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आई.पी.सी. धारा 327 क्या है? | what is section 327 of IPC

आई.पी.सी. धारा 327 क्या है? | what is section 327 of IPC




धारा 327 यह भारतीय दंड संहिता 1860 मे चाप्टर 16 में दिया गया है। इस धारा के अनुसार किसी भी व्यक्ति को स्वेच्छापूर्वक चोट पहुंचाना अथना बलपूर्वक संपत्ति या मूल्यवान वस्तू लेने पर इस धारा 327 के अनूसार कारवाई की जाती है। इस तरह का अपराध गैर जमानती अपराध होता है, यानेकी इसतरह का अपराध करने से आरोपी को पुलिस थाने से जमानक नहीं होती। इस धारा के तहत आरोपी को 10 साल की सजा और व जुर्माने का प्रावधान है। इस धारा में आरोपी को गिरफ्तार कर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। तो आईये इस लेख के माध्यम से आज हम आई.पी.सी. धारा 327 क्या है? | What is section 327 of IPC इसके बारेमें जानकारी हासिल करते है।

धारा 327- सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना-

जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ति से, या उससे हतबध्द किसी व्यक्ति से, कोई सम्पत्ति या मुल्यवान प्रतिभूति उद्यापित की जाये, या उपहत व्यक्ति को या उससे हतबद्ध किसी व्यकति को कोई ऐसी बात, जो अवैध हो, या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता हो, करने के लिये मजबूर किया जाये, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक ही हो सकेगी, दंण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

Section 327 in The Indian Penal Code

Voluntarily causing hurt to extort property, or to constrain to an illegal act-

Whoever voluntarily causes hurt, for the purpose of extorting from the sufferer, or from any person inter­ested in the sufferer, any property or valuable security, or of constraining the sufferer or any person interested in such suf­ferer to do anything which is illegal or which may facilitate the commission of an offence, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.


Classification of Offence

  1. Punishment – Imprisonment for 10 years & fine
  2. Cognizable
  3. Non-Bailable
  4. Non-Compoundable
  5. Triable by Judicial Magistrate First Class

अभियोजन पक्ष द्वारा साबित किए जाने वाले मामले

इस धारा के अनुसार अभियोजन पक्ष को नीचे उल्लिखित बिंदुओं को साबित करना होगा।
  1. आरोपीने चोट पहुंचाई है।
  2. आरोपी द्वारा की गई चोट यह किसी भी व्यक्ति से किसी भी प्रकार की संपत्ति या मूल्यवान नकदी को जबरन वसूली की स्थिति में की गई होगी या पीड़ित को या पीड़ित में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति को कुछ ऐसा करने के लिए मजबूर करना है जो गैरकानूनी है, या जो किसी अपराध को करने में मदद कर सकता है।


न्याय निर्णय / Case Law

  1. संपत्ति को अचल या चल संपत्ति के रूप में समझा जाना चाहिए। इसलिए हो सकता है कि आरोपी अचल संपत्ति में हिस्सा मांगकर वारदात किया हों अतः यह कहा जा सकता है कि उसने भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 327 के तहत अपराध किया है।
  2. हो सकता है कि आरोपी रसोई की खिड़की तोड़कर अंदर घुसा हो और घर के लोगों को घायल कर दिया हो और अगर अभियोजन पक्ष के सबूतों पर विश्वास किया जाए तो आरोपी को भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 324, 327 और 394 के तहत दोषी ठहराया जा सकता है। 1987 (3) Crimes (Bom) 337


इस लेख के माध्यम से आज हम आई.पी.सी. धारा 327 क्या है? | what is section 327 of IPC इसके बारेमें जानकारी हासिल करने की कोशिश की है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसी तरह के कानूनी जानकारी पाने के लिये आप हमारे पोर्टल apanahindi.com पर आवश्य भेट दें।



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