदस्य के लोग मौके पर पहुंचे और आरोपी के ऊपर हमला करते है तो आरोपी खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे।
- घटना के दौरान आरोपीयों को मारपीट करने को लेकर आरोपीयोंनें परिवादी महिला और आदि के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है। इसलिए वह लोग बदले के भावनासे आरोपी को झूठे केस में फंसाने के लिए झूठा केस दायर कर दिया है।
- घटना को लेकर दो दिन बाद शिकायत दर्ज कराई गई है।
- अभियोजन पक्ष द्वारा अदालत में दिए गए बयान और पुलिस को दिए गए बयान के बीच महत्वपूर्ण विसंगतियां हैं।
- अभियोजन पक्ष द्वारा परीक्षित सभी गवाह अभियोजन पक्ष के करीबी रिश्तेदार हैं।
- हालांकि घटना के समय स्वतंत्र गवाह मौजूद थे, लेकिन उनमें से किसी ने गवाही नहीं दी।
- पीडित महिला का कहना है कि उसे शारीरिक चोट लगी थी लेकिन इसकी पुष्टि करने के लिए कोई चिकित्सकीय साक्ष्य नहीं है।
- सबूत के तौर पर पीडिता के कपड़ों को पुलिस ने जब्त नहीं किया।
इस लेख के माध्यम से हमने हमारे पाठकों को धारा 354 आइ.पी.सी. क्या है? | What is Section 354 of IPC के बारे में जानकारी देने का पुरा प्रयास किया है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह के कानूनी जानकारी के लिये आप हमारे इस पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।
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